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इस औषधीय पौधे की खेती करने के लिए सरकार देती है 75 फीसदी सब्सिडी, योजना का लाभ उठाकर किसान बनें मालामाल

Published on: 25-Mar-2023

देश के साथ दुनिया में इन दिनों औषधीय पौधों की खेती की लगातार मांग बढ़ती जा रही है। इनकी मांग में कोरोना के बाद से और ज्यादा उछाल देखने को मिला है क्योंकि लोग अब इन पौधों की मदद से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना चाहते हैं। 

जिसको देखेते हुए केंद्र सरकार ने इस साल 75 हजार हेक्टेयर में औषधीय पौधों की खेती करने का लक्ष्य रखा है। सरकारी अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि पिछले ढ़ाई साल में औषधीय पौधों की मांग में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है जिसके कारण केंद्र सरकार अब औषधीय पौधों की खेती पर फोकस कर रही है। 

किसानों को औषधीय पौधों की खेती की तरफ लाया जाए, इसके लिए सरकार अब सब्सिडी भी प्रदान कर रही है। राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में औषधीय पौधों की खेती पर राज्य सरकारें भी अलग से सब्सिडी प्रदान कर रही हैं।

75 फीसदी सब्सिडी देती है केंद्र सरकार

सरकार ने देश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक योजना चलाई है, जिसे 'राष्ट्रीय आयुष मिशन' का नाम दिया गया है। 

इस योजना के अंतर्गत सरकार  औषधीय पौधों और जड़ी बूटियों के उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस मिशन के अंतर्गत सरकार 140 जड़ी-बूटियों और हर्बल प्लांट्स की खेती के लिए अलग-अलग सब्सिडी प्रदान कर रही है।

यदि कोई किसान इसकी खेती करना चाहता है और सब्सिडी के लिए आवेदन करता है तो उसे 30 फीसदी से लेकर 75 फीसदी तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। 

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अगर किसान भाई किसी औषधीय पौधे की खोज रहे हैं तो वह करी पत्ता की खेती कर सकते हैं। करी पत्ता का इस्तेमाल हर घर में मसालों के रूप में किया जाता है। 

इसके साथ ही इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटी के तौर पर किया जाता है, साथ ही इससे कई प्रकार की दवाइयां भी बनाई जाती हैं। जैसे वजन घटाने की दवाई, पेट की बीमारी की दवाई और एंफेक्शन की दवाई करी पत्ता से तैयार की जाती है।

इस प्रकार की जलवायु में करें करी पत्ता की खेती

करी पत्ता की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे बेहतर मानी जाती है। इसकी खेती ऐसी जगह पर करनी चाहिए जहां सीधे तौर पर धूप आती हो। इसकी खेती छायादार जगह पर नहीं करना चाहिए।

करी पत्ता की खेती के लिए इस तरह से करें भूमि तैयार

करी पत्ता की खेती के लिए PH मान 6 से 7 के बीच वाली मिट्टी उपयुक्त होती है। इस खेती में किसान को खेत से उचित जल निकासी की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। इसके साथ ही चिकनी काली मिती वाले खेत में इन पौधों की खेती नहीं करना चाहिए। 

सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करना चाहिए, इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर दें। इसके बाद हर चार मीटर की दूरी पर पंक्ति में गड्ढे तैयार करें। गड्ढे तैयार करने के बाद बुवाई से 15 दिन पहले गड्ढों में जैविक खाद या गोबर की सड़ी खाद भर दें। 

इसके बाद गड्ढों में सिंचाई कर दें। भूमि बुवाई के लिए तैयार है। करी पत्ता के पौधों की रोपाई वैसे तो सर्दियों को छोड़कर किसी भी मौसम में की जा सकती है। लेकिन मार्च के महीने में इनकी रोपाई करना सर्वोत्तम माना गया है। 

करी पत्ता की बुवाई बीज के साथ-साथ कलम से भी की जा सकती है। अगर किसान बीजों से बुवाई करने का चयन करते हैं तो उन्हें एक एकड़ में बुवाई करने के लिए करी पत्ता के 70 किलो बीजों की जरूरत पड़ेगी। 

यह बीज खेत में किए गए गड्ढों में बोए जाते हैं। इन बीजों को गड्ढों में 4 सेंटीमीटर की गहराई में लगाने के बाद हल्की सिंचाई की जाती है। इसके साथ ही जैविक खाद का भी प्रयोग किया जाता है।

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