Published on: 06-Apr-2022
गर्मी का समय भारत मे बहुत सारी फसलों और पौधों को उगाने के लिए काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे मे यदि आप भी अच्छे फूलों वाले और अपने बाग/बगीचों को रंगीन बनाना चाहते है, तो यह समय बहुत ही अच्छा है, फूलों वाले पौधों को लगाने के लिए। दर - असल गर्मी के समय मे ज्यादा वस्पीकरण होने के कारण जलवायु मे परिवर्तन होता है जिससे पौधों का विकास अच्छे से होता है। आइये जानते हैं गर्मियों मे उगाए जाने वाले फूलों के पौधे की जानकारी।
इन पौधों को लगाने के लिए आप सबसे अच्छा समय मार्च माह से लेकर अप्रैल माह तक मान सकते है। क्योंकि इस समय ना ही तेज हवाएं चलती हैं और ना ही ज्यादा गर्मी होती है ऐसे मे आप एक शांत दिन चुनकर जीनिया , सदाबहार और बालसम जैसे पौधों की बुवाई रोपाई करना शुरू कर सकते हैं।
ऐसे मे आज हम आपको तीन ऐसे गर्मी की ऋतु में लगाए जाने वाले पौधों के बारे मे बताएंगे :- जीनिया सदाबहार और बालसम
जीनिया (Zinnia)
जीनिया बहुत ही खूबसूरत और रंगीन फूलों वाला बगीचे की शान बढ़ाने वाला फूल होता है। जीनिया काफी तेज गति से उगता है और इसे उगाने मे किसी भी प्रकार की ज्यादा परेशानी भी नहीं होती है।
जीनिया पौधे को हम वैज्ञानिक जोहान ट्वीट जिन के नाम से भी जान सकते हैं। जीनिया मे खूबसूरत फूल लगने के कारण यह सबसे ज्यादा तितलियों और अन्य कीड़ों मकोड़ों को बहुत ही ज्यादा लुभाता है। ऐसे मे कई सारी बीमारियां और पौधों मे फूल झड़ने और पौधों के मुरझाने का भी डर सताया रहता है।
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जीनिया की उत्पत्ति सबसे पहले उत्तरी अमेरिका मे हुई थी उसके बाद यह अन्य सभी देशों मे वितरित होने लगा। तो चलिए जानते हैं जीनिया पौधे की खेती हम किस प्रकार कर सकते हैं :-
1.जीनिया पौधे की सिंचाई इस प्रकार करें :-
जीनिया पौधे की सिंचाई हमेशा उसकी जड़ों पर की जाती हैं ना कि उसकी टहनियों शाखाओं और पत्तियों पर। क्योंकि यह पौधा बहुत कम समय में विकसित होने लगता है और ऐसे मे अगर हम पत्तियों पर पानी डालेंगे तो अन्य प्रकार के कीड़े मकोड़े और बीमारियां लगने का डर रहता है।
प्रति सप्ताह दो से तीन बार जीनिया की सिंचाई अवश्य रूप से करनी चाहिए। गर्मी की ऋतु में वाष्पीकरण से बचने के लिए जब जीनिया का पौधा बड़ा हो जाता है तो हम उसके आसपास पत्तियां और घास फूस डाल सकते हैं।
2. जीनिया पौधे की कटाई और बीजों का सही संग्रह इस प्रकार करें :-
जीनिया पौधे के बीजों को एकत्रित करने के लिए सबसे पहले आपको इस पौधे के बड़े-बड़े फूलों को नहीं काटना होगा। यदि आप इस पौधे के फूलों को काटना बंद नहीं करेंगे तो फिर बीज नहीं आएंगे। जब फूल एक बार बीज देना शुरू करें तब आप अपने हाथों द्वारा धीरे से मसलकर बीजों को किसी भी बर्तन मैं धूप में रख कर सुखा दें।
इस प्रकार आप जीनिया पौधे की कटाई और बीजों को एकत्रित कर पाएंगे।
3. जीनिया पौधे मे लगने वाले कीड़े और बीमारियों का समाधान इस प्रकार करें :-
पौधों में कीड़े लगना आम बात हैं चाहे वह जीनिया हो सदाबहार हो या फिर बालसम लेकिन जीनिया के पौधों में अक्सर कीड़े बहुत ही कम समय में पड़ने शुरू हो जाते हैं।
ऐसे में आप अच्छे से अच्छे कीटनाशकों का छिड़काव करें सप्ताह मे दो-तीन बार।
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जीनिया के पौधों मे पढ़ने वाले कीट पतंगों को हम अपनी आंखों से आसानी से देख सकते हैं ऐसे में आप सुबह सुबह जल्दी कीटनाशकों का छिड़काव करें और समय-समय पर पौधों को झाड़ते रहे।
गर्मियों मे उगाए जाने वाले फूलों के पौधे : सदाबहार
सदाबहार जिसका मतलब होता है हर समय खीलने वाला पौधा। सदाबहार एकमात्र ऐसा पौधा है जो भारत मे पूरे 12 महीना खिला रहता है। भारत मे इसकी कुल 8 जातियां हैं और इसके अलावा इसकी बहुत सारी जातियां बाहरी इलाकों जैसे मेडागास्कर मे भी पाई जाती हैं।
सदाबहार बहुत सारी बीमारियों जैसे जुखाम सर्दी आंखों में होने वाली जलन मधुमेह और उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में करने के लिए भी किया जाता है। यह बहुत ही लाभदायक और फायदेमंद पौधा होता है। भारत में इसे बहुत सारे इलाकों में सदाबहार और सदाफुली भी कहते हैं।
1. सदाबहार पौधे की बुवाई ईस प्रकार करें :-
सदाबहार पौधे की बुवाई करने के लिए सबसे पहले आप कम से कम 6 इंच की गहरी क्यारी तैयार करें। इससे पौधे को अच्छे से उगने में काफी सहायता होती हैं और इसकी जड़े भी मजबूत रहती हैं। जब आप इसकी रोपाई करें उससे पहले आप यह तय कर लें कि 1 इंच मोटी परत की खाद को मिट्टी के अंदर अच्छे से मिलाएं। सदाबहार पौधे की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय सितंबर माह से फरवरी माह के बीच में होता है। इस समय सदाबहार पौधे को ना ही ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती हैं और ना ही ज्यादा खाद उर्वरक की।
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2. सदाबहार पौधे की सिंचाई और खाद व्यवस्था इस प्रकार करें :-
सदाबहार पौधे की रोपाई करने के कम से कम 3 महीने के बाद आपको 20-20 दिनों के अंतराल से सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। सदाबहार पौधे को कम पानी की आवश्यकता होती हैं ऐसे मे अगर आप ज्यादा सिंचाई करेंगे तो यह इतना ज्यादा पानी सहन नहीं कर पाएगा और नष्ट होने की संभावना ज्यादा रहेगी। इसके आसपास किसी भी प्रकार के खरपतवार को ना रहने दे। अप्रैल माह से लेकर जुलाई माह तक सदाबहार पौधे की अच्छे से सिंचाई करना बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि इस समय गर्मी की ऋतु में बहुत ज्यादा वाष्पीकरण होता है। ऐसे मे पौधों को ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हैं। समय समय पर खाद और कीटनाशकों का छिड़काव करें ताकि पौधों मे किसी भी प्रकार का रोग या बीमारी ना लगने पाए।
3. सदाबहार पौधे की कटाई छटाई इस प्रकार करें :-
सदाबहार पौधा कम से कम 1 साल के समय के अंतराल में पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। सदाबहार पौधे के रोपाई के एक साल बाद आप तीन-तीन महीने के अंतराल में इसकी टहनियां पत्तियां और बीज और फलों को आप अलग-अलग तरीकों से एकत्रित करें। सबसे पहले आप इसके फलों को एकत्रित करें और अवांछित शाखाओं और टहनियों को हटा दें। फूलों से निकाले गए बीजों को आप गर्मी के मौसम में धूप में रख कर अच्छे से अंकुरित करना ना भूले।
बालसम
बालसम यानि की पेरू जिसका आमतौर पर सबसे ज्यादा उपयोग बवासीर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। बालसम की खेती संपूर्ण भारत मे की जाती है और सबसे ज्यादा इन राज्यों में कर्नाटक, बंगाल , उतर प्रदेश ,हरियाणा ,बिहार और पंजाब शामिल है।
इसकी पैदावार इन राज्यों में सबसे ज्यादा होती है।यह कैंसर और यूरिन से संबंधित बीमारियों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदे मंद है। साथ ही साथ बुखार , सर्दी , ठंडी और अन्य सर्द ऋतू की बीमारियों के लिए भी लाभदायक है।
बलसम की खेती के लिए सबसे अच्छा समय गर्मियों का होता है। मई और जुलाई माह के अंदर अंदर बालसम के पौधों की बुवाई कर दी जाती है।
बलसाम के पौधों के बीजों को संपूर्ण रूप से विकसित यानी की अंकुरित होने मैं 10-12 दिनों का समय लगता है।
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1. बाल सम के पौधे की बुवाई इस प्रकार करे :-
बालसम के पौधे को उगाने के लिए सबसे पहले आप यह देख ले कि
मिट्टी उपजाऊ हो और अच्छी हो।
प्रत्येक बालसम के पौधे को उगाने के लिए उनके बीच में कम से कम 30 से 40 सेंटीमीटर का अंतराल अवश्य रखें। इनकी बुआ जी आप अपने हाथों द्वारा भी कर सकते हैं या फिर हल द्वारा या ट्रैक्टर के द्वारा बड़े पैमाने पर भी कर सकते हैं। बुवाई से पहले बीजों को अंकुरित करना ना भूलें इससे कम समय में बीज विकसित होना शुरू हो जाते हैं।
2. बाल सम के पौधे की सिंचाई और उर्वरक व्यवस्था इस प्रकार करें :-
बालसम के पौधों की शुरुआती दिनों मे सिंचाई करना इतना ज्यादा आवश्यक नहीं होता है। जब इनके फूल आना प्रारंभ हो जाता है उसके बाद आप सप्ताह मे तीन चार बार अच्छे से सिंचाई करें। इसकी सिंचाई करते समय आप साथ में कीटनाशक भी डाल सकते हैं ताकि पौधे को कीट से बचाया जा सके। इसकी सिंचाई आप ड्रिप् माध्यम के द्वारा कर सकते हैं इससे पौधे की जड़ों में पानी जाएगा और ज्यादा वाष्पीकरण भी नहीं होगा। बालसम के पौधे के फूल लगने में लगभग 30 से 40 दिनों का समय लगता है।
3. बालसम के पौधों को कीट पतंगों और बीमारियों से इस प्रकार बचाएं :-
सूरज की रोशनी सभी पौधों को पूर्ण रूप से विकसित होने में काफी लाभदायक होती हैं और ऐसे मे बाल सम के पौधों को भी उगने के लिए सूर्य की धूप की बहुत आवश्यकता होती है। जितने भी कीड़े मकोड़े जो कि फूलों के अंदर टहनियों में छुपे रहते हैं वेद धूप के कारण नष्ट हो जाते हैं। यदि पौधे में कमजोरी यहां पर पत्तियां और टहनियां मुरझाने लगती हैं तो ऐसे में आप समझ जाइए कि किसी भी प्रकार की बीमारी लग चुकी है। ऐसे में आप कीटनाशक और खा दुर्गा सप्ताह में दो-तीन बार छिड़काव अवश्य करें। ऐसा करने से सभी कीट पतंग और अन्य बीमारियां पौधे को विकसित होने से नहीं रोक पाती हैं और पौधे का संपूर्ण रूप से विकास होता है।
आशा करते हैं की गर्मियों मे उगाए जाने वाले फूलों के पौधे की जानकारी आपके लिए उपयोगी हो ।