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रासायनिक से जैविक खेती की तरफ वापसी

Published on: 26-Oct-2020

आज हमारा देश विभिन्न तरह की बीमारियों से जूझ रहा है कोरोना काल में जितना हम सब ने अपने आपको गांव में सुरक्षित महसूस किया है उतना किसी शहरवासी ने अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं किया होगा. क्या आप जानते हैं इसका क्या कारण है? इसका कारण है खुली हवा और कहीं ना कहीं किसान गांव देहात आज भी अपनी पुरानी परंपराओं को जिंदा रखे हुए है. आज हम बात करने जा रहे हैं जैविक खाद की हो सकता है आज की नई पीढ़ी यह भी न जानती हो की जैविक खाद क्या होता है यह कैसे बनता है लेकिन हर कोई ऑर्गेनिक प्रोडक्ट जरूर जानता है ऑर्गेनिक प्रोडक्ट को बनाने के लिए जो गोबर का खाद या हरी खाद खेतों में डाली जाती है उसी को जैविक खाद बोलते हैं. मैं भी एक किसान परिवार से हूं मेरे बाबा, पापा, नाना, मामा सभी खेती में है कुछ लोग हैं जो आलू करते हैं कुछ लोग गेंहूं करते हैं कुछ लोग अलग-अलग बाजरा,धान,मक्का यह सारी फसलें करते हैं. सारी फसलों में रासायनिक खाद ही प्रयोग में लाते हैं। रासायनिक खाद का प्रयोग आसान है। होता क्या है सामान्यतः आपको जैविक खाद के लिए खेत को तैयार करना पड़ता है पहले से ही आपको मेहनत करनी होती है जैसे आप ढेंचा करते हैं अगर आप खेत में हरी खाद देना चाहते हैं तो आप लोबिया या ढेंचा करते हैं जिसे देखने की जरूरत होती है क्योंकि अगर बारिश नहीं हो रही है तो आप पानी लगाओगे और आवारा पशुओं से भी उसको टूटने से बचाओगे क्योंकि उसको खाते नहीं है लेकिन जब कुछ नहीं मिलता तो कोई खाना भी शुरू कर देते हैं जब ढेंचा और लोबिया 45 दिन के हो जाते हैं तो रोटावेटर के द्वारा या हेरों के द्वारा इसको बारीक बारीक टुकड़ों में खेतों में काट दिया जाता है इससे ये आसानी से खेत में मिल जाता है. जबकि रासायनिक खाद में हमें मार्केट से बोरा उठा के लाने हैं और फसल के साथ उसकी बुबाई कर देंगे यह बहुत बड़ा मेहनत का काम नहीं होता लेकिन हां अगर आपको गोबर की सड़ी खाद खेत में डालनी है तो पहले वह आपको बनानी पड़ेगी उसको बनने में भी बहुत समय लगता है जबकी रासायनिक खाद के लिए आपको कुछ नहीं करना है बहुत ही सिंपल हैं लेकिन रासायनिक खादों के दुष्परिणाम बहुत हैं जैसे आज आप देखोगे हर दूसरा तीसरा बंदा डायबिटीज, हाई बीपी, कैंसर, विटामिन डी और बहुत सी बीमारियां जोड़ों के दर्द, कोलेस्ट्रॉल, हृदय की बीमारियों आदि से परेशान हैं इसके पीछे कारण पता है इसके पीछे का कारण है यही रासायनिक खाद. आज हर कोई किसानों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है लेकिन हकीकत में करते नहीं है क्योंकि किसानों के साथ कोई फायदा थोड़ी होता है थोड़ा सा दिलासा दो किसान ही तो है इसके साथ आने से TRP थोड़े ही मिलेगी, लेकिन इस किसान की वजह से आपके रसोई का सारा सामान मिलता है आपके बच्चे, आप खाना खाते हैं और थालियों में छोड़ देते हैं. सर जैसा कि मैंने बताया कि मैं एक किसान परिवार से हूं तो किसान की पीड़ा में झेल रहा हूँ, में भी खेती करता हूँ. जो खाना आप लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाते हो AC  चलाकर एक किसान पानी लगाता हुआ खेत की मेड पर बैठकर कुछ खाने की सूखी रोटी को खाता है और वह भी अगर पानी छूट गया या कुछ नुकसान होने लगा तो खाना छोड़ कर भाग लेता है पहले उसको देखता है उसके बाद अपना खाना देखता है कहने को बहुत कुछ है लेकिन आज हम बात करेंगे कि कैसे थोड़े ही दिनों में आजकल दुनिया रासायनिक से ऑर्गेनिक की तरफ की तरफ मुड़ गई इसका सबसे बड़ा कारण हमारी कमजोर होती इम्युनिटी सिस्टम, धीरे धीरे शरीर में जाता जहर.आप कभी एक अनुभव करना किसी भी ब्रांड के थैली के दूध को नीबू डालकर देखना वो आसानी से फटेगा नहीं और शुद्ध दूध नीबू की १-२ बूँद से ही पहात जायेगा. सिर्फ 50 साल में रासायनिक से जैविक की तरफ लोटती दुनियाँ: हमारी भारतीय संस्कृति हमेशा से ही जैविक खेती और पर्यावरण को संभालने में विश्वास करती है हमारे ऋषि मुनि जितने भी हवन यज्ञ और जो भी तरीके उन्होंने बताए हैं आज उन्हीं तरीकों को दुनिया फॉलो करना चाहती है परंतु विडंबना की बात है दूसरे देश हमारी संस्कृति को फॉलो करना चाहते हैं और हम पश्चिमीकरण की तरफ बढ़ना चाहते हैं डब्बा बंद पेय पदार्थ पैकेट बंद भोजन कभी भी मनुष्य के लिए लाभदायक नहीं रहा हमारे यहां तो बासी रोटी को भी नहीं खाया जाता लेकिन पश्चिमीकरण की दौड़ में हम महीनों का रखा हुआ कोल्ड ड्रिंक और जंक फूड बर्गर पिज़्ज़ा कुछ भी खाते हैं और उसके लिए अच्छी खासी कीमत भी अदा करते हैं कभी आपने सोचा है कि आजकल लोग अपने बच्चों को गांव की तरफ क्यों ले जाना चाहते हैं क्या वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे भी अच्छी लाइफ जीये लेकिन गांव का जो रहन-सहन है प्रकृति के निकट जितना किसान रहता है उसको महसूस करना उस जीवन को जीना हर कोई चाहता है ( सिर्फ १-२  दिन के लिए ) लेकिन मैं यह चाहता हूं कि यह सारी चीजें सिर्फ सोशल मीडिया पर अपडेट करने तक ही ना रहे आप सभी किसानों को सपोर्ट करो आप जहां भी कहीं जा रहे हो कोई भी किसान सड़क के किनारे सब्जी बेचता हुआ मिल जाए आप आंख बंद करके उससे सब्जी खरीद सकते हैं क्योंकि उसकी सब्जी में कम से कम रासायनिक पानी नहीं लगा होगा शुद्ध पानी की उगाई गई सब्जियां वह बेच रहा होगा. हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी लोकल फॉर वोकल का नारा देते हैं जो हमारे अपने किसान हैं जो हमारे छोटे छोटे व्यवसाई हैं उनको हम फायदा दें और अगर आप किसान को सपोर्ट करोगे तो आपकी रसोई में खाना अच्छा आएगा और अगर खाना आपकी रसोई में अच्छा आएगा तो आपके डॉक्टर का खर्चा कम हो जायेगा. आप फॅमिली डॉक्टर की जगह फॅमिली किसान रख कर तो देखो हो सकता आपका दवाइयों पर  खर्चा ही काम हो जाये. आप बाजार का देसी घी 500 से 600 रुपये किलो मिलता है जो की किसी भी हालत में संभव नहीं है.आप गाय या भैंस पाल के देख लो आपको 1400 या 1500 से नीचे घी की कीमत नहीं पड़ेगी. तो अपने परिवार को धीमा जहर देने से अच्छा है की किसी किसान को फैमिली किसान बनाओ और उससे आप शुद्ध अनाज, गुड़, घी, दूध, सब्जी आदि खरीदो. अगर आपको जैविक उत्पाद चाहिए तो उसकी कीमत भी उसी तरह से देने पड़ेगी.आप अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में जाकर जरूर दें. हमें इंतज़ार रहेगा. धन्यवाद, देवेंद्र पाठक प्रगतिशील किसान मथुरा    

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