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आवारा पशु और किसान

Published on: 29-Jun-2020
आवारा पशु और किसान
फसल बागवानी फसल करेला

किसान का नाम आते ही दिमाग में एक तस्वीर बनती है जैसे खेती करने वाला,फसल उगाने वाला और पशु पालने वाला एक दम हष्ट पुष्ट इंसान. यही इंसान बहुत सारी चुनौतियों से जूझता हुआ खेती करता है और अपने आप में बहुत धार्मिक और दूसरों की सहायता को तत्पर रहता है. इन्ही चुनौतियों में एक सबसे विकराल चुनौती है आवारा पशुओं की.जिनसे उसे अपने खेतों की रखवाली भी करनी है और अपने आप को भी बचा के रखना है कई बार ये आवारा पशु बहुत ही आक्रामक होते है और ये किसान पर हमला भी कर देते है. जब कोई नौकरी करने वाला आदमी रात को भोजन करने के बाद अपनी परिवार के साथ देश और दुनियां की राजनीती पर चर्चा कर रहा होता है तब ये किसान अपने खेत के चारो तरफ घूम घूम कर रखवाली कर रहा होता है,और सबसे बड़ी बात की उस किसान की ड्यूटी का कोई समय नहीं होता कई बार जब सर्दियों में पारा 2 से 3 डिग्री तक होता है तब ये सुबह के 3 - 3 बजे तक खेत की रखवाली कर रहा होता है. इसके लिए निचे दिया गया वीडियो देखें.

आवारा पशुओं के लिए जिम्मेदार कौन?

ये आवारा पशुओं की जो समस्या है ये उन्हीं किसानों के द्वारा छोड़े गए पशुओं से है. इसे जंगल में छोड़ने को सरकार या कोई अधिकारी नहीं आता है ये मेरे और तुम्हारे जैसे किसानों के द्वारा ही छोड़े जाते हैं. लेकिन कई बार हम अपने द्वारा किये गए गैर जिम्मेदारी वाले काम से नुकसान उठाते हैं. सबसे खास बात अगर किसान अपनी गाय या सांड को न छोड़े तो ये समस्या खुदबखुद समाप्त हो जाएगी. ये भी पढ़े: ठण्ड में दुधारू पशुओं की देखभाल कैसे करें सरकार द्वारा जो गौशाला चलाई जाती है उनकी देखरेख भी उन्हीं किसानों में से कोई करता है लेकिन उन पर भी आरोप लगते है की वो भी गायों को रात में छोड़ देते है. सरकार क्या कर सकती है ? वो गायों के लिए चारा और दाना की व्यवस्था कर देती है और करने वालों को तनख्वाह भी देती है लेकिन करना उन्हीं को पड़ेगा और वो भी कहीं न कहीं किसानों के बीच से ही आते है लेकिन फिर भी ये समस्या दूर नहीं होती है. [embed]https://www.youtube.com/watch?v=g-T6vu8cuwQ[/embed]

फसल में नुकसान

आवारा पशुओं के द्वारा हर फसल में नुकसान होता है चाहे वो पशु खाएं या खेत में बैठ जाये , निकल जाये इससे हर हाल में किसान का नुकसान होता है. आजकल धन की रोपाई चल रही है और आवारा पशु धान की पौध को खा जाती हैं, तो किसान को दुबारा से पौध के बड़े होने का इन्तजार करना पड़ता है. सामान्यतः धान की पौध को आवारा पशु नहीं खाते है लेकिन जब भूख लगी और और कुछ खाने को न हो तो वो कुछ भी खा जाती है. कहते है न की किसान का तो भगवान ही मालिक है.

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