आधुनिकता की राह पर चल रही नई विकसित दुनिया में भी भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 58% हिस्सा, कृषि क्षेत्र को जीवन यापन के लिए प्राथमिक स्रोत के रूप में इस्तेमाल करता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2021 (Economic survey 2021-22) के अनुसार भारतीय कृषि ने पिछले 5 सालों में वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल कर सीमित विकास प्रदर्शित किया है। हालांकि, आने वाले वर्षों में कृत्रिम बुद्धिमता (artificial intelligence), मशीन लर्निंग (Machine learning) और डाटा एनालिटिक्स (Data analytics) की मदद से भारतीय कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता, लोगों के लिए सीमित मात्रा में भोजन उपलब्ध करवाने के अलावा किसानों की आय को दोगुना करने के लिए उठाया गया एक सुदृढ़ कदम साबित हो सकता है। बढ़ती वैश्विक जनसंख्या के लिए सही समय पर भोजन उपलब्ध करवाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर कई देशों के कृषि वैज्ञानिक, कृषि क्षेत्र में नए आविष्कार कर रहे हैं और इससे बढ़ी उपज की मदद से किसान भाई भी काफी मुनाफा कमा रहे हैं।
अलग-अलग फसल के लिए आवश्यक पर्यावरणीय परिस्थितियां एक समान रहती है, लेकिन पर्यावरण में आए परिवर्तन की वजह से किसान भाइयों को किसी भी बीज को उगाने के लिए सही समय को पहचानना काफी मुश्किल हो रहा है।
इसी क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता का इस्तेमाल कर अब भारतीय कृषि से जुड़े किसानों के लिए मौसम विभाग के द्वारा पर्याप्त डाटा उपलब्ध करवाया जा रहा है और अब इस डाटा के आधार पर किसान भाई बीज की बुवाई का सही समय का निर्धारण कर सकते हैं, जिससे बेहतर उत्पाद प्राप्त होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है।
कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल निरंतर बढ़ता जा रहा है, हाल ही में भारत सरकार के द्वारा किए गए प्रयासों की मदद से अब किसान भाई सब्सिडी पर खेती में इस्तेमाल के लिए ड्रोन खरीद सकते हैं।
इस प्रकार के कृषि ड्रोन का इस्तेमाल फसल की वृद्धि दर को जांचने के अलावा कीटनाशक के छिड़काव और सीमित मात्रा में उर्वरकों के इस्तेमाल के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा कृषि क्षेत्र से जुड़ी कई स्टार्टअप कंपनियां अब ड्रोन की मदद से किसी भी खेत से प्राप्त होने वाले उत्पाद का आकलन करने में भी सफल हो रही हैं और फसल की वृद्धि दर को डाटा के रूप में इस्तेमाल करते हुए किसानों को खेत से प्राप्त होने वाले कुल उत्पाद की जानकारी पहले ही दे दी जाती है।
नई तकनीकों से लैस कई ड्रोन अब किसानों की फसल में लगे अलग-अलग प्रकार के कीट की तस्वीर खींच कर, उन्हें वैज्ञानिकों तक पहुंचा रही है और डिजिटल माध्यमों से ही किसानों को इस प्रकार के कीटनाशकों से फसल को बचाने के उपाय भी सुझा रही है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षेत्र में काम कर रही कई स्टार्टअप कंपनियां अब नए प्रकार के रोबोट बनाने की तरफ अग्रसर है, जो खेत में कई प्रकार के काम कर सकता है। विकसित देशों के किसान भाई इस प्रकार के रोबोट का इस्तेमाल करना शुरू भी कर चुके हैं।
इस प्रकार की कृषि रोबोटिक तकनीक की मदद से अब खेत में कीटनाशक के छिड़काव के अलावा फसल की कटाई और बुवाई करने के लिए इंसानों की जगह मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह रोबोट आसानी से खेत में घूमते हुए फसल की गुणवत्ता की जांच कर सकते हैं और फसल के किसी भी हिस्से में लगे कीट को डिजिटल तकनीक से स्कैन करके उसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
पिछले कुछ समय से कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की बढ़ती मांग की वजह से अब कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले रोबोट को एक विकल्प के रूप में देखा किया जा रहा है।
यह बात तो सभी किसान भाई जानते ही हैं कि बीज की बेहतर गुणवत्ता और पर्याप्त पोषक तत्वों वाली बेहतर मृदा ही फसल उत्पादन में अच्छा योगदान कर सकती है। अब कृत्रिम बुद्धिमता की मदद से मृदा की गुणवत्ता की जांच घर बैठे ही किया जा सकता है।
हाल ही में जर्मनी की एक स्टार्टअप कंपनी ने कृत्रिम बुद्धिमता पर आधारित एक एप्लीकेशन बनाई है जोकि मृदा में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्रा को किसान भाइयों के मोबाइल फोन में डाटा के रूप में उपलब्ध करवा देती है और उन्हें प्रति एकड़ क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों की मात्रा के बारे में भी जानकारी प्राप्त करवा रही है। इससे उर्वरकों का दुरुपयोग कम होने के साथ ही बेहतर उत्पादन प्राप्त होने की संभावनाएं बढ़ जाएगी।
इसी एप्लीकेशन की मदद से अब किसान भाई अपने फोन से ही किसी भी छोटी पौध की तस्वीर खींचकर कृषि वैज्ञानिकों तक पहुंचा सकते हैं, जो कि उन्हें फसल में लगी बीमारियों की जानकारी देने के साथ ही उपचार भी उपलब्ध करवाते हैं।
इस मोबाइल एप्लीकेशन की मदद से किसानों को भविष्य में समय में होने वाले मौसम की जानकारी के साथ ही फसल और उर्वरक की बाजार कीमत की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा फसल की छोटे पौध के बेहतर वृद्धि के लिए बताए गए कुछ उपाय शामिल किए गए हैं।
इन सुविधाओं के साथ ही खेती में इस्तेमाल आने वाली मशीनों और मौसम से होने वाले नुकसान की घटनाओं की जानकारी भी अलर्ट के माध्यम से दी जाती है।
सोयल हेल्थ कार्ड और कोल्ड स्टोरेज की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी के अलावा राज्य सरकार और केंद्र सरकार की कृषि क्षेत्र से जुड़ी लैब की लोकेशन भी उपलब्ध करवाई जाती है।
इस पोर्टल पर किसान भाइयों को SMS की मदद से अलग-अलग फसलों से जुड़े डाटा को भेजा जाता है और किसानों को किसी भी फसल के बीज की बुवाई का सही समय भी बताया जाता है।
अलग-अलग लोकेशन और मौसम की वर्तमान स्थिति को ध्यान रखते हुए डाटा को अपडेट कर किसान भाइयों के मोबाइल फोन तक पहुंचाया जाता है।
कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल हो रहे ड्रोन के बेहतर उपयोग के लिए सरकार के द्वारा कई प्रकार की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है।
इसके अलावा 'किसान ड्रोन मित्र' जैसे सरकारी सेवकों के माध्यम से डिजिटल माध्यमों से अनजान किसान भाइयों के लिए ट्रेनिंग भी उपलब्ध करवाई जा रही है।
इन सभी सरकारी योगदानों के अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के द्वारा कई अलग प्रकार की मोबाइल एप तैयार की गई है जो कि पोस्ट हार्वेस्ट से जुड़ी नई तकनीक और किसी नए उत्पाद से जुड़ी जानकारियां किसानों तक पहुंचाती है।