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अल्फांसो आम की पैदावार में आई काफी गिरावट, आम उत्पादक किसान मांग रहे मुआवजा

Published on: 03-Apr-2023

अधिक गर्मी से आम की इस किस्म को हो रही काफी हानि। आपको बतादें कि रत्नागिरी एवं देवगढ़ में अल्फांसो किस्म के आम का उत्पादन काफी बड़े पैमाने पर किया जाता है। 

परंतु, 25 फरवरी 6 मार्च के दौरान इन इलाकों में बेमौसम तापमान अधिक हो गया था। राजस्थान, पंजाब हरियाणा और राजस्थान के किसान जहां वर्षा और ओलावृष्टि से परेशान हैं। 

साथ ही, महाराष्ट्र में बेमौसम तापमान में वृद्धि होने से आम की खेती करने वाले कृषकों की समस्याएं और ज्यादा करदी हैं। बताया जा रहा है, कि बेमौसम गर्मी ने देवगढ़ एवं रत्नागिरी जनपद में अल्फांसो आम को हानि पहुँची है। 

सीधी सी बात है इसकी वजह से आम के उत्पादन में भी कमी आने की संभावना जताई जा रही है। अब ऐसी स्थिति में बुद्धिजीवियों का कहना है, कि इस बार अल्फांसो आम की कीमत में बढ़ोत्तरी हो सकती है। 

कृषि जागरण की खबर के अनुसार, अप्रैल माह के बीच से मई के समापन तक अल्फांसो आम के पकने का समय होता है। परंतु, फरवरी एवं मार्च माह के दौरान बेमौसम लू चलने से 75% फीसद तक अल्फांसो आम को हानि होने की संभावना है। 

इसके चलते इसकी पैदावार काफी प्रभावित हो जाएगी। इतना ही नहीं इससे आम की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। अब ऐसी स्थिति में कृषकों को समुचित भाव नहीं प्राप्त नहीं होगा। इसलिए ही महाराष्ट्र राज्य आम उत्पादक संघ द्वारा सरकार से मुआवजे लेने की मांग उठाई है। 

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आम में फसल में 75 प्रतिशत तक हानि होने की संभावना

जैसा कि हमने आपको बताया है, कि देवगढ़ और रत्नागिरी जनपद में अल्फांसो आम की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन 25 फरवरी से 6 मार्च के दौरान यहां बेमौसम गर्मी पड़ी है। 

इससे अप्रैल माह के बीच से मई के समापन तक 75 फीसद आम की फसल बर्बाद होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। महाराष्ट्र राज्य आम उत्पादक संघ ने बताया है, कि अल्फांसो आम की किस्म दो चरणों में पकती है। 

प्रथम चरण का तकरीबन 30 फीसदी आम फरवरी माह में ही बाजार उपलब्ध होने लग जाता है। वहीं, फल बाजार के निदेशक संजय पंसारे ने बताया है, कि ठंड के दिनों में अनुकूल मौसम होने के चलते बाजार में अल्फांसो की आपूर्ति विगत वर्ष मार्च के तुलनात्मक तीन गुना की बढ़ोत्तरी देखी गई है। 

परंतु, गर्मी के मौसम में उत्पादित होने वाले आम को 75 प्रतिशत तक हानि पहुंचने की संभावना होती है। रत्नागिरी जनपद के मालगुंड के विद्याधर पुसालकर नामक एक आम उत्पादक ने बताया है, कि बेमौसम लू चलने से भारी हानि हुई है।

पैदावार में आई काफी गिरावट से किसान दुखी

अल्फांसो आम हेतु 35 से 39 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना गया है। इस तापमान में आम का बेहतरीन उत्पादन होता है। 

परंतु, 25 फरवरी से 6 मार्च तक कोंकण में तापमान 37 से 39 डिग्री के मध्य रहने पर यहां के अल्फांसो आम को काफी अधिक हानि हुई है। विद्याधर पुसालकर ने बताया है, कि वह प्रति वर्ष 500 दर्जन आम विक्रय करता था। परंतु, इस वर्ष उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ने से इसकी पैदावार घट कर 200 दर्जन पर ही सिमट गई है। 

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आम का सीजन कब आता है

साथ ही, देवगढ़ के एक किसान विद्याधर जोशी ने बताया है, कि जलवायु परिवर्तन ने भी आम की खेती को प्रभावित किया है। उधर, कीट- पतंगों से संरक्षण करने हेतु अधिक कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ रहा है। 

ऐसी स्थिति में अल्फांसो आम की खेती में लागत भी अधिक हो गई है। बतादें, कि मार्च में अल्फांसो आम का पहला सीजन होता है। इसके चलते बाजार में आम बिकने के लिए पहुंच जाते हैं। उधर, बीच अप्रैल से मई के समापन तक दूसरा सीजन चलता है।

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