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किसानों को लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार के इस फैसले से मिलेगा डबल फायदा

Published on: 24-Feb-2023

केंद्र सरकार की ओर से उन किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है, जो जूट की खेती करते हैं. दरअसल केंद्र सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है. बताया जा रहा है कि सरकार का ये फैसला बेहद अहम है, जो लगभग 40 लाख जूट के किसानों को फायदा पहुंचाने वाला है. केंद्र सकरार ने पैकेजिंग में जूट का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से करने के नियमों को आगे बढ़ाने पर मुहर लगा दी है. इन नियमों के अनुसार खाने पीने की 100 फीसद चीजों और चीनी की 20 फीसद पैकिंग जूट के बैग में करनी जरूरी होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया है. बता दें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यह बैठक सम्पन्न हुई. ये भी देखें: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी कैबिनेट ने जूट को साल 2022 से 2023 के लिए पैकेजिंग में जूट का जरूरी रूप से इस्तेमाल करने और इसके आरक्षण से जुड़े नियमों को मंजूरी दी है. इस फैसले से सबसे ज्यादा राहत जूट मिलों और अन्य इकाइयों में काम करने वाले करीब तीन से चार लाख श्रमिकों को मिलने वाली है. इसके अलावा लाखों किसानों के परिवारों को अपनी आजीविका चलाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा जूट के अनिवार्य इस्तेमाल से पर्यावरण को साफ और सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि जूट एक ऐसा फाइबर है, जो पूरी तरह से नेचुरल, बायोडिग्रेडेबल और फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है.

अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है जूट

पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार, ओडिशा, त्रिपुरा, असम और मेघालय के लिए जूट बेहद जरूरी है. क्योंकि यहां की अर्थव्यवस्था जूट पर ही टिकी हुई है. वहीं आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए भी जूट बेहद महत्वपूर्ण है. जूट पैकेजिंग यानी की जेपीएम अधिनियम के तहत आरक्षण नियम जूट क्षेत्र में करीब 3.7 लाख श्रमिकों के अलावा लाखों जूट किसानों के लिए बेहतर रोजगार उपलब्ध करवाता है.

9 हजार करोड़ रुपये की है खरीद

बात जेपीएम अधिनियम की करें तो 1987 जूट किसानों, जूट से बने सामान और कामगरों में लगे श्रीमोकों के हित में है. जूट के उद्योग के कुल उत्पादन का लगभग 75 फीसद जूट से बने बोर हैं. जिनमें से करीब 85 फीसद की आपूर्ति भारतीय खाध्य निगम और राज्य खरीद एजेंसियों के द्वारा की जाती है. बता दें कि सरकार खाने की चीजों की पैकेजिंग के लिए हर साल लगभग 9 हजार करोड़ रुपये के जूट के बोरे खरीदती है. इतना ही नहीं इससे जूट कामगारों और जूट किसानों को उनकी उमज के लिए बाजार को सुनिश्चित किया जाता है.

दिया जाता है लीगल फ्रेमवर्क

भारत और गुयान के बीच केंद्रीय मंत्रीमंडल ने हवाई सर्विस एग्रीमेंट पर भी साइन करके अपनी सहमती जता दी है. जानकारी के लिए बता दें कि, गुयाना के साथ हुए हवाई समझौते पर साइन करने से दोनों देशों के बीच होने वाली हवाई सेवाओं के लिए एक रूपरेखा तय भी की जाएगी. हवाई सर्विस समझौते की बात करें तोम यह एक ऐसा एग्रीमेंट है, जहां दोनों देशों के बीच में एयर ऑपरेशंस के लिए लीगल फ्रेमवर्क दिया जाता है. ये भी देखें: ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी

भारत सरकार करती है इसका गठन

अंतरराष्ट्रीय सिविल एविएशन साल 1944 पर सम्मेल में हुए बदलाव से जुड़े अनुच्छेद 3 बीआईएस और अनुछेदन 50 ए के अलावा अनुच्छेदन 56 पर तीन तरह के प्रोटोकॉल के रॉटिफिकेशन को केंद्रीय मंत्रीमंडल ने अपनी मंजूरी दी है. इसके अलावा देश के 22वें लॉ आयोग के कार्यालय को भी 31 अगस्त साल 2014 तक बढ़ाने की मंजूरी मंत्रीमंडल ने दे दी है. आपको बता दें कि, देश का लॉ आयोग एक तरह का नॉन सांविधिक निकाय है. भारत सरकार की तरफ से इसका गठन किया जाता है.

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