1 जुलाई 2022 से भारत सरकार नें सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबन्ध (Single Use Plastic Ban) लगा दिया है, इसके कारण बाजार से प्लास्टिक की वस्तुएं गायब हो रही हैं. प्लास्टिक के इन्हीं उत्पादों में से एक "प्लास्टिक स्ट्रॉ" (Plastic Drinking Straw) है. प्लास्टिक ड्रिंकिंग स्ट्रॉ का उपयोग अक्सर पेय पदार्थो के लिए किया जाता है. प्लास्टिक की वस्तुओं पर बैन लगाने के सरकार के इस फैसले से देश में पेय पदार्थ उत्पादक कंपनियों को बहुत नुकसान हुआ है, और इसी का असर है कि अब प्लास्टिक ड्रिंकिंग स्ट्रॉ की जगह पर पेपर स्ट्रॉ (Paper Drinking Straw) की मांग में तेजी आई है. बाजार में पेपर स्ट्रॉ की बढ़ती मांग के कारण पेपर स्ट्रॉ निर्माण एक बड़े व्यवसाय का रूप लेता जा रहा है.
ये भी पढ़ें: गाय के गोबर से बन रहे सीमेंट और ईंट, घर बनाकर किसान कर रहा लाखों की कमाई एसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेपर स्ट्रॉ निर्माण बिजनेस का एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जिससे लाखों कि कमाई हो सकती है.
• सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय से रजिस्ट्रेशन • जीएसटी रजिस्ट्रेशन • रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज • फर्म का रजिस्ट्रेशन • दुकान अधिनियम लाइसेंस • IEC कोड (The Importer -Exporter Code (IEC)) • एक्सपोर्ट लाइसेंस • आग और सुरक्षा • ESI (Employees' State Insurance Corporation) इ.एस.आई. • प्रोविडेंट फंड (Provident fund (PF)) • प्रदूषण बोर्ड से No Objection Certificate • स्थानीय नगरपालिका प्राधिकरण से व्यापार लाइसेंस
किसी भी होटल, रेस्तरां या उत्सव में कोल्ड ड्रिंक, नारियल पानी या लस्सी के लिये स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जाता है. छोटे जूस व्यवसायियों से लेकर बड़ी बड़ी डेयरी या सॉफ्ट ड्रिंक कम्पनियां तक स्ट्रॉ का इस्तेमाल करती है. अब जब सरकार ने प्लास्टिक स्ट्रॉ पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया है, तो पेपर स्ट्रॉ की मांग और ज्यादा बढ़ गयी है.
ये भी पढ़ें: आप खेती में स्टार्टअप शुरू करना चाहते है, तो सरकार आपकी करेगी मदद
पेपर स्ट्रॉ निर्माण का व्यवसाय शुरू करने के लिए कुछ चीजों की आवश्यकता होती है, जिसमे सबसे जरूरी कागज रोल और स्ट्रॉ बनाने वाली मशीन, दूसरी पेपर कटिंग मशीन. इन चीजों से पेपर स्ट्रॉ का कारोबार प्रारंभ किया जा सकता है. इसके लिये रंग भी महत्वपूर्ण सामग्री होता है, जिससे स्ट्रॉ को रंगीन और आकर्षक बनाया जाता है.
पेपर स्ट्रॉ के निर्माण के बाद इसका सही ढंग से पैकेजिंग करना होता है ताकि बाज़ार तक पहुँचाया जा सके. 25, 50 या 100 की गिनती में स्ट्रॉ का एक-एक बंडल बनाया जा सकता है. पैकिंग सामग्री के क्षमतानुसार बंडल बनाया जाता है, जिसे बाजार में बिकने को भेजा जाता है.