एसएचसी योजना 2015 के दौरान लॉन्च की गई। इसका उद्देश्य प्रत्येक दो वर्षों में देश में प्रत्येक खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति का मूल्यांकन करना है। चक्र-I (2015-17) के दौरान 10.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड और चक्र-II (2017-19) के दौरान 11.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किये। सरकार ने एसएचसी योजना पांच वर्ष पहले लॉन्च किये जाने के बाद से अब तक 700 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये है। योजना के अंतर्गत वर्ष 2014-15 से अभी तक 429 नई स्थायी मृदा जांच प्रयोगशालाओं (एसटीएल), 102 नई मोबाइल एसटीएल, 8752 मिनी एसटीएल तथा 1562 ग्रामीण एसटीएल की स्वीकृति दी है। इन स्वीकृत प्रयोगशालाओं में से 129 नई स्थायी मृदा जांच प्रयोगशाला, 86 नई मोबाइल एसटीएल, 6498 मिनी एसटीएल तथा 179 ग्रामीण एसटीएल स्थापित की जा चुकी हैं।
सरकार पोषकतत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना लागू कर रही है तथा उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए कस्टमाइज्ड शक्तिवर्धक उर्वरकों को प्रोत्साहित कर रही है। सिफारिश की गई सब्सिडी दरें (रुपया/किलोग्राम में) वर्ष 2019-20 के दौरान एन, पी, के तथा एस के लिए क्रमश: 18.901, 15.216, 11.124 तथा 3.526 रुपये हैं। मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने तथा प्राथमिक पोषक तत्वों के साथ उनके उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए बोरॉन तथा जस्ता पर क्रमश: 300 रुपये और 500 रुपये प्रति टन की दर से अतिरिक्त सब्सिडी दी गई है। अभी तक एनबीएस योजना के अंतर्गत 21 उर्वरक लाये गये है। वर्तमान में सरकार द्वारा अधिसूचित 35 कस्टमाइज्ड तथा 25 शक्तिवर्धक उर्वरकों का उपयोग किया जा रहा है।
गांवों में पायलट परियोजना वर्ष 2019-20 के दौरान आदर्श गांवों के विकास की पायलट परियोजना प्रारंभ की गई है, जिसमें किसानों के व्यक्तिगत जमीन के मिट्टी के नमूने नमूना संग्रह ग्रिड के स्थान पर किसानों की भागीदारी से एकत्र किये गये हैं। पायलट परियोजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक से एक गांव को लिया जाता है और वहां मिट्टी के नमूने जमा किए जाते हैं और उनकी जांच होती है। इस तरह प्रत्येक गांव में अधिकतम 50 जांच प्रदर्शनियों (एक हेक्टेयर रकबा) का आयोजन होता है। अब तक राज्यों और केन्द्र शासित देशों में 6,954 गांवों की पहचान की है। इन गांवों से 26.83 लाख नमूने जमा करने का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें से 21.00 लाख नमूने जमा किए गए, 14.75 लाख नमूनों का मूल्यांकन किया गया और 13.59 लाख कार्ड किसानों को दिए गए। इसके अलावा राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए 2,46,979 मृदा जांच प्रदर्शनियां और 6,951 किसान मेले मंजूर किए गए हैं।
अगले पांच वर्षों के दौरान मिट्टी के नमूने लेने और उनकी जांच करने के लिए चार लाख गांवों को दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव है। इस दौरान 2.5 लाख मृदा जांच प्रदर्शनी, 250 ग्राम स्तरीय मृदा जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना, आईसीपी स्पेक्ट्रोमीटर से लैस 200 मृदा जांच प्रयोगशालाओं को सक्षम बनाना तथा 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म पोषक तत्वों को प्रोत्साहन देना भी इसमें शामिल है। भारत की 1.27 अरब आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इस बात के मद्देनजर मिट्टी का उपजाऊपन कम होना चिंता का विषय है। यह बात और चिंतनीय हो जाती है क्योंकि हमारे यहां 86 प्रतिशत से अधिक सीमांत और छोटे किसान हैं।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड में 6 फसलों के लिए दो तरह के उर्वरकों की सिफारिश की गई है, इसमें जैविक खाद भी शामिल है। अतिरिक्त फसल के लिए भी किसान सुझाव मांग सकते हैं। एसएचसी पोर्टल से किसान अपना कार्ड प्रिंट करवा सकते हैं। इस पोर्टल पर 21 भाषाओं में खेती के बारे में सभी जानकारी उपलब्ध है। किसान अपने नमूनों की जांच के विषय में हर तरह की जानकारी www.soilhealth.gov.in पर प्राप्त कर सकते हैं तथा ‘स्वस्थ धरा से खेत हरा’ (यदि मिट्टी स्वस्थ है तो खेत हरा होगा) के मूलमंत्र को सार्थक बना सकते हैं।