भारत के अंदर विभिन्न वजहों से किसानों के बीच गन्ने की खेती का रुझान काफी बढ़ रहा है। गन्ना किसानों को भुगतान में नियमितता, गन्ने की कीमत में बढ़ोतरी और इथेनॉल तैयार करने में गन्ने का उपयोग जैसे कई कारण है जो गन्ने की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।
गन्ना एक ऐसी फसल है, जो तेज वर्षा, सूखा समेत समस्त प्रकार की मौसमी परिस्थितियों में भी बेहतरीन उपज देती है। वर्तमान में बसंतकालीन गन्ने की बुवाई का कार्य शुरू हो गया है।
भारत में प्रति वर्ष फरवरी से लेकर मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक गन्ना उत्पादक राज्यों के किसान गन्ने की बुवाई करते हैं। साथ ही, कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ना कृषकों के लिए बहुत सारी ऐसी किस्में विकसित की हैं, जो किसानों को अधिक उपज देने में सक्षम हैं।
गन्ना किस्म COLK–14201 को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने तैयार किया है। गन्ने की यह किस्म एक रोग रहित प्रजाति है, इसमें किसी तरह का रोग नहीं लगता है। इसकी बिजाई अक्टूबर से मार्च माह तक की जा सकती है। गन्ने की यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील होती है।
इस किस्म में गन्ना नीचे से मोटा होता है। इसकी पोरी छोटी होती है एवं इस किस्म की लंबाई बाकी किस्मों की अपेक्षा कम होती है। गन्ने का वजन 2 से 2.5 किलो तक होता है। 17 प्रतिशत शर्करा देने वाली यह किस्म एक एकड़ में 400 से 420 क्विंटल तक उत्पादन देती है।
यह गन्ने की एक ऐसी किस्म है जो कम समय यानी 8 से 9 महीने में तैयार हो जाती है। गन्ने की इस किस्म की बिजाई अक्टूबर से मार्च तक की जा सकती है।
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गन्ने की लेट बिजाई में यह किस्म सबसे अधिक उपयुक्त है। इसकी बिजाई हल्की यानी रेतीली भूमि में भी कर सकते हैं। गन्ना किस्म CO-15023 को गन्ना प्रजनन संस्थान अनुसंधान केंद्र करनाल (हरियाणा) ने तैयार किया है। इसको CO-0241 और CO-08347 किस्म को मिलाकर तैयार किया गया है।
इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता दूसरी प्रजातियों की तुलना में ज्यादा है। गन्ना की यह किस्म अच्छी पैदावार के कारण किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। इसकी औसत पैदावार 400 से 450 क्विंटल प्रति एकड़ है।
गन्ने की इस किस्म को ज्यादा पैदावार के लिए जाना जाता है। COPB-95 गन्ना किस्म प्रति एकड़ 425 क्विंटल की औसत पैदा देने में सक्षम है। गन्ने की इस किस्म को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है। यह किस्म लाल सड़न रोग व चोटी बेधक रोग के प्रति सहनशील है।
यह किस्म खेती की लागत को कम करके किसानों के लाभ में इजाफा करती है। इसके एक गन्ने का भार लगभग 4 किलोग्राम तक हो सकता है। इस किस्म के गन्ने का आकार मोटा होने की वजह से इसका प्रति एकड़ 40 क्विंटल बीज लगता है।
गन्ने की यह किस्म मुख्य रूप से तमिलनाडू के लिए तैयार हुई है। परंतु, इसकी बुवाई अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में भी की जा सकती है। इस किस्म की बिजाई का उपयुक्त समय अक्टूबर से नवंबर माह है। हालाँकि, अक्टूबर से मार्च तक भी इसकी बुवाई की जा सकती है।
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यह गन्ने की एक अर्ली प्रजाति है और इसमें किसी तरह का कोई रोग नहीं लगता है। इसकी एक आंख से 15 से 16 गन्ने सुगमता से निकल सकते हैं। इसके एक गन्ने का समकुल वजन 2.5 से 3 किलो तक रहता है।
CO–11015 गन्ना किस्म की औसत उपज 400 से 450 क्विंटल प्रति एकड़ मानी जाती है। इसके गन्ने में शर्करा की मात्रा 20% प्रतिशत तक होती है। किसान इस किस्म से कम लागत में ज्यादा उपज ले सकते हैं।
गन्ने की इस प्रजाति को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ (उत्तरप्रदेश) के वैज्ञानिकों ने वर्ष 2023 में तैयार किया है। यह किस्म गिरने के प्रति सहनशील है और इसकी किसी भी क्षेत्र में बुवाई की जा सकती है।
COLK-15201 गन्ना किस्म की बुवाई हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और पंजाब में नवंबर से मार्च माह के दौरान की जा सकती है। गन्ने की यह किस्म 500 क्विंटल प्रति एकड़ तक सुगमता से उपज देने में सक्षम है। बतादें, कि इस किस्म को इक्षु-11 के नाम से भी जाना जाता है।
COLK-15201 की लंबाई काफी अधिक होती है और इसमें कल्लों का फुटाव भी बाकी किस्मों की अपेक्षा ज्यादा है। इसमें शर्करा की मात्रा 17.46% फीसद है, जो बाकी किस्मों की तुलना में अधिक है। यह किस्म ज्यादा उत्पादन देती है। यह नवीन किस्म पोका बोईंग, रेड रॉड और टॉप बोरर जैसे रोगों के प्रति सहनशील होती है।