आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सफल हो रही है भारतीय कृषि : नई उन्नति की राह बढ़ता किसान

Published on: 29-Sep-2022

आधुनिकता की राह पर चल रही नई विकसित दुनिया में भी भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 58% हिस्सा, कृषि क्षेत्र को जीवन यापन के लिए प्राथमिक स्रोत के रूप में इस्तेमाल करता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2021 (Economic survey 2021-22) के अनुसार भारतीय कृषि ने पिछले 5 सालों में वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल कर सीमित विकास प्रदर्शित किया है। हालांकि, आने वाले वर्षों में कृत्रिम बुद्धिमता (artificial intelligence), मशीन लर्निंग (Machine learning) और डाटा एनालिटिक्स (Data analytics) की मदद से भारतीय कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता, लोगों के लिए सीमित मात्रा में भोजन उपलब्ध करवाने के अलावा किसानों की आय को दोगुना करने के लिए उठाया गया एक सुदृढ़ कदम साबित हो सकता है। बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के लिए सही समय पर भोजन उपलब्ध करवाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर कई देशों के कृषि वैज्ञानिक, कृषि क्षेत्र में नए आविष्कार कर रहे हैं और इससे बढ़ी उपज की मदद से किसान भाई भी काफी मुनाफा कमा रहे हैं।

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क्या है कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial Intelligence) ?

कृत्रिम बुद्धिमता मानव मस्तिष्क की तरह ही काम करने वाली एक नई तकनीक है, जोकि इंसानों के दिमाग के द्वारा किए जाने वाले काम की हूबहू नकल कर सकती हैं और जिस प्रकार मनुष्य किसी काम को करते हैं, वैसे ही कंप्यूटर और रोबोटिक्स की मदद से उस कार्य को संपन्न किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमता को सेल्फ ड्राइविंग कार के उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता है, वर्तमान में कई डिजिटल ऑटोमोबाइल कंपनियां कृत्रिम बुद्धिमता की मदद से बिना ड्राइवर के चलने वाली गाड़ियां बनाने में सफल रही है।

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परंपरागत तकनीक से कृषि करने वाले किसानों के सामने आने वाली समस्याएं :

पुराने समय से चली आ रही कृषि की परंपरागत तकनीक अब किसानों को पूर्व में होने वाले उत्पादन की तुलना में कम उत्पादन प्रदान करने के अलावा अब खेती करना किसान भाइयों के लिए आर्थिक रूप से काफी बोझिल साबित हो रहा है। पर्यावरण में हुए परिवर्तन की वजह से बारिश और तापमान में आए अंतर और नमी में आई कमी या अधिकता की वजह से कृषि की पूरी चक्र प्रभावित हो रही है। इसके अलावा बढ़ते औद्योगीकरण की वजह से हुई वनों की कटाई के कारण प्रदूषण में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो किसानों की मिट्टी और बीजों की उपज को कम करने के साथ ही उनके उत्पाद की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। इसके अलावा फ़र्टिलाइज़र पर मिलने वाली सब्सिडी का दुरुपयोग होने की वजह से, बदलते वक्त के साथ भारत की मृदा में पाए जाने वाले तीन मुख्य पोषक तत्व, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की मात्रा में भी कमी देखी गई है, जोकि फसल के उत्पाद को कम करने के अलावा किसानों की आय को भी कम कर रहे हैं। कई विकसित देशों के द्वारा अपनाए गए नए आविष्कारों की वजह से उनके यहां प्रति क्षेत्र में होने वाली कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी हुई है, जिससे विश्व के कुल निर्यात में भारतीय कृषि का निर्यात निरंतर घट रहा है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का भारतीय कृषि में इस्तेमाल :

पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल आविष्कारों की मदद से कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल बढ़ा है। अब बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद प्राप्त होने के अलावा, कीटनाशकों पर बेहतर नियंत्रण और मिट्टी की गुणवत्ता की जांच के साथ ही किसी भी फसल के उत्पादन के लिए आवश्यक पारिस्थितिक आवश्यकताओं की जानकारी जैसे फायदों के साथ ही, खेत के लिए तैयार किए गए डाटा का एक जगह पर संकलन, किसान भाइयों पर आने वाले दबाव को कम करके, भोजन की सप्लाई चैन को सुचारू रूप से बनाए रखने में मददगार साबित हो रहा है।
  • मौसम / तापमान / बुवाई के लिए सही समय की जानकारी :

अलग-अलग फसल के लिए आवश्यक पर्यावरणीय परिस्थितियां एक समान रहती है, लेकिन पर्यावरण में आए परिवर्तन की वजह से किसान भाइयों को किसी भी बीज को उगाने के लिए सही समय को पहचानना काफी मुश्किल हो रहा है।

इसी क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता का इस्तेमाल कर अब भारतीय कृषि से जुड़े किसानों के लिए मौसम विभाग के द्वारा पर्याप्त डाटा उपलब्ध करवाया जा रहा है और अब इस डाटा के आधार पर किसान भाई बीज की बुवाई का सही समय का निर्धारण कर सकते हैं, जिससे बेहतर उत्पाद प्राप्त होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है।

  • ड्रोन की मदद से फसल की सम्पूर्ण जानकारी :

कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल निरंतर बढ़ता जा रहा है, हाल ही में भारत सरकार के द्वारा किए गए प्रयासों की मदद से अब किसान भाई सब्सिडी पर खेती में इस्तेमाल के लिए ड्रोन खरीद सकते हैं।

इस प्रकार के कृषि ड्रोन का इस्तेमाल फसल की वृद्धि दर को जांचने के अलावा कीटनाशक के छिड़काव और सीमित मात्रा में उर्वरकों के इस्तेमाल के लिए किया जा सकता है।

इसके अलावा कृषि क्षेत्र से जुड़ी कई स्टार्टअप कंपनियां अब ड्रोन की मदद से किसी भी खेत से प्राप्त होने वाले उत्पाद का आकलन करने में भी सफल हो रही हैं और फसल की वृद्धि दर को डाटा के रूप में इस्तेमाल करते हुए किसानों को खेत से प्राप्त होने वाले कुल उत्पाद की जानकारी पहले ही दे दी जाती है।

नई तकनीकों से लैस कई ड्रोन अब किसानों की फसल में लगे अलग-अलग प्रकार के कीट की तस्वीर खींच कर, उन्हें वैज्ञानिकों तक पहुंचा रही है और डिजिटल माध्यमों से ही किसानों को इस प्रकार के कीटनाशकों से फसल को बचाने के उपाय भी सुझा रही है।



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  • कृषि रोबोटिक्स :

कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षेत्र में काम कर रही कई स्टार्टअप कंपनियां अब नए प्रकार के रोबोट बनाने की तरफ अग्रसर है, जो खेत में कई प्रकार के काम कर सकता है। विकसित देशों के किसान भाई इस प्रकार के रोबोट का इस्तेमाल करना शुरू भी कर चुके हैं।

इस प्रकार की कृषि रोबोटिक तकनीक की मदद से अब खेत में कीटनाशक के छिड़काव के अलावा फसल की कटाई और बुवाई करने के लिए इंसानों की जगह मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह रोबोट आसानी से खेत में घूमते हुए फसल की गुणवत्ता की जांच कर सकते हैं और फसल के किसी भी हिस्से में लगे कीट को डिजिटल तकनीक से स्कैन करके उसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पिछले कुछ समय से कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की बढ़ती मांग की वजह से अब कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले रोबोट को एक विकल्प के रूप में देखा किया जा रहा है।

  • मृदा और फसल की गुणवत्ता मॉनिटरिंग :

यह बात तो सभी किसान भाई जानते ही हैं कि बीज की बेहतर गुणवत्ता और पर्याप्त पोषक तत्वों वाली बेहतर मृदा ही फसल उत्पादन में अच्छा योगदान कर सकती है। अब कृत्रिम बुद्धिमता की मदद से मृदा की गुणवत्ता की जांच घर बैठे ही किया जा सकता है।

हाल ही में जर्मनी की एक स्टार्टअप कंपनी ने कृत्रिम बुद्धिमता पर आधारित एक एप्लीकेशन बनाई है जोकि मृदा में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्रा को किसान भाइयों के मोबाइल फोन में डाटा के रूप में उपलब्ध करवा देती है और उन्हें प्रति एकड़ क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों की मात्रा के बारे में भी जानकारी प्राप्त करवा रही है। इससे उर्वरकों का दुरुपयोग कम होने के साथ ही बेहतर उत्पादन प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ जाएगी।

इसी एप्लीकेशन की मदद से अब किसान भाई अपने फोन से ही किसी भी छोटी पौध की तस्वीर खींचकर कृषि वैज्ञानिकों तक पहुंचा सकते हैं, जो कि उन्हें फसल में लगी बीमारियों की जानकारी देने के साथ ही उपचार भी उपलब्ध करवाते हैं।

कृषि क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता इस्तेमाल को सुदृढ़ करने के लिए किए गए सरकारी प्रयास :

भारत सरकार के द्वारा खेती किसानी से जुड़े लोगों के लिए ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technique) पर आधारित मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things) की मदद व आधुनिक डिजिटल माध्यमों के सहयोग से कई सरकारी प्रयास किए गए हैं, जो कि निम्न प्रकार है :
  • किसान सुविधा मोबाइल एप्लीकेशन :

इस मोबाइल एप्लीकेशन की मदद से किसानों को भविष्य में समय में होने वाले मौसम की जानकारी के साथ ही फसल और उर्वरक की बाजार कीमत की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा फसल की छोटे पौध के बेहतर वृद्धि के लिए बताए गए कुछ उपाय शामिल किए गए हैं।

इन सुविधाओं के साथ ही खेती में इस्तेमाल आने वाली मशीनों और मौसम से होने वाले नुकसान की घटनाओं की जानकारी भी अलर्ट के माध्यम से दी जाती है।

सोयल हेल्थ कार्ड और कोल्ड स्टोरेज की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी के अलावा राज्य सरकार और केंद्र सरकार की कृषि क्षेत्र से जुड़ी लैब की लोकेशन भी उपलब्ध करवाई जाती है।

  • एम किसान पोर्टल (M-KISAN Portal) :

इस पोर्टल पर किसान भाइयों को SMS की मदद से अलग-अलग फसलों से जुड़े डाटा को भेजा जाता है और किसानों को किसी भी फसल के बीज की बुवाई का सही समय भी बताया जाता है।

अलग-अलग लोकेशन और मौसम की वर्तमान स्थिति को ध्यान रखते हुए डाटा को अपडेट कर किसान भाइयों के मोबाइल फोन तक पहुंचाया जाता है।

  • किसान ड्रोन :

 कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल हो रहे ड्रोन के बेहतर उपयोग के लिए सरकार के द्वारा कई प्रकार की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है।

इसके अलावा 'किसान ड्रोन मित्र' जैसे सरकारी सेवकों के माध्यम से डिजिटल माध्यमों से अनजान किसान भाइयों के लिए ट्रेनिंग भी उपलब्ध करवाई जा रही है।

इन सभी सरकारी योगदानों के अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के द्वारा कई अलग प्रकार की मोबाइल एप तैयार की गई है जो कि पोस्ट हार्वेस्ट से जुड़ी नई तकनीक और किसी नए उत्पाद से जुड़ी जानकारियां किसानों तक पहुंचाती है।

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वर्तमान में भारत सरकार 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र और 600 से अधिक कृषि से जुड़ी मैनेजमेंट संस्थानों की मदद से ग्रास रूट स्तर पर जाकर किसानों के मध्य कृत्रिम बुद्धिमता के इस्तेमाल को बढ़ावा देने को लेकर प्रयासरत है। आशा करते हैं कि हमारे किसान भाइयों को Merikheti.com के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमता और इसके कृषि क्षेत्र में होने वाले प्रयोगों के संबंध में संपूर्ण जानकारियां मिल गई होगी। भविष्य में आप भी ऐसे ही नई तकनीक का इस्तेमाल कर उत्पादन को बेहतर बनाने के डिजिटल तकनीक के इस दौर में नए आविष्कारों की मदद से बेहतर मुनाफा कमा पाएंगे।

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