पारंपरिक खेती की जगह इस फूल की खेती किसानों को कर सकता है मालामाल

Published on: 11-Nov-2022

हाल के दिनों में आपको देखने को मिलता होगा कि पारंपरिक खेती से किसान अपना रुख बदल रहे हैं, क्योंकि पारंपरिक खेती में किसानों को लागत के अनुसार मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। 

विगत कुछ दिनों में आपको ये भी देखने को मिल रहा होगा कि किसान फूलों की खेती की तरफ अपना रुझान दे रहे हैं, क्योंकि उनको ऐसा लगता है कि फूलों की खेती में पारंपरिक खेती से ज्यादा मुनाफा मिल सकता है। 

इसके अलावा भी फूलों की खेती करने के पीछे किसानों की मंशा ये भी है कि आए दिन फूलों की मांग पूरे देश में काफी बढ़ गयी है। गौरतलब हो कि पूरे भारत में लगभग 2 लाख मैट्रिक टन फूल का उत्पादन किया जाता है।

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फूलों में भी आजकल जिस फूल की खेती सबसे ज्यादा की जा रही है वो है गुलाब (Gulab; Rose)। गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है, आपको बता दें कि इसका कारण यह नहीं है की सिर्फ इसको सजावट के लिए प्रयोग करते हैं। 

अपितु इसका बहुत सारा औषधीय प्रयोग भी है, जैसे कि गुलाब जल, गुलाब इत्र आदि। आपको यह जान कर भी हैरानी होगी कि किसान इस फूल को एक बार लगा कर इससे लगभग 10 साल तक फूलों का उत्पादन कर पैसा कमा सकते हैं।

आपको बताते चलें कि गुलाब की खेती के लिए किसान को किसी खास तरह की मिट्टी की बाध्यता नहीं है। किसान इसे किसी भी तरह के मिट्टी में उपजा कर अच्छा मुनाफा कमा सकता है। 

लेकिन अगर किसान बलुई या दोमट मिट्टी का प्रयोग करते हैं, तो फसल और भी अच्छी होगी। लेकिन अगर मिट्टी की उपज अच्छी हो या फिर इसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो तो उपज और भी अच्छी होती है। लेकिन किसान एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि इस मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

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अगर बात करें गुलाब के खेती के लिए जलवायु का तो इसके लिए जलवायु समशीतोष्ण किस्म का होना चाहिए। किसानों को यह भी ध्यान रखना होगा कि गुलाब की खेती के लिए गर्म जलवायु काफी नुकसानदेह हो सकता है, 

जिससे किसानों को नुकसान भी हो सकता है। आपको बता दें कि किसानों को गुलाब की खेती के लिए 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान से नीचे का तापमान अच्छी उपज दे सकता है। 

गौरतलब हो की पूरे भारत में गुलाब के किस्म की बात करें तो लगभग 20 हजार से ज्यादा है। लेकिन जिस किस्म का प्रयोग किसान आमतौर पर करते हैं, उनमें मोहनी, प्रेमा, डेलही प्रिंसेज नूरजहां आदि शामिल हैं।

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