आजकल खेती भी पूरी तरह से मशीन(machine) पर निर्भर हो गई है. जैसे हम देख रहे हैं की पहले समय में लोग जो काम अपने शरीर की मेहनत से करते थे वो सभी काम आज मशीन(machine) से होने लगे हैं।
फिर चाहे खेत की तैयारी हो, माझा हो, खेत को लेवल करना हो, बुबाई करनी हो या फिर फसल की कटाई करनी हो. आप कह सकते हैं कि फसल की बुवाई से लेकर फसल को घर तक लाने के सभी काम मशीन से होने लगे है।
आज हम कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की बात करते हैं कि कैसे इसने हमारी मजदूरों पर निर्भरता काम कर दी है। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) न होती तो हम अपने खेतों की फसल को समय से घर न ला पाते और न ही इसको समय से बाजार में पंहुचा पाते।
इस कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) ने हमारी मजदूरों पर निर्भरता काफी हद तक कम कर दी है. आइये जानते हैं इसकी उपलब्धता के बारे में और कौन-कौन सी कंपनी इसका निर्माण करती हैं।
कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) दो तरह की होती हैं.
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जो बड़े किसान होते हैं उनके पास सामान्यतः बड़े ट्रेक्टर(Tractor) होते हैं जो की उनके बड़े काम आसानी से कर सकें इन्हीं ट्रैक्टर्स को वो कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) चलाने में करते है।
जब तक फसल को तैयार करने के लिए जो काम ट्रेक्टर से करने होते हैं उसे करने के बाद उसी ट्रेक्टर(Tractor) को कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) चलाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
जब आपकी फसल कट जाये उसके बाद आप ट्रेक्टर(Tractor) को नीचे उतार कर ट्रेक्टर(Tractor) की तरह प्रयोग में ला सकते हैं.नीचे दिए चित्र में देखें:
ये मशीन(Machine) आती ही इसी काम के लिए हैं इनमे ट्रेक्टर(Tractor) नहीं लगा होता है इसका इंजन सिर्फ कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के लिए ही बनाये जाते हैं तथा इनका फसल कटने के बाद अगली फसल आने तक कोई भी काम नहीं होता। इसका प्रयोग सामान्यतः ऐसे किसान करते हैं जो कि किराये पर अपनी मशीन(Machine) चलाते हैं।
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आजकल सभी बड़ी कंपनियां(Company) कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) बनाते हैं जिनमे,
इस मशीन(Machine) की सहायता से किसान गेंहूं, सरसों, धान, सोयाबीन आदि फसलों को काट कर दाने अलग करता है. इसके अंदर स्टोरेज क्षमता भी होती है जो कि भर जाने पर चालक को टंकी भर जाने का अपडेट देती है जिससे कि उसको खाली करके दुबारा से काम स्टार्ट किया जा सके।
कंबाइन हार्वेस्टर(Combine Harvester) की रील खड़ी फसल को काटने वाली यूनिट तक पहुंचाती है। कटर बार के अंदर बड़े-बड़े चाकू जैसे बहुत ही तेज धारदार ब्लैड होते हैं जिनसे वो खड़ी फसल को काटता है। इसके बाद फसल कन्वेयर बेल्ट के जरिए रेसिंग यूनिट में जाती है।
यहां पर फसल के दाने ड्रेसिंग ड्रम और कंक्रीट क्लीयरेंस से रगड़ने पर अलग हो जाते हैं। इसके साथ ही बड़े-बड़े छटना के द्वारा अनाज साफ हो जाता है और ब्लोवर से भूसा या तूरा अलग हो जाता है. इस मशीन में एक स्टोन ट्रैप यूनिट लगी होती है, जो कि फसल के साथ आने वाले कंकड़, मिट्टी आदि को अलग कर देता है।
यह मशीन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इसकी मदद से किसान को मजदूर न मिलने पर मशीन से काम किया जाता है और कम से कम 10 से 15 दिन पहले ही किसान अपनी फसल को बाजार, मंडी में ले जाकर बेच सकता है।
इससे अनाज को अलग करके तूरा और भूसा को खेत में खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिससे कि खेत की उर्बरकता बानी रहती है. इससे खेत में गिरी हुई फसल को भी काटा जा सकता है।
सरकार ने इससे होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए इसके साथ स्ट्रा रीपर(Straw Reaper) लगाना जरूरी कर दिया है बिना स्ट्रा रीपर(Straw Reaper) की मशीन(Machine) को सीज कर दिया जायेगा।
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स्ट्रा रीपर एक कृषि यंत्र है, यह हार्वेस्टिंग मशीन(Harvesting Machine) में लगाया जाता है. इससे धान, गेंहूं, सरसों आदि फसलों की कटाई के बाद बचने वाले अवशेष छोटे-छोटे टुकड़ों में कट जाते हैं, जो कि जलाने में मुश्किल होते हैं और खेत की जुताई के समय मिट्टी में ही मिल जाते हैं. इससे प्रदूषण की समस्या नहीं होती और किसान के खेत में खाद का काम भी यही अवशेष करते हैं.
प्रौद्योगिकी एक महान नौकर है, लेकिन एक बुरा स्वामी है। कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) के कुछ नुकसान भी हैं अगर हम उसका सही से उपयोग न करें तो इससे खेत को फसलों के अवशेष ज्यादा होने की वजह से किसान समय से अगली फसल की तैयारी समय से नहीं कर पाता है।
उसको नष्ट करने के लिए किसान को ज्यादा जोत लगानी पड़ती हैं जिससे की किसान का खर्चा ज्यादा आता है, दूसरा अगर इसमें आग लगा दी जाये तो इससे पर्यावरण को नुकसान होता है तथा सरकार पराली जलाने को लेकर बहुत सख्त है।
कंबाइन हार्वेस्टर(Combine Harvester) को खरीदने के दो तरीके हैं पहला आप किसी भी कंपनी से सीधे इसे खरीद सकते हैं या सरकार द्वारा दी गई अनुदान की स्कीम से भी इसे ले सकते हैं. अनुदान से मिलना आसान नहीं है क्यों कि यह बहुत ही मॅहगा यन्त्र है तो हर कोई इसको खरीद नहीं पता है.
ज्यादातर किसान किराये पर लेकर ही अपनी फसल इससे कटवाते हैं. इस वजह से कई बार किसानों को अपना नंबर आने के लिए कई कई दिन तक इन्तजार करना पड़ता है और कई बार इससे फसल ज्यादा पक जाने कि वजह से खेत में ही झड़ जाती है|
अनुदान देने के लिए सरकार अपनी तरफ से कोशिश कराती है कि सही पात्र को इसका फायदा मिले लेकिन इसमें भी कुछ लोग खेल कर जाते हैं और जो सरकार का रजिस्ट्रेशन पोर्टल(Registration Portal) है वो समय पर खुल ही नहीं पता है.
किसानों को पता ही नहीं चलता और इसका अनुदान किसी ख़ास आदमी को मिल जाता है। सब्सिडी(Subsidy) पाने के लिए अपने जिले के कृषि अधिकारी से संपर्क में रहें जिससे की जब भी किसी यन्त्र पर सब्सिडी(Subsidy) आती है तो आपको पता चल सके।
कंबाइन हार्वेस्टर मशीन(Combine Harvester Machine) की रेट 15 लाख से लेकर 40 - 45 लाख तक जाते हैं. इसकी कीमत इसके फीचर(Feature) पर निर्भर करता है. जिस मशीन(Machine) की ब्लेड ज्यादा बड़ा होगा वो काम समय में ज्यादा फसल की कटाई कर सकता है.
इससे भी कीमत बढ़ जाती है. आप हमारे एक्सपर्ट्स से भी इसकी कीमत और फीचर्स(Features) के बारे में पूछ सकते है. मेरीखेती वेबसाइट का उद्देश्य अपने किसान भाइयों को ज्यादा से ज्यादा और सटीक जानकारी देना है।
भारतीय स्टेट बैंक(State bank Of India) कृषि यत्रों के लिए लोन भी देती है. क्यों की ये सरकारी बैंक है तो आपको किसी भी तरह की छुपी हुई शर्तों से नहीं डरना है.
प्राइवेट बैंकों की तरह इनकी कोई छुपी हुई शर्तें नहीं होती हैं. आपको नीचे स्टेट बैंक का लोन की अप्लाई(Apply) के लिए लिंक भी दिया जा रहा है. जिससे आप ऑनलाइन भी लोन(Loan) की प्रक्रिया देख सकते हैं। SBI Loan Link:http://bit.ly/3osRjgX