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लीची की इस किस्म से बंपर पैदावार और आमदनी हो सकती है

Published on: 14-Apr-2023

बिहार राज्य में सर्वाधिक लीची का उत्पादन किया जाता है। यहां वर्ष 2021-22 में 308.1 मीट्रिक टन लीची की पैदावार हुई थी। बिहार राज्य के लीची उत्पादक किसान भाइयों के लिए एक बड़ी खबर है। राज्य सरकार लीची की नवीन किस्म का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। विशेष बात यह है, कि सरकार द्वारा राज्य में लीची की पैदावार में वृद्धि करने हेतु यह कदम उठाया गया है। दरअसल, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा एक ऐसी किस्म तैयार की है, जिसका उत्पादन करने पर लीची का उत्पादन काफी बढ़ जाएगा। इससे प्रदेश में लीची की पैदावार को बढ़ावा मिलेगा। मीड़िया खबरों के मुताबिक, बिहार राज्य में अकेले 43 फीसदी लीची का उत्पादन किया जाता है। मुजफ्फरपुर की शाही लीची तो अपने स्वाद की वजह से पूरे विश्व में मशहूर है। यही कारण है, कि बिहार सरकार विशेषकर लीची की प्रजाति गंडकी योगिता, गंडकी लालिमा एवं गंडकी संपदा की खेती करने के लिए किसानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं, बिहार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने बताया है, कि राज्य सरकार और एनआरसीएल (मुजफ्फरपुर) लीची उत्पादन, गुणवत्ता एवं भंडारण में सुधार करने हेतु एकजुट होकर कार्य कर रही है। यह भी पढ़ें: खुशखबरी: बिहार के मुजफ्फरपुर के अलावा 37 जिलों में भी हो पाएगा अब लीची का उत्पादन मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची को जीआई टैग प्राप्त हो चुका है। यह अपनी अनोखी सुगंध की वजह से जानी जाती है। इसके अंदर ज्यादा रस एवं सामान्य से छोटी गुठली विघमान रहती है।

18 से 23 फीसद फसल क्षतिग्रस्त हो चुकी है

बतादें, कि लीची एक नॉन-क्लिमैक्ट्रिक फल है। नॉन-क्लिमैक्ट्रिक फलों की विशेषता यह है, कि यह सिर्फ पेड़ पर लगे रहने के दौरान ही पकते हैं। अगर पेड़ से उसको तोड़ लिया जाए, तो इसका पकना समाप्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में पके हुए लीची के फलों को ही पेड़ों से तोड़ा जाता है। साथ ही, ऐसे में इसके जल्दी खराब होने की संभावना रहती है। इसलिए इसको दीर्घ काल तक भंडारित नहीं किया जा सकता है। साथ ही, इसकी कटाई के उपरांत 18 से 23 फीसद तक फसलों को हानि पहुँचती है। यही कारण है, कि सरकार किसानों से लीची की नई किस्म का उत्पादन करने की अपील कर रही है।

2021-22 में लीची की पैदावार 308.1 मीट्रिक हुई थी

अधिकारियों के मुताबिक, गंडकी संपदा लीची काफी समय में पकती है। यह जून माह के बीच तक पक कर तैयार हो जाती है। गंडकी सम्पदा लीची का वजन 35-42 ग्राम तक होता है। इसका गूदा मलाईदार-सफेद, मुलायम एवं रसदार होता है। इसकी सुगंध भी काफी अच्छी होती है। इसके एक पेड़ से 140 किलो तक लीची अर्जित कर सकते हैं। इसी प्रकार ‘गंडकी योगिता’ भी धीमी गति से उगती है, जो गर्मी की लहरों को झेल सकती है। बिहार में साल 2021-22 में लीची उत्पादन 308.1 मीट्रिक हुआ था। वहीं, साल 2020-21 में 308 मीट्रिक टन पैदावार हुई थी। बतादें कि शाही लीची को 2018 में जीआई टैग हांसिल होने से इसकी संपूर्ण विश्व में मांग बढ़ गई है।

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