कोविड-19 के प्रभाव के चलते इस बार धान की रोपाई के लिए मजदूरों का संकट हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। धान की सीधी बिजाई इसका श्रेष्ठ समाधान है।
धान की खेती सीधी बुवाई कम पानी वाले, जलभराव वाले एवं वर्षा आधारित खेती वाले सभी इलाकों में की जा सकती है।
धान ना तो तिलहन है ना दलहन है। दलहनी फसल में होती है जिनमें से तेल निकलता है यानी सरसों अरंडी तिल अलसी आदि।
दलहनी फसलें वह होती है जिनकी दाल बनाई जाती है यानी चना उर्दू मून मशहूर राजमा आदि। धान अनाज है खाद्यान्न है।
धान की सीधी बिजाई गेहूं जो जैसी फसलों की तरह ही की जाती है। बिजाई के लिए धाम को नर्सरी डालने की तरह ही 12 घंटे पानी में भिगोया जाता है उसके बाद जूट के बैग में अंकुरित होने के लिए रखा जाता है।
कार्बेंडाजिम 223 जैसे किसी फफूंदी नाशक से उपचारित किए हुए इस बीच को थोड़ा खुश्क करके बो दिया जाता।
इस तकनीकी से धान की फसल लगाने से उत्पादन लागत में भारी कमी आती है। 50 से 60% तक डीजल की बचत होती है। 30 से 40 फ़ीसदी श्रमिकों पर होने वाले खर्चे में बचत होती है।
उर्वरकों के उपयोग में भी इजाफा होता है। इस तरह धान की फसल लेने से जहरीली मीथेन गैस का उत्सर्जन भी बेहद कम हो जाता है जोकि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अहम है।
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धान की खेती बुवाई मानसून आने से 10 से 15 दिन पूर्व कर देनी चाहिए। इससे पूर्व खेत को तीन से चार बार एक एक हफ्ते के अंतराल पर गहरा जोतना चाहिए।
जुताई के बीच में अंतराल इसलिए रखना चाहिए ताकि जमीन ठीक से सीख जाए और उसमें मौजूद हानिकारक फफूंदी नष्ट हो जाएं। खेतों को कभी एक ही बार में तीन से चार बार नहीं जोतना चाहिए।
धान की सीधी बिजाई के लिए पूसा संस्थान की सुगंध 5, 1121, पीएचवी 71, नरेंद्र 97, एमटीयू 1010, एच यू आर 3022, सियार धान 100 किस्म प्रमुख हैं।
सीधी बिजाई के लिए मोटे धान की 20 से 25 किलोग्राम बीज एवं बारीक धान की 10 से 12 किलोग्राम बीज को अंकुरित करके बोया जा सकता है।
धान की सीधी बिजाई के लिए आखरी जुताई की समय 50 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश एवं 25 किलोग्राम जिंक को आखरी जुताई में मिला देना चाहिए।
जिंक और फास्फोरस को एक साथ नहीं मिलाना चाहिए अन्यथा फास्फोरस निष्प्रभावी हो जाता है। 100 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन की जरूरत होती है इसकी एक तिहाई मात्रा जुताई में मिला दें बाकी फसल बढ़वार के लिए प्रयोग में लाएं।
धान की सीधी बुवाई के बाद पेंडा मैथलीन दवा की एक किलोग्राम मात्रा को पर्याप्त पानी में घोलकर बुवाई के 24 घंटे के अंदर मिट्टी पर छिड़क देना चाहिए ताकि खरपतवार उगें ही नहीं।
फसल बढ़वार के समय उगने वाले खरपतवार को मारने के लिए नॉमिनी गोल्ड दवा का छिड़काव करें।