हाइड्रोपोनिक खेती विधि क्या है? भारत में हाइड्रोपोनिक्स के लाभ

Published on: 19-Jul-2024
Updated on: 19-Jul-2024

आज के आधुनिक युग में जहां हर क्षेत्र में नई तकनीक का आगमन हो रहा है, वहीं कृषि क्षेत्र में भी किसानों के लिए नई-नई तकनीकें विकसित की जा रही हैं।

आधुनिक तकनीकों की मदद से न केवल खेती की उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि किसानों का काम भी आसान और कम समय में हो जाता है।

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक भी किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। इस लेख में हम आपको इस तकनीक के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

हाइड्रोपोनिक्स का आविष्कार किसने किया?

विलियम फ्रेडरिक गेरिक को 1937 में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का जनक माना जाता है, जब उन्होंने अपने घर के बगीचे में 7.6 मीटर ऊंची टमाटर की लताएँ खनिज पोषक घोल में उगाईं।

बर्कले, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में काम करते हुए, उन्होंने मिट्टी के बजाय पानी और पोषक तत्वों के घोल में पौधे उगाने का विचार लोकप्रिय बनाया।

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हाइड्रोपोनिक खेती विधि क्या है?

हाइड्रोपोनिक खेती एक ऐसी विधि है जिसमें पौधों को मिट्टी रहित माध्यम में, आवश्यक पोषक तत्वों के घोल में उगाया जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादातर बागवानी फसलों के लिए किया जाता है।

हाइड्रोपोनिक्स में पौधों को आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम तरल रूप में प्रदान किए जाते हैं, जिससे उनकी वृद्धि होती है।

ये तरल मिनरल सॉल्ट्स या घोल समुद्री शैवाल और अन्य जैविक सामग्रियों के मिश्रण से बनाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों के घोल को पौधों की जड़ों में रासायनिक प्रवाह या टपक सिंचाई के रूप में दिया जाता है। 

भारत में हाइड्रोपोनिक्स के लाभ

भारत में हाइड्रोपोनिक्स खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है, और इसके कई लाभ हैं जो किसानों और कृषि उद्योग के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। यहां हाइड्रोपोनिक्स के प्रमुख लाभों का विवरण दिया गया है: 

1. जल की बचत

हाइड्रोपोनिक्स खेती में पारंपरिक खेती की तुलना में 80-90% कम पानी की आवश्यकता होती है।

इसमें पानी का पुन: उपयोग होता है, जिससे जल की बड़ी बचत होती है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है जहां जल की कमी है।

2. उच्च पैदावार

इस तकनीक से फसलों की पैदावार पारंपरिक खेती की तुलना में काफी अधिक होती है। पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सीधे उपलब्ध होते हैं, जिससे उनकी वृद्धि तेज होती है और अधिक उत्पादन मिलता है।

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3. कम जगह की आवश्यकता

हाइड्रोपोनिक्स खेती में कम जगह की आवश्यकता होती है, क्योंकि पौधों को एक नियंत्रित वातावरण में उगाया जाता है। यह शहरी क्षेत्रों और सीमित भूमि वाले स्थानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।

4. नियंत्रित वातावरण

हाइड्रोपोनिक्स प्रणाली में तापमान, नमी, और पोषक तत्वों का स्तर नियंत्रित किया जा सकता है।

इससे फसलों की वृद्धि पर बाहरी मौसम के प्रभाव को कम किया जा सकता है और साल भर खेती संभव हो जाती है।

5. मिट्टी की आवश्यकता नहीं

इस विधि में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती, जिससे मिट्टी से जुड़े रोगों और कीटों का खतरा कम हो जाता है। इससे पौधों की सेहत बेहतर होती है और फसलें अधिक स्वस्थ होती हैं।

6. कीटनाशकों का कम उपयोग

हाइड्रोपोनिक्स खेती में कीटनाशकों और रसायनों का कम उपयोग होता है, क्योंकि पौधे एक नियंत्रित वातावरण में उगते हैं और कीटों का खतरा कम होता है।

इससे उपभोक्ताओं को अधिक स्वास्थ्यवर्धक और सुरक्षित खाद्य पदार्थ मिलते हैं।

7. फसल चक्र

इस विधि में फसलों का चक्र तेजी से होता है। फसलें जल्दी उगती हैं और जल्द ही कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं, जिससे किसानों को अधिक बार और अधिक उत्पादन मिलता है।

8. पोषक तत्वों का सटीक प्रबंधन

हाइड्रोपोनिक्स में पोषक तत्वों का सटीक प्रबंधन संभव है। पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सीधे और सही मात्रा में मिलते हैं, जिससे उनकी वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार होता है।

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9. स्थिरता और पर्यावरणीय लाभ

हाइड्रोपोनिक्स खेती अधिक स्थिर और पर्यावरण के अनुकूल होती है। इसमें जल की कम खपत, कम भूमि की आवश्यकता और कम रसायनों का उपयोग होता है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

10. रोजगार के अवसर

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से नए कृषि उद्यमों और स्टार्टअप्स के लिए अवसर बढ़ते हैं। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और कृषि क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहन मिलता है।

इन सभी लाभों को देखते हुए, हाइड्रोपोनिक्स खेती भारत में कृषि के लिए एक प्रभावी और लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है। 

यह न केवल किसानों के लिए मुनाफेदार हो सकती है, बल्कि देश की कृषि उत्पादन क्षमता और खाद्य सुरक्षा को भी बढ़ा सकती है।

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