गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर राज्य में जल जीवन मिशन की धीमी गति की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया है।इसके लिए 2522 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं वही 1000 करो पूर्व का सरकार के पास है।
राज्य में पीने का साफ पानी मुहैया कराना आज भी एक चुनौती बना हुआ है। जंहा एक ओर राज्य में सूखा ग्रस्त क्षेत्र है, तो दूसरी ओर रेगिस्थान है, एवं ग्रामीण इलाकों में भू-जल में रासायनिक प्रदूषण की समस्या भी एक चुनौती है।
श्री शेखावत ने राजस्थान में जल जीवन मिशन के कार्य को तेज़ी देने के लिए अपनी प्रतिबधता जताते हुवे मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का ध्यान इस ओर दिलाया है कि वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य ने 18 लाख नल कनेक्शन की तुलना में सिर्फ़ 1 लाख नल कनेक्शन दे दिए हैं। अब वर्ष 2020-21 के लिए 35 लाख परिवारों को नल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। यहाँ ये उल्लेखनीय है कि राज्य मैं सूखा जैसी स्थिति, पानी की कमी और भू-जल में रासायनिक प्रदूषण की स्थित के ध्यान मैं रख कर केंद्रीय सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के तहत वार्षिक आवंटन में वरीयता दी जाती है। इसलिए ही राजस्थान को जल जीवन के अंतर्गत अपेक्षाकृत अधिक राशि प्राप्त हो रही है।
श्री शेखावत ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में जहां राजस्थान को 1,051 करोड़ रुपये दिए गये थे, वहीं इस साल जल जीवन मिशन के अन्तर्गत 2,522 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष के आबंटन का लगभग ढाई गुना है। इसके अतिरिक्त, फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 1,145 करोड़ रुपए दिए गये हैं। वर्तमान स्थिति मैं राज्य के पास केंद्रीय हिस्से के रूप में इस साल की केंद्रीय निधि को मिलाकर साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि उपलब्ध होगी।
श्री शेखावत ने अपने लिखे पत्र में अवगत कराया कि राजस्थान के लिए अब निधि के कमी नही होगी कुल मिलकर राज्य सरकार के पास इस साल परिवारों को घरेलू नाल कनेक्शन देने के लिए सात हजार करोड़ से भी ज्यादा की धनराशि उपलब्ध है।
इसके अलावा 15वें वित्त आयोग अनुदान के तौर पर राजस्थान के पंचायती राज संस्थानों को 3,862 करोड़ रुपये आवंटित किए गये हैं जिसमें 50 प्रतिशत राशि, 1,931 करोड़ रुपये जल आपूर्ति और स्वच्छता पर खर्च की जानी है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत गंदले जल के शोधन और इसका पुनर्उपयोग करने हेतु भी अलग से धनराशि प्रदान की जा रही है। राजस्थान सरकार चाहे तो इस उपलब्ध धन से ग्रामीण क्षेत्रों में गावँ की गलियों में बहने वाले गंदले जल की समस्या में काफ़ी हद तक सुधार ला सकती है। साथ ही राजस्थान मिनिरल बहुल राज्य है और राज्य के हर जिले के पास डिस्ट्रिक्ट मिनिरल डिवेलप्मेंट फ़ंड उपलब्ध है जिसकी सहायता से पानी की योजना के श्रोत के ऐक्वफ़र को रीचार्ज किया जा सकता है एवं उपलब्ध मनरेगा धन की सहायता से भी ग्राम मैं तालाबों व कुवों की सफ़ाई व गहरा करने का कार्य किया जा सकता है।
श्री शेखावत ने अपने पत्र में ध्यान दिलाया है कि राज्य में जिन परिवारों को नल कनेक्शन नहीं मिल सके हैं, उनमें से अधिकांश परिवार समाज के गरीब वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं। यदि पाइप जल प्रणाली वाले इन गांवों में शेष बचे परिवारों को मौजूदा स्कीमों की रिट्रोफिटिंग/ स्तरोन्नयन का काम लेकर नल कनेक्शन दिए जाएं तो अगले 4 से 6 मास में ही, 50 लाख घरों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जा सकते हैं और ये गांव ‘‘हर घर जल गांव’’ बन सकते है। साथ ही फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में दिसंबर, 2020 तक पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की बात की है।
राज्य सरकार पिछले साल के उपलब्ध धन को तेज़ी से ख़र्च के ज़िससे केंद सरकार घरों को नल से पानी देने के लिए अगली किस्त तत्काल दे सके।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए, सभी घरों में जल आपूर्ति का काम वरीयता के आधार पर हर घर को नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए किया जाएगा। तो यह न केवल सामाजिक दूरी का पालन करने में मदद करेगा अपितु इससे स्थानीय लोगों को रोजगार पाने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायता मिलेगी व हर घर को पानी भी मिल पाएगा।
केंद्रीय मंत्री जल शक्ति भारत सरकार ने राजस्थान के मुख्य मंत्री श्री गहलोत से राजस्थान को मार्च 2024 तक, 100% घरों में नल कनेक्शन वाला राज्य यानी ‘हर घर जल राज्य’ बनाने के लिए सभी प्रकार सहायता देने का वचन दिया।