Published on: 15-Aug-2023
जैसा कि हम सब जानते हैं कि बैंगन एक ऐसी सब्जी है जिसकी हमेशा मांग बनी रहती है। इसका भाव सदैव 40 से 50 रुपये किलो के समीप रहता है। एक बीघे भूमि में बैंगन का उत्पादन करने पर 20 हजार रुपये के आसपास लागत आएगी।
दरअसल, लोगों का मानना है कि नकदी फसलों की खेती में उतना ज्यादा मुनाफा नहीं है। विशेष रूप से हरी सब्जियों के ऊपर मौसम की मार सबसे ज्यादा पड़ती है। वह इसलिए कि हरी सब्जियां सामान्य से अधिक बारिश, गर्मी एवं ठंड सहन नहीं कर पाती हैं। इस वजह से ज्यादा लू बहने, पाला पड़ने एवं अत्यधिक बारिश होने पर बागवानी फसलों को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचती है। हालाँकि, बेहतर योजना और आधुनिक ढ़ंग से सब्जियां उगाई जाए, तो इससे ज्यादा मुनाफा किसी दूसरी फसल की खेती के अंदर नहीं हैं। यही कारण है, कि अब महाराष्ट्र में किसान पारंपरिक फसलों के स्थान पर सब्जियों की खेती में अधिक परिश्रम कर रहे हैं।
किसान निरंजन को कितने लाख की आय अर्जित हुई है
आज हम आपको एक ऐसे किसान के विषय में जानकारी देंगे, जिन्होंने सफलता की नवीन कहानी रची है। बतादें, कि इस किसान का नाम
निरंजन सरकुंडे है और यह महाराष्ट्र के नांदेड जनपद के मूल निवासी हैं। सरकुंडे हदगांव तालुका मौजूद निज गांव जांभाला में पहले पारंपरिक फसलों की खेती किया करते थे। परंतु, वर्तमान में वह बैंगन की खेती कर रहे हैं, जिससे उनको काफी अच्छी आमदनी हो रही है। मुख्य बात यह है, कि निरंजन सरकुंडे ने केवल डेढ़ बीघा भूमि में ही बैंगन लगाया है। इससे उन्हें चार लाख रुपये की आय अर्जित हुई है।
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निरंजन को देख अन्य पड़ोसी गांव के किसान भी खेती करने लगे
निरंजन का कहना है, कि उनके समीप 5 एकड़ जमीन है, जिस पर वह पूर्व में पारंपरिक फसलों की खेती किया करते थे। परंतु, इससे उनके घर का खर्चा नहीं चल रहा था। ऐसे में उन्होंने डेढ़ बीघे खेत में
बैंगन की खेती चालू कर दी। इसके पश्चात उनकी तकदीर बदल गई। वह प्रतिदिन बैंगन बेचकर मोटी आमदनी करने लगे। उनको देख प्रेरित होकर उनके पड़ोसी गांव ठाकरवाड़ी के किसानों ने भी सब्जी का उत्पादन कर दिया। वर्तमान मे सभी किसान सब्जी की पैदावार कर बेहतरीन आमदनी कर रहे हैं।
निरंजन सरकुंडे ड्रिप इरिगेशन विधि से फसलों की सिंचाई करते हैं
सरकुंड के गांव में सिंचाई हेतु पानी की काफी किल्लत है। इस वजह से वह
ड्रिप इरिगेशन विधि से फसलों की सिंचाई करते हैं। उन्होंने बताया है, कि रोपाई करने के दो माह के उपरांत बैंगन की पैदावार हो जाती है। वह उमरखेड़ एवं भोकर के समीपवर्ती बाजारों में बैंगन को बेचा करते हैं। इस डेढ़ बीघे भूमि में बैंगन की खेती से निरंजन सरकुंडे को तकरीबन 3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ है। वहीं, डेढ़ बीघे भूमि में बैंगन की खेती करने पर 30 हजार रुपये की लागत आई थी। उनकी मानें तो फिलहाल वह धीरे- धीरे बैंगन का रकबा बढ़ाएंगे। पारंपरिक खेती की बजाए आधुनिक ढ़ंग से बागवानी फसलों का उत्पादन करना काफी फायदेमंद है।