Published on: 23-Oct-2023
आज हम इस लेख के अंदर आपको तोरई की कुछ उन्नत किस्मों के विषय में जानकारी देंगे। तोरई की उन्नत किस्मों के अंतर्गत घिया तोरई, पूसा नसदार, सरपुतिया, को.-1 (Co.-1), पी के एम 1 (PKM 1) आदि प्रमुख फसल हैं। इनकी खेती करने पर किसान भाइयों को काफी बेहतरीन पैदावार हांसिल होती है।
जैसा कि हम सब जानते हैं, कि कोई भी फसल के उत्पादन से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उसकी अच्छी किस्मों की जानकारी होनी चाहिए। जिससे कि उत्पादन के साथ–साथ ज्यादा मुनाफा भी हांसिल हो सके। इसी कड़ी में आज हम आपको तोरई की कुछ उन्नत प्रजतियों की जानकारी देने जा रहे हैं। तोरई की उन्नत किस्मों में घिया तोरई, पूसा नसदार, सरपुतिया, को.-1 (Co.-1), पी के एम 1 (PKM 1) इत्यादि प्रमुख हैं। इनकी बुवाई कर किसानों को काफी अच्छी पैदावार हांसिल होती है। इसके साथ-साथ मुनाफा भी खूब होता है। किसान इन तोरई की किस्मों के माध्यम से अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। इसकी वजह यह है, कि इनके उत्पादन के मुताबिक लागत अन्य बीजों की तुलना में कम होती है। इसके साथ ही यह कम समयावधि में तैयार हो जाती हैं।
कम लागत और समयावधि में तैयार होने वाली तोरई की किस्में
को.-1 (Co.-1)
बतादें, कि इस किस्म को तमिलनाडु के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया है। इस किस्म के फल का आकार 60 – 75 से.मी. लम्बा होता है। इसके अतिरिक्त लम्बे, मोटे, हल्के, हरे रंग का होता है। इस किस्म की पैदावार क्षमता 140-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। पहली तुड़ाई बुवाई के 55 दिनों के उपरांत की जा सकती है।
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पी के एम 1 (PKM 1)
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस किस्म के फल देखने में गहरे हरे रंग के होते हैं। इसके साथ ही फल दिखने में पतला, लम्बा, धारीदार एवं हल्का सा मुड़ा हुआ होता है। इससे 280-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल सकता है।
घिया तोरई
तोरई की इस किस्म के फल का रंग हरा होता है। भारत में इस प्रजाति की खेती सामान्य तौर पर ज्यादा की जाती है। इस किस्म के अगर फलों की बात की जाए, तो इसके फल का छिलका काफी पतला होता है। तोरई की इस किस्म में विटामिन की मात्रा ज्यादा पायी जाती है।
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पूसा नसदार
तोरई की पूसा नासदार किस्म का फल हल्का हरा होता है। इसकी ऊपरी सतह पर उभरी नसों की आकृति होती है। इस किस्म का गूदा सफेद और हरा होता है। इसके साथ ही फल की लंबाई 12-20 सेमी. तक होती है। इस किस्म की विशेषता यह है, कि इसकी उत्पादन क्षमता 150-160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
सरपुतिया
तोरई की सरपुतिया किस्म के फल पौधों पर गुच्छों में लगते हैं। वहीं अगर इनके आकार की बात करें तो यह छोटा दिखाई देता है। साथ ही, इस प्रजाति के फलों पर भी उभरी हुई धारियां बनी होती है। इसके फलों का बाहरी छिलका मोटा और मजबूत होता है। इस किस्म की तोरई मैदानी इलाकों में ज्यादा उगाई जाती हैं।