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थनैला रोग को रोकने का एक मात्र उपाय टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट (Teatasule Liquid (Spray Kit))

Published on: 11-Jul-2022

डेयरी कैटल अर्थात दुधारू पशु, डेयरी उद्योग या पशुपालन की रीढ़ होती है, लेकिन इन पशुओं में आए दिन कई तरह के रोग होने का खतरा बना रहता है. इसमे सबसे अधिक खतरा थनैला रोग (Thanaila Rog) से होता है, जिसको लेकर पशुपालक हमेशा परेशान रहते हैं. थनैला रोग केवल पशुओं को ही बीमार नहीं करता बल्कि, पशुपालकों को भी आर्थिक रूप से बीमार कर देता है. पशु के थन में सूजन, थान (अयन) का गरम होना एवं थान का रंग हल्का लाल होना आदि थनैला रोग की प्रमुख पहचान है. थनैला रोग का संक्रमण जब बढ़ जाता है तो दूध निकलने का रास्ता सिकुड़ कर पतला और बारीक हो जाता है, जिससे दूध निकलने में परेशानी होती है. साथ ही दूध का फट के आना, मवाद आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

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क्यों होता है दुधारु पशुओं में थनैला रोग ?

दुधारू पशुओं को थनैला रोग थनों में चोट लगने, थन पर गोबर के लगने, मूत्र अथवा कीचड़ के संक्रमण होने से होता है. वहीं दूध दुहते समय साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देने से और पशु बाड़े की नियमित रूप से साफ-सफाई न करने से भी यह संक्रमण होता है. ज्ञात हो कि जब मौसम में नमी अधिक होती है या वर्षाकाल का मौसम होता है, तब इस रोग का प्रकोप और भी बढ़ जाता है.

थनैला रोग की रोकथाम के उपाय

दुधारू पशुओं में थनैला रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत निकट के पशु चिकित्सालय या पशु चिकित्सक से परामर्श करनी चाहिए. थनैला रोग में होम्योपैथिक पशु दवाई भी बहुत कारगर है.

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होम्योपैथिक पशु दवाई की प्रमुख कंपनी गोयल वेट फार्मा प्राइवेट लिमिटेड ने पशुओं में बढ़ते थनैला रोग के संक्रमण को रोकने के लिए टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट का निर्माण किया है जो बेहद असरदार है. टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट - (Teatasule Liquid (Spray Kit)) थनेला रोग के उपचार के लिए बेहतरीन व कारगर होम्योपैथिक पशु औषधि माना जाता है. यह मादा पशुओं के थनैला रोग के सभी अवस्था के लिए असरदार होम्योपैथिक दवाई है. यह दूध के गुलाबी, दूध में खून के थक्के, दूध में मवाद के कारण पीलापन, दूध फटना, पानी जैसा दूध होना तथा थान का पत्थर जैसा सख़्त होना जैसे स्थिति में बहुत प्रभावी है.

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टीटासूल लिक्विड स्प्रे कैसे किया जाता है इस्तेमाल

टीटासूल के एक पैक में टीटासूल नंबर -1 तथा टीटासूल नंबर-2 की 30 मिली स्प्रे बोतल होती है, जिसे रोगग्रस्त पशुओं को सुबह और शाम, दिए गए निर्देशों के अनुसार देना होता है या पशु चिकित्सक के सलाह के अनुसार देना चाहिए.

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• थन की सूजन व थनैला रोग में एंटीबायोटिक या इंजेक्शन या दवाओं से ज्यादा आराम टीटासूल होम्योपैथिक दवा देता है. • जब एंटीबायोटिक दवायें काम नहीं करती हैं तब भी टीटासूल आराम देता है • थनों की सूजन पुरानी पड़ने लगे और थनों के तनु कठोर हो जाये तो टीटासूल थनों के कड़ेपन को दूर करता है और दुग्ध ग्रंथियों को कार्यशील बनाता है. • थनों के कड़ेपन को व थनों में चिराव आदि को भी टीटासूल ठीक करता है. • दुग्ध ग्रंथियों में दुग्ध के बहाव को नियमित कर कार्यशील बनाने में टीटासूल सहायक होता है.

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