कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्विद्यालय वाराणसी में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन परियोजना, राई एवं सरसों अनुसंधान संस्थान भरतपुर, के तहत किसान गोष्ठी एवं बीज वितरण कार्यक्रम का अयोजन किया गया, जिसमें विशिष्ट अतिथि राई एव सरसों निर्देशालय के निदेशक डॉं. पी के राय, कृषि विज्ञान संस्थान वाराणसी के वैज्ञानिक एवं परियोजना के संचालक डॉक्टर कार्तिकेय श्रीवास्तव, परियोजना के सस्य वैज्ञानिक डॉक्टर राजेश सिंह, पादप रोग विज्ञान के अध्यक्ष डॉक्टर श्याम सरन वैश्य, परियोजना सहायक डॉक्टर अदिती एलिजा तिर्की, अरविंद पटेल शोध छात्र दिव्य प्रकाश ,साहिल गौतम शामकुवर एव वाराणसी मीरजापुर के 100 प्रगतिशील किसान मौजूद रहे।
इस कार्यक्रम में डॉक्टर पी के राय ने बताया कि किसान भाई, किसान समूह बना कर तेल निकालने वाली मशीन लगा कर अपने फसल का प्रसंकरण कर, खुद का उत्पाद बना कर बाजार में उसका विपरण करें, जिससे आय को दुगुना किया जा सकता है। इसी के साथ साथ उन्होंने बताया सरसों की फसल को सहफसली न करें, एकल फसल लगाएं। सरसों के साथ मधुमक्खी पालन करें, जिससे 10-15 प्रतिशत उत्पादन में बृद्धि होगी।
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वहीं कृषि विज्ञान संस्थान के परियोजना संचालक डॉक्टर कार्तिकेय श्रीवास्तव ने कहा, सिंचित और असिंचित दशा में समय और देर से बुवाई करने वाली उन्नतिशील प्रजातियों एवं सरसों पंक्ति विधि से बुवाई कर के किसान भाई अधिक उत्पादन कर सकते हैं। इन्होंने समय से बुवाई के लिए गिरिराज (Mustard Giriraj Variety), वरुणा (Varuna), आर. एच् 725 (RH 725), RH-749 । बिलम्ब से बुवाई के लिए बृजराज, एन आर सी एच बी 101 प्रजाति की संतुति की।
पादप रोग विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर श्याम सरन वैश्य ने राई एवं सरसो में लगने वाले विभिन्न रोग के लक्षण एवं उसके निदान के बारे में बताया और कृषि विज्ञान संस्थान के सस्य वैज्ञानिक डॉक्टर राजेश सिंह ने सरसों की सस्य क्रियाकलाप सिंचाई एवं कितना रासायनिक और जैव उर्वरक का प्रयोग करें इस पर बल दिया। उपस्थित कुछ प्रगतिशील किसान ने अपनी समस्याओं को बताया और उसका समाधान वहां उपस्थित वैज्ञानिकों ने किया । इस कार्क्रम के उपरांत 100 किसानों को गिरिराज एवं बृजराज प्रजाति का बीज वितरित किया गया।