उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों को ज्यादा पानी भरने की स्तिथि में मेड़ काटने की सलाह दी

Published on: 26-Sep-2022

उत्तर प्रदेश में बारिश के चलते किसानों की फसल काफी हद तक प्रभावित हो रही है, कई जगहों पर तो सैकड़ों बीघा जमीन बारिश की चपेट में आने से बर्बाद हो गयी है। भारतीय किसानों की हालत पहले से ही दयनीय है, उसमे भी प्राकृतिक आपदा उनकी परेशानियों को बढ़ा रही है। इस समय धान की फसल का वक्त है जो जरुरत से ज्यादा पानी में ख़राब हो जाती है। किसानों की इस समस्या को उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने देखते हुए किसानों को सलाह दी कि किसान अधिक जलभराव की स्तिथि में मेड़ को काट कर पानी को अन्य जगह प्रवाहित कर दें। अत्यधिक जलभराव की वजह से धान की फसल में कालापन और गराव आने की सम्भावना बनी रहती है। धान की फसल को जरूरत के हिसाब से ही जल की आवश्यकता होती है। अधिक जलपूर्ति एवं जल की कमी, दोनों ही धान की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, साथ ही कीटों और रोगों की जड़ भी बन जाते हैं। हाल ही में अत्यधिक बारिश की वजह से बुलन्दशहर के किसानों ने अवगत कराया कि गहना गोवर्धन गांव में करीब 800 बीघा फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है।

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किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

अप्रत्याशित जलभराव, किसानों की फसल के साथ साथ उनके सपने और मेहनत दोनों पर पानी फेर गया है। कई किसानों की तो पूरी फसल चौपट हो गयी, जो स्वाभाविक रूप से किसानों की चिंता का विषय एवं तनाव का मूलक भी बन चुका है। पीड़ित किसान अपनी हर संभव मेहनत और लागत लगाने के उपरांत भी कोई मुनाफा नहीं कमा पाए, बल्कि नुकसान में रहे।

अत्यधिक बारिश से प्रभावित क्षेत्र

भारी बारिश के परिणामस्वरूप कुछ जगहे काफी ज्यादा प्रभावित हुई हैं, जिनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, बुलंदशहर, मेरठ, गोरखपुर, कानपुर, बड़ौत, शामली, वाराणसी, लखनऊ, आगरा आदि जगहों पर इसका काफी दुष्प्रभाव पड़ा है, साथ ही फसल की उत्कृष्टता एवं पैदावार में भी नकारात्मक असर पड़ेगा। जलभराव आपदा से पीड़ित किसान सरकार से सहायता के लिए आग्रह कर रहे हैं।

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आपदा से प्रभावित फसलें

अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा से कई फसल प्रभावित हुई हैं, जिसके सन्दर्भ में कृषि विभाग के अधिकारियो ने बताया कि गाजर, मूली, शलजम, आलू, मटर, टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली, धनिया, करेला, बैगन, कद्दू, लोकी, पालक, उड़द, तिल आदि गंभीर रूप से नुकसान में हैं। कृषि विभाग अपनी सामर्थ्य के अनुरूप फसलों के नुकसान के चलते किसानों को राहत देने का आश्वाशन दे रहा है। उपरोक्त में अत्यधिक बारिश से बचाव के लिए विभाग ने मेड़ तोड़कर पानी निकालने की सलाह भी दी है।

क्या सरकार किसानों को मुआवजा देगी ?

जब कभी भी प्राकृतिक आपदा के कारण किसानो को नुकसान का सामना करना पड़ता है, तब सरकार का दायित्व बनता है कि वह किसानो की हर संभव मदद करे, जिसमें प्रशासन के लोग आपदा से प्रभावित जगह पर जाते हैं और वहां जाकर किसानो को हुए नुकसान का आंकलन करते हैं। तत्पश्चात अनुमानित सहायक धनराशि सुनिश्चित करके सरकार को रिपोर्ट भेजते हैं, जिसके अनुरूप सरकार किसानों का क्षतिपूर्ति मुआवजा निर्धारित करती है।

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