Published on: 20-Sep-2023
काला अमरुद सिर्फ आमदनी के लिए ही नहीं बल्कि मानव सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। आज हम आपको इसके अद्भुत गुणों के साथ-साथ इसकी खेती की भी जानकारी देंगे।
हम सब अमरुद के संबंध में तो काफी अच्छे से जानते ही हैं। आज हम इसकी खेती को लेकर भी बहुत सी जानकारियों से परिचित हैं। परंतु, हम जिस अमरुद की चर्चा करने जा रहे हैं। वह सामान्य अमरुद की श्रेणी से अलग है और इतना ही नहीं इस अमरुद का रंग भी बाकी अमरुद से पूर्णतय भिन्न है।
भारत के अंदर काला अमरुद इन जगहों पर उगाया जाता है
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अमरुद का उत्पादन भारत के उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में किया जाता है। परंतु, यदि बाकी अमरूदों से इसकी तुलना करें तो यह बेहद ही कम मात्रा में उगाया जाता है। इस पौधे की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि काले रंग में यह अमरुद ही नहीं होता बल्कि इसके पत्ते और पेड़ में भी आपको कालिमा स्पष्ट तौर पर दिखाई देगी। यदि हम इस अमरुद के भाव की बात करें तो यह बाकी अमरूदों की तुलना में सबसे अधिक होती है।
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काले अमरुद में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि काले अमरुद में अगर हम पोषक तत्वों की बात करें तो यह एक औषधीय फल है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ यदि हम इसके बाकी तत्वों की बात करें तो इसके अंदर विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन के साथ-साथ और भी बहुत से मल्टीविटामिन तथा मिनरल्स होते हैं। एक तरह से हम कह सकते हैं, कि यह अमरुद हमारे शरीर के लिए पूर्ण रूप से एक आयुर्वेदिक औषधी का कार्य करती है।
काले अमरूद की खेती कैसे की जाती है
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अमरुद की खेती करने के लिए सर्वोत्तम समय ठण्ड का मौसम होता है। अगर आप मृदा की जांच करा कर इस पौधे को सही तरीके से बोते हैं, तो यह 2 से 3 साल में ही आपको फल देने लग जाता है। सामान्य रूप से इस पौधे के लिए दोमट मृदा सबसे अनुकूल होती है। आप इनके 1 से 3 वर्ष के पौधों में 10 से 20 किलो तक गोबर की खाद का उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही सिंगल सुपर फास्फेट 250 से 750 ग्राम और म्यूरेट ऑफ पोटाश 200 से 400 ग्राम का इस्तेमाल करना चाहिए। हम इनके बेहतरीन विकास के लिए यूरिया 50 से 250 ग्राम और जिंक सल्फेट 25 ग्राम प्रति पौधा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इन सब के उपरांत भी यदि आपके अमरुद के पेड़ में फूल नहीं आ रहे हैं, तो आप इसमें यूरिया अथवा एथेफॉन-यूरिया स्प्रे की उच्च सांद्रता का इस्तेमाल करें। यह पौधों में एक प्रेरक का कार्य करता है।