वर्तमान समय में किसान भाई लगातार अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं ताकि वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। लेकिन कुछ समय से देखा गया है कि जबरदस्त मेहनत करने के बावजूद किसान भाइयों को परंपरागत फसलों से मुनाफा लगातार कम होता जा रहा है।
ऐसे में अब किसान भाई वैकल्पिक फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं। ये फसलें कम समय में ज्यादा मुनाफा देने में सक्षम हैं। ऐसी ही एक फसल है अदरक की फसल।
अदरक का उपयोग चाय से लेकर सब्जी, अचार में किया जाता है। इसलिए इस फसल की मांग बाजार में साल भर बनी रहती है। ऐसे में किसान भाई इस फसल को लगाकर अच्छी खासी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।
लेकिन फसल बोने के पहले मिट्टी की जांच करना आवश्यक है। जिस मिट्टी में अदरक की फसल लगाने जा रहे हैं उस मिट्टी का पीएच 6 से 7 के बीच होना चाहिए। इसके साथ ही खेत से पानी निकालने की भी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
खेत में जरूरत से अधिक पानी जमा होने पर यह फसल सड़ सकती है। जिससे किसान को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर मिट्टी की बात करें तो इसकी फसल के लिए बलुई दोमट सबसे उपयुक्त मानी गई है।
अगर बीज की मात्रा की बात करें तो एक हेक्टेयर में बुवाई के लिए 2 से 3 क्विंटल तक अदरक के बीज की जरूरत पड़ती है। बुवाई के बाद ढालदार मेड़ बनाकर बीजों को हल्की मिट्टी या गोबर की खाद से ढक दें। बीजों को ढकते समय पानी निकासी की व्यवस्था का ध्यान रखें।
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अदरक एक कंद है। इसलिए छाया में बोई गई फसल में अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा उपज होती है। कई बार यह उपज 25 प्रतिशत तक अधिक हो सकती है। साथ ही छाया में बोई गई अदरक में कंदों का गुणवत्ता में भी उचित वृद्धि होती है।
पलवार का उपयोग करने से बहुत हद तक खरपतवार पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है। पलवार के लिए काली पॉलीथीन के अलावा हरी पत्तियां लम्बी घास, आम, शीशम, केला या गन्ने के ट्रेस का भी उपयोग किया जा सकता है।
पलवार को फसल रोपाई के तुरंत बाद बिछा देना चाहिए। इसके बाद दूसरी बार बुवाई के 40 दिन बाद और तीसरी बार बुवाई के 90 दिन बाद बिछाना चाहिए।
जब अदरख के पौधों की ऊंचाई 20-25 सेमी हो जाए तो पौधों की जड़ों में मिट्टी चढ़ाना चाहिए। इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और अदरक का आकार बड़ा हो जाता है।
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इसके अलावा रासायनिक उर्वरकों में 75 किग्रा. नत्रजन, किग्रा कम्पोस्टस और 50 किग्रा पोटाश को प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते हैं।
इन उर्वरकों का प्रयोग करने के बाद प्रति हेक्टेयर 6 किग्रा जिंक का प्रयोग भी किया जा सकता है। इससे फसल उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है।
ऐसे में यह फसल किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होती है। यह एक बड़ा मुनाफा देने वाली फसल है। ऐसे में किसान भाई इस फसल को उगाकर लाखों रुपये बेहद आसानी से कमा सकते हैं।