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पंडाल तकनीकी से कुंदरू की खेती करके मिल रहा दोगुना उत्पादन

Published on: 17-Sep-2022

नई दिल्ली। सामान्यतः भारत में कुंदरू या कुंदुरी (Kundru, Coccinia grandis, Kovakka अथवा Coccinia indica or Coccinia Ivy Gourd) की बहुत ज्यादा लोकप्रियता नहीं है। लेकिन आज देश भर की मंडियों में कुदरु की अच्छी मांग है। मंडियों में बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों ने कुंदरू की खेती शुरू कर दी है। कुछ स्थानों पर पंडाल लगाकर कुंदरू की खेती की जा रही है। इससे किसान को फसल का दोगुना उत्पादन मिल रहा है। आंध्र प्रदेश के नरसारावपेट मंडल के गांव मुल्कालूरु के रहने वाले किसान आदित्य नारायन रेड्डी अपनी पत्नी सुशीला के साथ बीते 30 वर्षों से खेती कर रहे हैं। हर साल दोनों पति-पत्नी खेती में नए-नए प्रयोग करते हैं। उनके पास स्वंय की 3 एकड़ जमीन है, जिसमें वह सब्जियां ही उगाते हैं। इस साल उन्होंने अपने एक एकड़ खेत में पंडाल लगाकर कुंदरू की खेती की, जिसमें दोगुना उत्पादन हुआ। ये भी पढ़े: गर्मियों की हरी सब्जियां आसानी से किचन गार्डन मे उगाएं : करेला, भिंडी, घीया, तोरी, टिंडा, लोबिया, ककड़ी

पंडाल लगाने के लिए किसान ने बैंक से लिया था 2 लाख का लोन

अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाने और मेहनत को कम करने के लिए किसान आदित्य नारायण रेड्डी ने बैंक से 2 लाख रुपए का लोन लिया था, जिस पर आंध्र प्रदेश जल क्षेत्र सुधार परियोजना के तहत एक लाख रुपये की सब्सिडी मिली। इस तरह कुल 3 लाख रुपए की लागत से किसान ने अपने खेत पर पंडाल लगाया और आज उसी पंडाल के खेत में कुंदरु कर खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

अर्थ स्थाई पंडाल विधि से खेत में लगाया पंडाल

किसान आदित्य नारायण रेड्डी ने एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में अर्थ स्थाई पंडाल विधि (permanent pandals for Creeper vegetables cultivation) सीखकर, 3 लाख रुपए की लागत से अपने खेत में पंडाल लगाया। अर्थ स्थाई पंडाल लगाने से उनका उत्पादन दोगुना यानी 40 टन हो गया। कुंदरू की खेती में प्रति एकड़ लागत तकरीबन 2 लाख रुपये आती है और 40 टन माल को बेचकर करीब 3 लाख रुपए की आमदनी होती है। इस तरह प्रति एकड़ एक लाख रुपए मुनाफा हो जाता है। ये भी पढ़े: बारिश में लगाएंगे यह सब्जियां तो होगा तगड़ा उत्पादन, मिलेगा दमदार मुनाफा

पंडाल विधि में हर दो साल बाद बदलने होते हैं बांस

किसान आदित्य नारायण रेड्डी ने जानकारी देते हुए बताया कि पंडाल खेती में हर दो साल बाद पंडाल के बांस बदलने होते हैं, जिससे पंडाल सुरक्षित व मजबूत बना रहता है और फसल के लिए उपयोगी रहता है। उन्नत शील किसान आज पंडाल विधि से खेती करने के लिए दूसरे किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।

सुशीला रेड्डी को मिल चुका है जिले की सर्वश्रेष्ठ महिला का खिताब

किसान आदित्य नारायण रेड्डी की पत्नी सुशीला रेड्डी को साल 2010 में जिले की सर्वश्रेष्ठ महिला का खिताब मिल चुका है। आज सुशीला रेड्डी अपने क्षेत्र के किसानों को प्रशिक्षण देती हैं और खेती से जुड़ी जानकारियां देकर किसानों की मदद कर रहीं हैं।

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