भारत में कोरोना से खतरनाक बैक्टीरिया मौजूद हैं। यह तिल तिल कर लोगों को मार रहे हैं इसलिए इनके प्रभाव की तरफ न सरकार का ध्यान है और न किसी और का। इस बैक्टीरिया की मौजूदगी हर बड़े ब्रांड के पैक्ड मिल्क और आइसक्रीम में दशकों पूर्व पाई जा चुकी है। अन्तर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल्स में यह रिपोर्ट प्रकाशित भी हो चुकी हैं। इसके चलते अमेरिका जैसे देशों ने अपने मिल्क पास्चुुराइजेशन मैथर्ड को अपग्रेड भी कर लिया है लेकिन यह तो हिन्दुस्तान है।
जहां बड़े बड़े दावे करने वाली सरकार और उनके नुमाइंदे अभी तक हर व्यक्ति को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की जदृो जहद कर रहे हैं। यहां राजस्थान का किसान उसी तालाब या बाबड़ी के पानी से अपनी प्यास बुझा लेता है जिसमें उसके गाय-बकरी आदि पशु पानी पीते हैं। इस बैक्टीरिया की हर व्यक्ति तक पहुंच इस लिए आसान है चूंकि यह दूध में पाया जाता है। दूध निकालने वाले व्यक्ति के हाथ कटे-फटे हों तो यह पशुपालक को भी पहुंच सकता है।
यह बैक्टीरिया इतना खतरनाक है कि दूध, मांस, वीर्य आदि के साथ किसी भी पशु और मनुष्य को संक्रमित कर सकता है। गंदगी यानी गंदा पानी या इस बैक्टीरिया की मौजूदगी वाली संक्रमित जगह से भी यह जा सकता है। इस बैक्टीरिया पर 28 साल से काम कर रहे और इसे रोकने के लिए वैक्सीन ईजाद करने वाले केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मथुरा के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष माइक्रोबायलोजी एवं डायरेक्टर बायोटेक जीएलए यूनीवर्सिटी मथुरा डा0 शूरवीर सिंह कहते हैं कि यह बेहद खतरनाक बैक्टीरिया है। इसकी ओर आमतौर पर ध्यान इस लिए नहीं जाता क्योंकि यह कोरोना जैसी त्वरित मौत का कारण नहीं बनता। यह लोगों को और पशुओं को भी किसी मतलब का नहीं छोड़ता।
यह बैक्टीरिया आंत की टीबी का कारण बनता है। आंत की परत को मोटा कर देता है। इससे आदमी का पाचन तंत्र प्रभावित होता है और वह धीरे धीरे मौत की ओर बढ़ता रहता है। किसी कार्य को करने की क्षमता नहीं रहती। अच्छा भला इंसान बोझ बन कर रह जाता है।
इंसानों में क्रौन्स के रूप में पहचान इस बैक्टीरिया को पशुओं में जोन्स एंव इंसानों में क्रौन्स के नाम से जाना जाता है। यह दूध, मांस, वीर्य एवं खून आदि के लिए जिम्मेदार है।
डा.शूरबीर सिंह कहते हैं देशी गायों के लिए विख्यात ब्रज मण्डल की गायों की दुधारू नस्ल को इस बैक्टीरिया ने बेकार कर दिया। जिस पशु की पसलियां दिख रही हों और गोबर के रास्ते लगाजार पतला गोबर आता हो समलें किस बैक्टीरिया का प्रभाव है।
अमूल, वाडीलाल जैसे ब्रांडों में मिला इस बैक्टीरिया की मौजूदगी अमूल एवं बाडीलाल जैसे ब्रांडों के दुग्ध उत्पादों में पाई गई है। कारण यह है कि हिन्दुतान में पाश्चुराईेजेशन का जो मैथर्ड है उसमें यह बैक्टीरिया नहीं मर सकता। इससे बचने के लिए मांसाहार से बचें और किसी भी दूध को कमसे कम तीन उवाल आने के बाद ही प्रयोग में लाएं।
किसान की आय होगी दोगुनी डा. शूरबीर सिंह कहते हैं कि इस बैक्टीरिया की रोकथाम करदी जाए तो मांस का उत्पादन कई गुना , दूध का दो से तीन गुना हो सकता है। इसके अलावा पशुओं से मनुष्यों को सौगात में मिल रही आंत की टीबी को रोका जा सकता है।