धान की पराली आम जन, किसान और सरकार तीनों के जीका जंजाल बन रही है। हरियाणा, पंजाब से घिरी देश की राजधानी दिल्ली तो जैसे पारली जलने के दौरान धुंध की चादर में लिपट जाती है। इसके समाधान के रूप में नई मशीन हैप्पीसीडर आई है। यह धान के खेत में पाराली के डिस्पोजल से लेकर बिजाई तक का सारा काम एक ही बार में कर देती है।
पराली व गेहूं के डंठल किसान खेत में ही जला देते हैं। इससे वायु प्रदूषण तो बढ़ता ही है, साथ मृदा की उपरी सतह जलने से जीवाश्म, जिंक, कार्बन आदि सूक्ष्म तत्व जल जाते हैं। किसानों की अपनी मजबूरी है। पालतू पशु न होने के कारण किसान पराली का प्रयोग चारे के रूप में नहीं करते। इसके अलावा गरीब किसानों के पास इसे रखने का ठौर ठिकाना नहीं होता। इसके चलते ज्यादातर पराली को जलाना मजबूरी होती है। किसान पराली को न जलाएं तो इसे उठाना बड़ी समस्या बन जाता है। पहले तो मजदूर नहीं मिलते। मिल भी जाएं तो पैसा बहुत खर्च होता है।
ये भी पढ़ें: इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है
वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि इसे खेत की जुताई में काटकर यूरिया बुरक दें और पाली लगा दें तो यह 15 दिन में सड़कर खाद बन जात है लेकिन हर किसान के पास पानी का साधन नहीं। हैभी तो जुताई और पानी पर अतिरिक्त खर्च क्यों किया जाए। इन्हीें सब कारणों से सरल काम जलाने के रूप में सामने आता है। इस बार कोर्ट के आदेशों के चलते किसानों के खिलाफ एफआईआर व जुर्माने की कार्यवाही की गई है। इसका असर किसानों पर भी हुआ है । इधर मशीन सुपरसीडर ने इस समस्या का समाधान दे दिया है। अभी तक तीन चार मशीनों के प्रयोग के बाद पराली को खेत में कतरने के बाद बिजाई हो पाती थी। अब ऐसा नहीं होगा। खास बात यह है कि पंत विवि ने पराली व डंठल को बिना जलाए खेती करने के लिए मशीन ईजाद की है, मगर सरकार या किसी कंपनी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जब कोर्ट ने सख्ती की तो लोगों को बात समझ में आई। एक कंपनी ईजाद मशीन को बनाने के लिए अनुबंध करने को इच्छा जताई है। विवि में 14 नवंबर को अनुबंध होने की संभावना जताई जा रही है। यदि निर्माण होता है तो विवि की एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ जाएगी।
सुपर सीडर की खासियत है कि एक बार की जुताई में ही बुवाई हो जाती है। पराली की ग्रीन खाद बनने से खेत में कार्बन तत्व बढ़ा जाएगा और इससे अच्छी फसल होगी। इस विधि से बुवाई करने पर करीब पांच फीसद उत्पादन बढ़ेगा और करीब 50 फीसद बुवाई लागत कम होगी। पहले बुवाई के लिए चार बार जुताई की जाती थी। लेबर भी ज्यादा लगती थी। सुपर सीडर में रोटावेटर, रोलर व फर्टिसीडड्रिल लगा है। सपुर सीडर को ट्रैक्टर के साथ 12 से 18 इंच खड़ी पराली के खेत में जुताई करते हैं। रोटावेटर पराली को मिट़टी में दबाने, रोलर समतल करने व फर्टिसीडड्रिल खाद के साथ बीज की बुवाई करने का काम करता है। दो से तीन इंच गहरे में बुवाई होती है। इतने सारे काम एकसाथ करने से किसानों को खेत में पानी लगाने व ओट आने जैसेी समस्याओं से मुक्ति मिल सकेगी।