स्कूली छात्रों को हाइड्रोपोनिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा

Published on: 13-Mar-2024

आने वाले समय में स्कूलों में छात्रों को बागवानी करने की शिक्षा प्रदान की जाएगी। विद्यार्थियों को हाइड्रोपोनिक खेती के जरिए से पानी को रिसाइकिल करना भी बताया जाएगा। 

बदलते वक्त के साथ-साथ खेती किसानी में नई-नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। आज के वक्त में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर नवीन उपरकणों की सहायता से खेती कर रहे हैं। 

साथ ही, नवीन पद्दति भी इस क्षेत्र में निरंतर लाई जा रही हैं। ऐसी स्थिति में हाइड्रोपोनिक प्रणाली भी खेती-बागवानी को सरल बना रही है। 

इससे आने वाली समस्याओं से निपटने में सहायता मिल रही है। अब दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को भी इस तकनीक से  वाकिफ कराया जाएगा।

100 स्कूलों में हाइड्रोपोनिक प्रणाली स्थापित की जाएगी 

बतादें, कि समग्र शिक्षा के अंतर्गत 100 स्कूलों में हाइड्रोपोनिक प्रणाली स्थापित की जाएगी। फिर कार्यशाला के जरिए विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। 

खबरों की मानें तो छात्रों को इस बारे में जानकारी देने का मकसद आने वाले वक्त में खुले स्थानों का होने वाला अभाव भी है। अब छात्रों को स्कूलों में ही बताया जाएगा कि वे कैसे बिना मृदा के ही सब्जियां उगा सकते हैं। 

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इसमें विद्यार्थियों को सब्जियों में पीएच स्तर व पोषक तत्वों के प्रबंधन के बारे में भी बताया जाएगा। इसके साथ-साथ पौधों को सही पोषक तत्व मिले इसकी भी जानकारी मुहैय्या कराई जाएगी।

हाइड्रोपोनिक तकनीक से छात्रों को क्या जानकारी मिलेगी ?

इस दौरान छात्र हाइड्रोपोनिक खेती के माध्यम से पानी की रीसाइक्लिंग करना भी जान पाएंगे। साथ ही, रासायनिक खरपतवार और कीट नियंत्रण से संबंधित जानकारी भी उन्हें प्रदान की जाएगी। 

बताते चलें, कि ये एक बेहद ही आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक के माध्यम से बालू और कंकड़ों के बीच की खेती की जाती है। वहीं, पौधों को सही पोषण देने के लिए पोषक तत्व और खनिज पदार्थों का घोल बनाकर इस्तेमाल किया जाता है। 

साथ ही, इस तकनीक के बारे में जानकारी देने के लिए विशेष कार्यशाला आयोजित होंगी, जिनमें नौवीं और दसवीं के विद्यार्थियों को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा।

एक टीचर को नोडल के रूप में नामित किया जाएगा 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि स्कूल के मुखियाओं को स्कूल में हाइड्रोपोनिक सेटअप की स्थापना करने के लिए सही जगह की पहचान करने के निर्देश दिए गए हैं। 

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कार्यशाला के लिए विघालयों की तरफ से एक टीचर को नोडल के रूप में नामित करना होगा। वर्कशॉप के पश्चात छात्रों से फीडबैक यानी प्रतिक्रिया भी ली जाएगी।

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