Published on: 28-Feb-2023
बिहार में बंपर आम की पैदावार के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है. दीघा मालदह, जर्दालू, आम्रपाली, किशन भोग, चौसा और गुलाब खास जैसी आम की किस्मों की फसलों को बढ़ाने के लिए संरक्षण योजना को तैयार करने का फैसला लिया है. बता दें बिहार सरकार ने यह फैसला आम की फसलों में भारी गिरावट को देखते हुए लिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीएसबीबी यानि की बिहार राज्य जैव विविधता बोरस ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ सबट्रापिकल हॉर्टिकल्चर लखनऊ के साथ इससे सम्बंधित के साथ एक समझौते ज्ञापन पर साइन किये हैं. इस समझौते ज्ञापन के तहत विवधता के मुल्यांकन और बिहार के स्वदेशी बीजू आम की गिरावट को ध्यान में रखा गया है.
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बीएसबीबी के सचिव के गणेश ने बताया कि, बिहार के स्वदेशी बीजू किस्म के आम में गिरावट के कारण क्या है, इसका पता लगाने के साथ एक संरक्षण योजना को तैयार करने के लिए स्टडी शुरू हो जाएगी. उन्होंने कहा कि, यह स्टडी अगले महीने से शुरू की जाएगी. जो साल के अंदर ही पूरी होने की उम्मीद है. इस पूरे प्रोसेस के बाद सम्बंधित अधिकारी एक संरक्षण योजना को तैयार करेंगे.
दिया गया जीआईटी टैग
आमों की खास और व्यापक किस्मों के लिए बिहार मशहूर है, इसमें चौसा के साथ साथ किशन भोगम दीघा मालदह, जर्दालु, आम्रपाली और गुलाब खास है. इन किस्मों में से जर्दालु को जीआईटी टैग मिला है. आपको बता देंआम का सबसे ज्यादा उत्पादन बिहार में होता है. जोकि पूरे देश के राज्यों में चौथे नंबर के पायदान पर है. बिहार देश के कुल आम उत्पादन का करीब 8 फीसद से ज्यादा साझेदार है. भारत सरकार के मुताबिक यूपी लिस्ट में सबसे ऊपर है, जिसके आबाद फिर आंध्र प्रदेश और कर्नाटक आते हैं.
कितनी हुई गिरावट, मिलेगा पूरा डाटा
जानकारी के मुताबिक बता दें कि, सारण, शेखपुरा, सीवान, जमुई, दरभंगा, मुंगेर, गोपालगंज, आरा, पूर्वी चंपारण, बक्सर, पश्चिमी चंपारण, पटना, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, वैशाली, किशनगंज, समस्तीपुर, सुपौल, दरभंगा, मेधपुरा, मधुबनी, कटिहार, सीतामढ़ी, बांका, शिवहर और भागलपुर जैसे जिलों में अध्यन किया जाएगा. इसके अलावा फसलों की कटाई और फाल्स सुधार पर भी अध्यन केंद्रित रहेगा. जीके तहत बीजू आम की फसल में गिरात का सही और पूरा डाटा मिलेगा.
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मूल्य और गुणवत्ता के मुताबिक होती है खेती
साल 2012 मई में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बगीचा बचाओ अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत आम की खेती के लिए 38 हजार 015 एकड़ का क्षेत्र निर्धारित किया गया है. बागवानी से जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों के अलावा फल देने वाले पेड़ों के लिए साइंटिफिक टेक्निक को अपनाने का जोर दिया जाता है. जिसकी खेती उनकी अच्छी गुणवत्ता एऔर मूल्यों पर आधारित होती है.
भारत समेत कई देशों में होता है निर्यात
किसानों को बागों की जुताई के लिए राज्य सरकार की तरफ से अनुदान भी दिया जाता है. खास तौर पर भागलपुर में उगाई जाने वली आम की जर्दालु और पटना में उगाई जाने वाली दीघा मालदा आम की दुधिया किस्म है. जो की देश के कई राज्यों के साथ साथ अन्य देशों में निर्यात की जाती है.