मक्का का उपयोग हर क्षेत्र में समय के साथ-साथ बढ़ता चला जा रहा है। अब चाहे वह खाने में हो अथवा औद्योगिक छेत्र में। मक्के की रोटी से लेकर भुट्टे सेंककर, मधु मक्का के कॉर्नफलेक्स, पॉपकार्न आदि के तौर पर होता है।
वर्तमान में मक्का का इस्तेमाल कार्ड आइल, बायोफयूल हेतु भी होने लगा है। लगभग 65 प्रतिशत मक्का का इस्तेमाल मुर्गी एवं पशु आहार के तौर पर किया जाता है।
भुट्टे तोड़ने के उपरांत शेष बची हुई कड़वी पशुओं के चारे के तौर पर उपयोग की जाती है। औद्योगिक दृष्टिकोण से मक्का प्रोटिनेक्स, चॉक्लेट, पेन्ट्स, स्याही, लोशन, स्टार्च, कोका-कोला के लिए कॉर्न सिरप आदि बनने के उपयोग में लिया जाता है।
बिना परागित मक्का के भुट्टों को बेबीकार्न मक्का कहा जाता है। जिसका इस्तेमाल सब्जी एवं सलाद के तौर पर किया जाता है। बेबीकार्न पौष्टिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण साबित होता है।
खरीफ की फसल के लिए 15-20 सेमी गहरी जुताई करने के उपरांत पाटा लगाना चाहिए। जिससे खेत में नमी बनी रहती है। इस प्रकार से जुताई करने का प्रमुख ध्येय खेत की मृदा को भुरभुरी करना होता है।
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फसल से बेहतरीन उत्पादन लेने के लिए मृदा की तैयारी करना उसका प्रथम पड़ाव होता है। जिससे प्रत्येक फसल को गुजरना पड़ता है।
मक्का की फसल के लिए खेत की तैयारी के दौरान 5 से 8 टन बेहतरीन ढ़ंग से सड़ी हुई गोबर की खाद खेत मे डालनी चाहिए।
भूमि परीक्षण करने के बाद जहां जस्ते की कमी हो वहां 25 किलो जिंक सल्फेट बारिश से पहले खेत में डाल कर खेत की बेहतर ढ़ंग से जुताई करें। रबी के मौसम में आपको खेत की दो वक्त जुताई करनी पड़ेगी।
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उपचार :- डायथेन एम-45 दवा को पानी में घोलकर 3-4 छिड़काव जरूर करना चाहिए।
2. पत्तियों का झुलसा रोग :- पत्तियों पर लंबे नाव के आकार के भूरे धब्बे निर्मित होते हैं। रोग नीचे की पत्तियों से बढ़ते हुए ऊपर की पत्तियों पर फैलना शुरू हो जाते हैं। नीचे की पत्तियां रोग के चलते पूर्णतया सूख जाती हैं।
उपचार :- रोग के लक्षण नजर पड़ते ही जिनेब का 0.12% के घोल का छिड़काव करना चाहिए।
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3. तना सड़न :- पौधों की निचली गांठ से रोग संक्रमण शुरू होता है। इससे विगलन के हालात उत्पन्न होते हैं एवं पौधे के सड़े हुए हिस्से से दुर्गंध आनी शुरू होने लगती है। पौधों की पत्तियां पीली होकर के सूख जाती हैं। साथ ही, पौधे भी कमजोर होकर नीचे गिर जाती है।
उपचार :- 150 ग्रा. केप्टान को 100 ली. पानी मे घोलकर जड़ों में देना चाहिये।
मक्का की फसल की कटाई के पश्चात गहाई सबसे महत्वपूर्ण काम है। मक्का के दाने निकालने हेतु सेलर का इस्तेमाल किया जाता है। सेलर न होने की हालत में थ्रेशर के अंदर सूखे भुट्टे डालकर गहाई कर सकते हैं।