खुशखबरी: इस राज्य में कृषि संबंधित नयी नीति जारी करेगी राज्य सरकार

Published on: 08-Dec-2022

पंजाब सरकार ने प्रदेश में कृषि प्रणाली को बेहतर बनाने हेतु ३१ जनवरी २०२३ को नवीन कृषि नीति को जारी करने की योजना बनाई है। जानिए किसानों के हित में इसमें क्या क्या लाभ हैं। देश की कृषि अर्थव्यवस्था में पंजाब जो कि एक कृषि प्रधान राज्य है, जिसने अपना अहम योगदान दिया है। प्रदेश के किसान खाद्यान्न से लेकर बागवानी फसलों का भी अच्छा खासा उत्पादन कर रहे हैं। पंजाब राज्य के किसानों को भी विभिन्न समस्याओं से झूझना पड़ रहा है। इसी कारण से अब राज्य सरकार द्वारा बेहतरी हेतु नवीन कृषि नीतियों को जारी करने का निर्णय लिया गया है। इस संदर्भ में स्वयं पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल (Kuldeep Singh Dhaliwal ने अवगत किया है। पंजाब राज्य में किसान एवं कृषि श्रमिक आयोग द्वारा आयोजित किसान गोष्ठी के मौके पर पंजाब के कृषि विकास मॉडल-कुछ नीतिगत मुद्दे' से संबंधित संबोधन करते हुए कृषि मंत्री धालीवाल ने विस्तृत रूप से नवीन कृषि नीतियों से जुड़ी जानकारी दी हैं। हम इस लेख में यही जानेंगे कि नवीन कृषि नीति से पंजाब के कृषकों व कृषि हेतु विशेष क्या रहने वाला है।

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आखिर किन चीजों पर ध्यान केंद्रित करना है

किसान गोष्टी को संबोधित करते हुए पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल का कहना है कि पंजाब की भूगोल, मृदा स्वास्थ्य एवं कृषि में जल की उपलब्धता पर जोर देते हुए पंजाब की नवीन कृषि नीति जारी होगी जिसके लिए कार्य प्रारंभ हो चुका है, साथ ही अच्छे नतीजों हेतु देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, विशेषज्ञ एवं किसान संगठनों से जुड़कर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

किन क्षेत्रों में बेहतरी की आवश्यकता है

किसान गोष्ठी के दौरान 'पंजाब के कृषि विकास मॉडल-कुछ नीतिगत मुद्दे' पर संबोधन के दौरान पंजाब राज्य के कृषि मंत्री धालीवाल ने भूतपूर्व सरकारों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान समय में पंजाब पुरानी गलत नीतियों की वजह से आज पंजाब का पर्यावरण, उपजाऊ भूमि, शुद्ध जल, हवा पूर्णरूप से विपरीत स्थिति में है। राज्य में प्रदूषित जल, जहरीली हवा और बंजर भूमि होती जा रही है, जिसको बेहतर नीति एवं दृण निश्चय के साथ सख्ती से बेहतर बनाया जाएगा।

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प्राकृतिक खेती हेतु क्या नीति बनाई गयी है

कृषि मंत्री धालीवाल के अनुसार प्राकृतिक खेती हेतु विशेष रूप से कृषि नीति बनाने की घोषणा की है। धालीवाल का कहना है, कि कृषि में उर्वरक, रासायनिक खरपतवारनाशक दवाएं एवं कीटनाशकों से लोगों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो रही हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु जलवायु के अनुसार कार्य करना होगा, क्योंकि किसानों का कार्य केवल खेती-किसानी तक ही सीमित नहीं है। यह प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य से सम्बंधित विषय है। राज्य सरकार किसानों को मशीनीकरण की तरफ प्रोत्साहित कर रही है, जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें इसलिए किसानों को मशीनों का प्रयोग करना चाहिए।

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