Published on: 31-Mar-2023
आधुनिक युग में मशीनीकरण काफी हद तक बढ़ती जा रही है। कोच्चि में रहने वाले दो दोस्तों द्वारा पशुओं की देखभाल और सुरक्षा हेतु एक ऐसा उपकरण तैयार किया गया है। जो पशुओं की प्रत्येक बीमारी और गतिविधियों की जानकारी प्रत्यक्ष रूप से मोबाइल ऐप के जरिए पशुपालकों तक पहुंचा देगा।
बतादें, कि भारत की अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र का एक विशेष सहयोग रहा है। देश भर में अधिकांश किसान कृषि सहित पशुपालन भी कर रहे हैं। उधर भारत का एक बड़ा भाग पशुपालन करने में लगा हुआ है। यही कारण है, जो वर्तमान में भारत विश्व का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश है। बतादें, कि दूधारू मवेशी हमारी अर्थव्यवस्था को अच्छा करने में इतना सहयोग कर रहे हैं। वहीं, हमको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने पशुओं की देखभाल और सुरक्षा बेहतर रूप से रख पाएं।
इन दो लोगों ने इस अद्भुत कारनामे को किया है
पशु आम इंसान की तरह बोल नहीं पाते। इसके चलते पशु स्वयं अपने दुख-दर्द और पीड़ा किसी से नहीं बता सकते हैं। मसलन हम जब तक उनकी बीमारी के बारे में जान पाते हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इस समस्या को मंदेनजर रखते हुए कोच्चि में मौजूद कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप ब्रेनवायर (WeSTOCK) ने मवेशियों की देखभाल और सुरक्षा हेतु एक उपकरण तैयार किया है। जो उन पशुओं की प्रत्येक गतिविधि पर ध्यान रखेगा। साथ ही, रोगिक लक्षण दिखने पर शीघ्रता से सतर्क कर देगा। यह अद्भुत कार्य को करने वाले रोमियो पी. जेरार्ड और श्रीशंकर एस. नायर हैं। जो कि कंपनी के संस्थापक और सह-संस्थापक है।
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ब्रेनवायर कंपनी ने तैयार किया पशु इयर डिवाइस
ब्रेनवायर (WeSTOCK) कंपनी ने पशुओं की बेहतरी हेतु एक इयर डिवाइस तैयार किया है। इस डिवाइस को पशुओं के कान पर लगाया जाता है। डिवाइस पशु के कान पर लगाने के उपरांत आपको उनकी सेहत की सूचना, गतिविधि निगरानी, ताप चक्र, मौसम निगरानी, पशु चिकित्सक मदद इत्यादि की जानकारी प्रत्येक 10 सेकेंड में प्राप्त होती रहती है। इसके हेतु एक ऐप भी तैयार किया गया है। साथ ही, मवेशियों के गर्भाधान की भी सूचना आपको प्राप्त होती है।
यह एक IoT- आधारित डिवाइस है
आईओटी-आधारित उपकरण का इस्तेमाल फिलहाल केरल एवं बाहर दोनों में समकुल 600 से ज्यादा गायों में किया गया है। WeSTOCK की तैनाती के लिए महाराष्ट्र और कश्मीर की सरकारें ब्रेनवायर्ड से परस्पर संपर्क में हैं। इस फायदेमंद तकनीक को अगर भारत के समस्त पशुओं में लगाया जाता है। तब, रोगों से मवेशियों की मृत्यु के आंकड़े काफी कम होने लग जाएंगे