भारत में टमाटर एक मुख्य सब्जी है, जिसे प्रतिदिन किचन में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसकी साल भर मांग रहती है। भारत में टमाटर को लगभग हर मौसम में उगाया जाता है।
यह एक व्यापारिक फसल है, जिसे सबसे पहले दक्षिण अमेरिका के पेरू में उगाया जाता था। इसके बाद इसका प्रसार दुनिया के अन्य देशों में हुआ।
अगर हम आलू को छोड़ दें तो यह दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है। टमाटर विटामिन ए, पोटेशियम और खनिजों से भरपूर होता है।
सब्जी के अलावा इसका उपयोग जूस, सूप, पाउडर और कैचअप बनाने भी किया जाता है। भारत में टमाटर का उत्पादन मुख्य तौर पर बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, महांराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में किया जाता है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि गर्मियों के मौसम में टमाटर की खेती किस तरह से करें ताकि आपको कम समय में ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो सके।
खेत का चयन करते समय ध्यान रखें कि वहां पानी के निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। टमाटर की फसल के लिए मिट्टी का पीएच मान 7-8.5 के बीच होना चाहिए। खारी मिट्टी में टमाटर की फसल के बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं।
इसके बाद खेत में मिट्टी के बेड बना लें। ध्यान रखें कि बेड की चौड़ाई 80 से 90 सेंटीमीटर के बीच होनी चाहिए। इसके बाद मिट्टी को सूरज की तेज धूप में कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें।
इससे मिट्टी में मौजूद कीट, जीव और रोगाणु नष्ट हो जाएंगे। अगर किसान भाई चाहें तो इसके लिए बेड के ऊपर पारदर्शी पॉलीथीन की परत भी लगा सकते हैं। जो कोटों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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नर्सरी में टमाटर के बीजों को 4 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं, इसके बाद उनके ऊपर थोड़ी मिट्टी डाल दें। बुवाई के बाद मिट्टी के बेड को प्लास्टिक शीट से ढक दें और स्प्रेयर के मदद से रोज सिंचाई करें।
बुवाई के 20 से 25 दिन बाद नर्सरी में टमाटर के पौधे तैयार हो जाते हैं। पौधों में कुछ पत्ते दिखाई देने लगते हैं। जब बुवाई के 30 दिन पूरे हो जाएं, तब एक बार पानी से सिंचाई करें और टमाटर की पौध को उखाड़ लें।
सिंचाई करने से मिट्टी नरम हो जाएगी और टमाटर के पौधों को उखाड़ने में आसानी होगी। रोपाई के पहले पौधे सूख न जाएं, इसके लिए पौधों को स्ट्रैपटोसाइकलिन घोल (1 ग्राम 40 लीटर पानी में मिलाकर) में भिगोएं।
सामान्य जगहों पर गर्मियों में टमाटर की फसल को प्राप्त करने के लिए आमतौर पर पौध की रोपाई मार्च और अप्रैल माह में की जाती है। जबकी नर्सरी फरवरी माह में ही लगा दी जाती है।
पहाड़ी इलाकों में नर्सरी मार्च-अप्रैल में बोई जाती है, जबकि पौध को अप्रैल-मई में खेत में स्थानांतरित किया जाता है।
टमाटर की अलग-अलग किस्मों के अनुसार एक पेड़ से दूसरे पेड़ का फासला 30 से लेकर 75 सेंटीमीटर तक रखना चाहिए। बरसात के मौसम में यह फासला 120 सेंटीमीटर से लेकर 150 सेंटीमीटर तक रखना चाहिए।
टमाटर की फसल को कीटों और बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए बीजों को उपचारित जरूर कर लें। इसके लिए थीरम या कार्बेनडाज़िम का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसके साथ ही उपचारित करने के लिए टराइकोडरमा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बीजों को उपचारित करने के बाद कुछ घंटों के लिए छांव में रख दें। इसके बाद नर्सरी में बीजों की बुवाई करें।
टमाटर की फसल में फूल निकलने के समय सिंचाई अवश्य करें। इससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा और पानी की उपलब्धता से फूल झड़ने की समस्या खत्म हो जाएगी। विशेषज्ञों द्वारा कहा जाता है कि हर 15 दिन में आधा इंच सिंचाई करने से पैदावार अधिक होती है।
तुड़ाई के बाद आकार और रंग के आधार पर टमाटर को अलग कर दिया जाता है। इसके बाद टमाटरों को बांस की टोकरियों या लकड़ी के बक्सों में पैक करके बाजार में भेज दिया जाता है। लंबी दूरी तक ले जाने के लिए टमाटरों को वातानुकूलित वाहन से भेजा जाता है ताकि टमाटर खराब न होने पाएं।