तेज पत्ता एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है, जो भारतीय खाने में बहुत उपयोगी है। यह न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि औषधीय रूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
तेज पत्ता की मांग हर साल बनी रहती है, इसलिए यह एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है। तेज पत्ता की खेती के बारे में इस लेख में पूरी जानकारी दी जाएगी।
तेज पत्ता एक उष्णकटिबंधीय पौधा है और उसे गर्म और आर्द्र जलवायु चाहिए। 20-35 डिग्री सेल्सियस के तापमान में यह अच्छा विकसित होता है।
सालाना 150 सेमी से अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में यह अच्छी तरह से बढ़ता है। तेज धूप और ठंडी हवा इसके पौधों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
तेज पत्ता की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी (बलुई दोमट मिट्टी भी कह सकते हैं) सबसे अच्छी है। pH मान मिट्टी में 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
भारी मिट्टी में जलभराव से पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं। मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाने के लिए गोबर खाद और जैविक खाद का प्रयोग किया जाना चाहिए।
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तेज पत्ते की कई किस्में पाई जाती हैं, लेकिन मुख्य रूप से निम्नलिखित किस्में उगाई जाती हैं:
इनमें भारतीय तेज पत्ता सबसे अधिक सुगंधित और उच्च गुणवत्ता वाला माना जाता है।
तेज पत्ता की खेती के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, खेत को हर्रो या कल्टीवेटर से जोतकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें।
खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें, ताकि जलभराव पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाए। खेत में नीम खली, सड़ी हुई गोबर की खाद और जैविक खाद डालें। खरपतवारों को दूर करने के लिए खेत को साफ-सुथरा रखें।
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तेज पत्ते की खेती के लिए पौधे बीजों या कलमों से तैयार किए जा सकते हैं।
जब पौधे 20-30 सेमी ऊँचाई के हो जाते हैं, तो उनकी खेत में रोपाई की जाती है।
तेज पत्ते के पौधों को स्वस्थ और हरा-भरा बनाए रखने के लिए पोषण प्रबंधन आवश्यक है।
तेज पत्ता की खेती में सिंचाई का सही प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण होता है।
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तेज पत्तों की कटाई तब की जाती है जब वे पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं।
तेज पत्ता की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है, जिसे किसान आसानी से अपना सकते हैं। यदि जलवायु, मिट्टी, खाद, सिंचाई और कटाई का सही ध्यान रखा जाए, तो तेज पत्ते का उत्पादन अच्छा हो सकता है। इसकी बढ़ती मांग के कारण किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।