टमाटर की इन किस्मों की खेती से किसान हो सकते हैं मालामाल, जानें टमाटर की खेती की पूरी विधि

Published on: 17-Oct-2022

टमाटर (Tomato; tamatar) एक ऐसी सब्जी है जिसका प्रयोग लगभग भारत के हर घर में किया जाता है। इसलिए टमाटर की फसल किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो सकती है क्योंकि इसकी बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने के लिए किसानों के पास हर मौसम में पर्याप्त मौके होते हैं। भारत में टमाटर की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश में की जाती है। यदि किसान टमाटर की खेती में उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करें तो इसकी खेती से अच्छी खासी कमाई की जा सकती है।

बाजार में उपलब्ध टमाटर की उन्नत किस्में

आजकल वैसे तो बाजार में टमाटर की बहुत प्रकार की किस्में उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ उन्नत किस्में भारतीय किसान बहुतायत से प्रयोग करते हैं, जिससे किसानों को आमदनी होने की संभावना बढ़ जाती है। बाजार में उपलब्ध टमाटर की उन्नत किस्मों में पंजाब छुहारा, पीकेएम 1, पूसा रूबी, पैयूर-1, शक्ति, पंत टी3, सोलन गोला, अर्का मेघाली, सएल 120, पूसा गौरव, एस 12, पंत बहार, पूसा रेड प्लम, पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा रूबी, सीओ-1, सीओ 2, सीओ 3, एस-12, अर्का सौरभ, अर्का विकास, अर्का आहूती, अर्का आशीष, अर्का आभा, अर्का आलोक, एचएस101, एचएस102, एचएस110, हिसार अरुण, हिसार ललिता, हिसार ललित, हिसार अनमोल, केएस.2, नरेंद्र टमाटर 1 और नरेंद्र टमाटर 2 प्रमुख हैं। इन किस्मों के साथ ही यदि हम टमाटर की संकर किस्मों की बात करें तो उनमें COTH 1 हाइब्रिड टमाटर, रश्मि, वैशाली, रूपाली, नवीन, अविनाश 2, MTH 4, सदाबहार, गुलमोहर, अर्का अभिजीत, अर्का श्रेष्ठ, अर्का विशाल, अर्का वरदान, पूसा हाइब्रिड 1, पूसा हाइब्रिड 2 और सोनाली प्रमुख हैं।

ये भी पढ़ें: सही लागत-उत्पादन अनुपात को समझ सब्ज़ी उगाकर कैसे कमाएँ अच्छा मुनाफ़ा, जानें बचत करने की पूरी प्रक्रिया

कितना हो सकता है उत्पादन

अगर किसान टमाटर की उन्नत किस्मों का उपयोग करता है, तो कुछ किस्मों में एक एकड़ में 500 क्विंटल तक टमाटर की पैदावार हो सकती है। जबकि सभी किस्मों में इतनी पैदावार नहीं होती। टमाटर की पैदावार मिट्टी की उर्वरता, मौसम, खाद, सिंचाई और देखभाल पर निर्भर करती है।

टमाटर की रोपाई का सही समय क्या है

यदि किसान सितंबर-अक्टूबर में टमाटर की रोपाई करना चाहते हैं तो इसकी नर्सरी जुलाई माह के अंत में तैयार कर लें। इसके बाद पौधे की रोपाई सितम्बर या अक्टूबर में करें। इसके साथ ही यदि किसान जनवरी माह में टमाटर की रोपाई करना चाहते हैं तो इसकी नर्सरी नवम्बर माह में तैयार कर लें। इसके बाद जनवरी या फरवरी में टमाटर की रोपाई प्रारम्भ कर दें।

कैसे तैयार करें टमाटर की पौध

टमाटर की खेती के लिए टमाटर की पौध को तैयार करना बेहद महत्वपूर्ण कार्य है, इसके लिए किसान को ऐसी नर्सरी बनाना चाहिए जहां पानी का ठहराव ना हो। नर्सरी बनाने के लिए किसान को जमीन से ऊपर 90 से 100 सेंटीमीटर चौड़ी और 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची मिट्टी एकत्र करना चाहिए और उसमें नर्सरी बनाना चाहिए, ऐसे में नर्सरी में पानी के ठहराव की संभावना कम हो जाती है। टमाटर के बीजों को नर्सरी में 4 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए। इसके बाद थोड़ी सिंचाई भी करना चाहिए ताकि नमी बरकरार रहे। जब नर्सरी में पौधे अंकुरित हो जाएं तो उसके बाद लगभग 5 सप्ताह का इन्तजार करना चाहिए। 5 सप्ताह के बाद पौधे 10-15 सेंटीमीटर लम्बे हो जायेंगे। जिनको सावधानी से खेत में रोपाई करना चाहिए।

टमाटर की खेती में विशेष ध्यान रखने वाली चीजें

टमाटर की खेती के लिए इस्तेमाल की जा रही जमीन का पीएच मान 7 से 8.5 के बीच होना चाहिए। इस खेती के लिए काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी बेहद अच्छी मानी जाती है। इस प्रकार की मिट्टियों में टमाटर की फसल ज्यादा अच्छी होती है। यदि टमाटर गर्मियों के मौसम में लगाया गया है, तो हर सप्ताह सिंचाई आवश्यक है। जबकि सर्दी के मौसम में लगाए गए टमाटर में 15 दिनों में सिंचाई की जा सकती है। टमाटर की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए समय-समय पर खेत में निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए।

टमाटर की खेती में किस प्रकार से इस्तेमाल करें खाद एवं उर्वरक

टमाटर की खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल बहुतायत से किया जाता है। इसके अलावा किसान प्रति हेक्टेयर नेत्रजन-100 किलोग्राम, स्फूर-80 किलोग्राम तथा पोटाश-60 किलोग्राम के हिसाब से रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें: टमाटर की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

टमाटर की खेती में किस प्रकार से करें खरपतवार का नियंत्रण

टमाटर की खेती में पानी की सिंचाई होती रहती है, जिससे खरपतवार को फलने फूलने में सहायता मिलती है। इसके नियंत्रण के लिए किसान भाई निराई-गुड़ाई के आलावा खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान भाई ‘लासो’ खरपतवार नाशी का 2 किलोग्राम/हैक्टेयर कि दर से छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा टमाटर की रोपाई के 4-5 दिन बाद स्टाम्प का भी 1 किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे खरपतवार की समस्या का पूर्ण समाधान हो जाता है और फसल के ऊपर किसी भी प्रकार का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।

Ad