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ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 6500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान

Published on: 28-Apr-2023

बिहार सरकार किसानों के हर संभव लाभ हेतु निरंतर कदम उठा रही है। फिलहाल, राज्य सरकार की तरफ से किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान देने की घोषणा की है। इससे किसानों को काफी सहूलियत प्राप्त हुई है। जैसा कि हम जानते हैं, कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। क्योंकि, भारत की बड़ी जनसँख्या खेती पर अपने जीवन यापन या आजीविका के लिए निर्भर है। खेती में रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी वजह से खेती की उर्वरकता काफी तेजी से समाप्त हो रही है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार का प्रयास रहता है, कि किसान खेतों में कैमिकल फर्टिलाइजर का प्रयोग कम करें। इससे खेती की पैदावार दीर्घकाल तक बनी रहेगी। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने की विभिन्न कोशिशें कर रही हैं। इस प्रकार की खेती करने के लिए किसानों को रिझाया भी जा रहा है। बिहार सरकार आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए बड़ा कदम उठा रही है।

बिहार में आर्गेनिक खेती से आय में होगा इजाफा

बिहार में आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कदम उठा रही है। अब कृषि विभाग ने ऐलान किया है, कि राज्य में जैविक खेती करने वाले कृषकों की आर्थिक मदद करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। आर्गेनिक खेती से भी किसान को सहायता मिलेगी। इससे जहां पैदावार में वृद्धि आएगी। वहीं, पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचेगा।

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6500 रुपये प्रति एकड़ तक अनुदान मुहैय्या किया जाएगा

बिहार के कृषि विभाग का कहना है, कि जैविक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किसानों की सहायता की जा रही है। इसके अंतर्गत आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। यह धनराशि 2.5 एकड़ तक के कृषकों के लिए है। यूँ समझ लिजिए कि अगर किसान 5 या 10 एकड़ भी खेती करते हैं, तो उनको केवल 2.5 एकड़ के लिए ही सहायता प्रदान की जाएगी। किसान को 16 हजार 250 रुपये प्रोत्साहन धनराशि के तौर पर मुहैय्या कराए जाएंगे। किसी भी प्रकार की मन में शंका है, तो टॉल फ्री नंबर 1800-180- 1551 पर भी कॉल कर सहायता ली जा सकती है।

आर्गेनिक खेती करने से क्या क्या फायदे होते हैं

भारत के अंदर प्राचीन समय से ही जैविक खेती ही की जाती थी। परंतु, ज्यादा उत्पादन एवं अतिशीघ्र फसल की चाहना में अंधाधुंध रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले खेतों में उर्वरकों के रूप में गाय एवं मवेशियों के गोबर का इस्तेमाल होता था। इससे पैदावार काफी अच्छे स्तर से बढ़ती थी। भूमि की उर्वरकता भी काफी बेहतर रहती है। केंद्र और राज्य सरकार का यही प्रयास रहा है, कि किसान खेती की उसी प्राचीन परंपरा को पुनः सुचारू करें।

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