बाजरा और बाजरा उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए और सरकार द्वारा पोषक अनाजों के बाजरा क्षेत्र के विकास पर ध्यान देने के चलते, एपीईडीए, भारतीय अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) और राष्ट्रीय पोषण संस्थान सीएफटीआरआई जैसे अन्य हितधारकों और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के साथ मिलकर बाजरा और बाजरा उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए पांच साल की सापेक्ष योजना बनाने की एक रणनीति तैयार कर रहा है। इस संबंध में एपीईडीए द्वारा 2 दिसंबर 2020 को एपईडीए के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई।
एपीईडीए पांच वर्षों की अवधि के लिए बाजरा और बाजरा उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए अर्थात् लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सभी संबंधित हितधारकों को समयबद्ध तरीके से आवश्यक कार्रवाई करने में सक्षम बनाने के लिए एक सापेक्ष कार्य योजना तैयार कर रहा है।
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इसके अलावा, बाजरा समूहों की पहचान, किसानों को एकजुट करने के लिए मंच का निर्माण, एफपीओ, निर्यातकों, संघों, अन्य हितधारकों और भारतीय बाजरा के संवर्धन के लिए नए संभावित अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की पहचान के प्रयास किए जाएंगे।
बाजरा छोटे-बीज वाली घासों को वर्गीकृत करने के लिए एक सामान्य शब्द है, जिसे अक्सर पोषक-अनाज कहा जाता है, और इसमें सोरघम, पर्ल बाजरा, रागी, छोटा बाजरा, फॉक्सटेल बाजरा, प्रोजो बाजरा, बर्नी बाजरा, कोदो बाजरा और अन्य बाजरा शामिल हैं। बाजरा आम तौर पर छोटे बीज वाली फसलें हैं और उच्च पोषक मूल्य के लिए जानी जाती हैं। विभिन्न देशों में बाजरा की खपत फिर से बढ़ने से देश के भीतर हाल के वर्षों में इसके निर्यात की संभावनाएं बढ़ी हैं और उसी अनुपात में इसके उत्पादन में वृद्धि की उम्मीदें भी बढ़ी हैं।