Ad

यूपी के बरेली में मौजूद भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान केंद्र संस्थान ने सरोगेसी तकनीक का सफल परीक्षण किया

Published on: 24-Mar-2023

उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में मौजूद भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान केंद्र संस्थान के माध्यम से सरोगेसी तकनीक का सफल परीक्षण किया गया है। वैज्ञानिकों ने कहा है, कि सरोगेसी तकनीक के माध्यम से फिलहाल 26 बछड़ों का प्रजनन हो गया है। अब केवल इंसान ही नहीं गायें भी सरोगेसी तकनीक के माध्यम से बछड़े को जन्म देंगी। इसका सफलता पूर्ण परीक्षण उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में मौजूद भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में किया जा चुका है। बताया जा रहा है, कि फिलहाल इंसानों के जैसे ही गायों से भी सरोगेसी तकनीक के माध्यम से बेहतरीन नस्ल के बछड़े प्राप्त किए जाएंगे। संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया है, कि सरोगेसी तकनीक के जरिए वैज्ञानिक अच्छी नस्ल के सांड के वीर्य को एकत्रित कर लेते हैं। उसके बाद में चयन की गई नस्ल के अंडे लेकर के भ्रूण तैयार किया जाता है। उसके बाद में भ्रूण को गाय के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसके परिणाम स्वरुप गाय अच्छी नस्ल के बछड़े को पैदा करती है। जो गाय काफी अधिक मात्रा में दूध देती है।

सरोगेसी तकनीक का क्या फायदा होता है

सरोगेसी तकनीक का उपयोग करके एक अच्छी दुधारू नस्ल की गाय को जन्म दिया जा सकता है। जिससे दूध की आपूर्ति सुनिश्चित होने के साथ-साथ पशुपालकों एवं किसान भाइयों की आमदनी भी काफी बढ़ेगी। इस तकनीक के माध्यम से गायों के जन्म लेने से पशुपालकों को काफी आर्थिक सहायता प्राप्त होगी। क्योंकि पशुपालकों को अच्छी दूध देने वाली गायों की सहायता से मोटी कमाई हो जाती है। सरोगेसी तकनीक से प्राप्त हुए पशुओं से पशुपालकों को काफी मात्रा में दूध प्राप्त हुआ है।

ये भी पढ़ें:
सरोगेसी तकनीक का हुआ सफल परीक्षण, अब इस तकनीक की सहायता से गाय देगी बछिया को जन्म

सड़क पर निराश्रित पशुओं की भी तादात में होगी कमी

आपको बतादें कि गायों को सड़कों पर छुट्टा छोड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है, कि जब तक वह दूध देती हैं, तब तक उनका पालन पोषण किया जाता है। जब गायें दूध देना बंद कर देती हैं, तो उनको निर्ममता से खुला छोड़ दिया जाता है। आवारा पशुओं की वजह से आए दिन सड़क हादसों के बारे में भी सुनने को मिलता है। किसानों की फसल को भी निराश्रित पशु काफी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में सरोगेसी तकनीक अच्छी और दुधारू नस्ल की गायों को तैयार करके दूध की मात्रा को बढ़ाएगी। जब पशुपालकों को दूध अधिक मात्रा में मिलेगा तो उनके पास पशुओं को छुट्टा छोड़ने का कोई मूलभूत कारण ही नहीं बचेगा।

Ad