Published on: 14-Dec-2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय को दोगुना करने का एक मिशन बनाया है, जिसके तहत किसानों को नई तरीके से फसल उगाने और अलग अलग तरह की फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
केला और टमाटर के बाद अब आलू के उत्पादन में भी बाराबंकी के पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा क्रांति ला रहे हैं। वह 56 इंच की बेड बनाकर एक एकड़ में 200 क्विंटल से अधिक आलू का उत्पादन कर रहे हैं। राम सरन वर्मा की यह नई तकनीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुना करने के मिशन में मील का पत्थर भी साबित हो रहा है। साथ ही इस तकनीक में पानी की मात्रा भी काफी कम लगती है, तो बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है।
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क्या है आलू उगाने की 56 इंच तकनीक
सामान्य तौर पर आलू उगाने के लिए अलग-अलग क्यारियां बनाई जाती हैं और उसमें आलू को लगा देने के बाद नालियां बनाई जाती हैं। इस तकनीक में एक क्यारी में एक बीज ही पड़ता है और जिसकी मोटाई करीब 12 से 14 इंच रहती है। इस तकनीक के तहत बहुत ज्यादा आलू नहीं उगाए जा सकते हैं और अगर 1 एकड़ की बात की जाए तो उसमें सिर्फ 100 से 120 क्विंटल आलू की ही पैदावार हो पाती है। लेकिन इन सबसे अलग बाराबंकी के पद्मश्री किसान राम सरन वर्मा ने 56 इंच चौड़ी बेड बनाकर उसमें आलू की दो लाइन की बोआई की है। बेड की चौड़ाई उन्होंने 56 इंच रखी है और इसलिये इसका नाम भी उन्होंने 56 इंच तकनीक दिया है। इसके अलावा इस तकनीक का एक बहुत बड़ा फायदा यह है, कि इसमें भले ही बारिश हो या किसी भी तरह की प्राकृतिक स्थिति उत्पन्न हो जाए इससे फसल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है।
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40% तक बढ़ा है उत्पादन
रामसरन का कहना है, कि पिछले साल के मुकाबले आलू का उत्पादन लगभग 40% तक बढ़ गया है। इसमें फसल को ज्यादा नुकसान भी नहीं होता है इसलिए उत्पादन अच्छा खासा रहता है और मुनाफा भी बढ़िया बन जाता है।
सूत्रों से पता चला है, कि राम सरन वर्मा ने इस नई तकनीक से 180 एकड़ में आलू की बुआई की है, जिसमें उन्होंने एक एकड़ में 40 ग्राम के 40 हजार आलू के बीज डाले हैं। सामान्यतः किसान एक बीघा जमीन में दो बोरी भी डाल देते हैं, लेकिन इस तकनीक के माध्यम से एक बोरी में ही काम चल जाता है। रामसरन की सलाह के अनुसार अच्छी पैदावार के लिए किसानों को 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच बुआई कर लेनी चाहिए।