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फसलों पर गर्मी नहीं बरपा पाएगी सितम, गेहूं की नई किस्मों से निकाला हल

Published on: 24-Feb-2023

फरवरी के महीने में ही बढ़ते तापमान ने किसानों की टेंशन बढ़ा दी है. अब ऐसे में फसलों के बर्बाद होने के अनुमान के बीच एक राहत भरी खबर किसानों के माथे से चिंता की लकीर हटा देगी. बदलते मौसम और बढ़ते तापमान से ना सिर्फ किसान बल्कि सरकार की भी चिंता का ग्राफ ऊपर है. इस साल की भयानक गर्मी की वजह से कहीं पिछले साल की तरह भी गेंहूं की फसल खराब ना हो जाए, इस बात का डर किसानों बुरी तरह से सता रहा है. ऐसे में सरकार को भी यही लग रहा है कि, अगर तापमान की वजह से गेहूं की क्वालिटी में फर्क पड़ा, तो इससे उत्पादन भी प्रभावित हो जाएगा. जिस वजह से आटे की कीमत जहां कम हो वाली थी, उसकी जगह और भी बढ़ जाएगी. जिससे महंगाई का बेलगाम होना भी लाजमी है. आपको बता दें कि, लगातार बढ़ते तापमान पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था. इन सब के बीच अब सरकार के साथ साथ किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने वो कर दिखाया है, जो किसी ने भी सोचा भी नहीं था. दरअसल आईसीएआर ने गेहूं की तीन ऐसी किस्म को बनाया है, जो गर्मियों का सीजन आने से पहले ही पककर तैयार हो जाएंगी. यानि के सर्दी का सीजन खत्म होने तक फसल तैयार हो जाएगी. जिसे होली आने से पहले ही काट लिया जाएगा. इतना ही नहीं आईसीएआर के साइंटिस्टो का कहना है कि, गेहूं की ये सभी किस्में विकसित करने का मुख्य कारण बीट-द हीट समाधान के तहत आगे बढ़ाना है.

पांच से छह महीनों में तैयार होती है फसलें

देखा जाए तो आमतौर पर फसलों के तैयार होने में करीब पांच से छह महीने यानि की 140 से 150 दिनों के बीच का समय लगता है. नवंबर के महीने में सबसे ज्यादा गेहूं की बुवाई उत्तर प्रदेश में की जाती है, इसके अलावा नवंबर के महीने के बीच में धान, कपास और सोयाबीन की कटाई मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, एमपी और राजस्थान में होती है. इन फसलों की कटाई के बाद किसान गेहूं की बुवाई करते हैं. ठीक इसी तरह युपू में दूसरी छमाही और बिहार में धान और गन्ना की फसल की कटाई के बाद ही गेहूं की बुवाई शुरू की जाती है.

महीने के आखिर तक हो सकती है कटाई

साइंटिस्टो के मुताबिक गेहूं की नई तीन किस्मों की बुवाई अगर किसानों ने 20 अक्टूबर से शुरू की तो, गर्मी आने से पहले ही गेहूं की फसल पककर काटने लायक तैयार हो जाएगी. इसका मतलब अगर नई किस्में फसलों को झुलसा देने वाली गर्मी के कांटेक्ट में नहीं आ पाएंगी, जानकारी के मुताबिक मार्च महीने के आखिरी हफ्ते तक इन किस्मों में गेहूं में दाने भरने का काम पूरा कर लिया जाता है. इनकी कटाई की बात करें तो महीने के अंत तक इनकी कटाई आसानी से की जा सकेगी. ये भी पढ़ें: गेहूं पर गर्मी पड़ सकती है भारी, उत्पादन पर पड़ेगा असर

जानिए कितनी मिलती है पैदावार

आईएआरआई के साइंटिस्ट ने ये ख़ास गेहूं की तीन किस्में विकसित की हैं. इन किस्मों में ऐसे सभी जीन शामिल हैं, जो फसल को समय से पहले फूल आने और जल्दी बढ़ने में मदद करेंगे. इसकी पहली किस्म का नाम एचडीसीएसडब्लू-18 रखा गया है. इस किस्म को सबसे पहले साल 2016  में ऑफिशियली तौर पर अधिसूचित किया गया था. एचडी-2967 और एचडी-3086 की किस्म के मुकाबले यह ज्यादा उपज देने में सक्षम है. एचडीसीएसडब्लू-18 की मदद से किसान प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सात टन से ज्यादा गेहूं की उपज पा सकते हैं. वहीं पहले से मौजूद एचडी-2967 और एचडी-3086 किस्म से प्रति हेक्टेयर 6 से 6.5 टन तक पैदावार मिलती है.

नई किस्मों को मिला लाइसेंस

सामान्य तौर पर अच्छी उपज वाले गेंहू की किस्मों की ऊंचाई लगभग 90 से 95 सेंटीमीटर होती है. इस वजह से लंबी होने के कारण उनकी बालियों में अच्छे से अनाज भर जाता है. जिस करण उनके झुकने का खतरा बना रहता है. वहीं एचडी-3410 जिसे साल 2022 में जारी किया गया था, उसकी ऊंचाई करीब 100 से 105 सेंटीमीटर होती है. इस किस्म से प्रति हेल्तेय्र के हिसाब से 7.5 टन की उपज मिलती है. लेकिन बात तीसरी किस्म यानि कि एचडी-3385 की हो तो, इस किस्म से काफी ज्यादा उपज मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं एआरआई ने एचडी-3385 जो किसानों और पौधों की किस्मों के पीपीवीएफआरए के संरक्षण के साथ रजिस्ट्रेशन किया है. साथ ही इसने डीसी एम श्रीरा का किस्म का लाइसेंस भी जारी किया है. ये भी पढ़ें: गेहूं की उन्नत किस्में, जानिए बुआई का समय, पैदावार क्षमता एवं अन्य विवरण

कम किये जा सकते हैं आटे के रेट

एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर किसानों ने गेहूं की इन नई किस्मों का इस्तेमाल खेती करने में किया तो, गर्मी और लू लगने का डर इन फसलों को नहीं होगा. साथी ही ना तो इसकी गुणवत्ता बिगड़ेगी और ना ही उपज खराब होगी. जिस वजह से गेहूं और आटे दोनों के बढ़ते हुए दामों को कंट्रोल किया जा सकता है.

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