इस प्रकार बचायें अपने पशुओं को आने वाली शीत लहर से

Published on: 08-Nov-2022
इस प्रकार बचायें अपने पशुओं को आने वाली शीत लहर से
फसल नकदी फसल कपास

पराली जलने से देश का बड़ा इलाका प्रदूषित हो रहा है। इसका दुष्प्रभाव लोगों की सेहत पर पड़ने के साथ ही, दुधारु पशुओं को भी इससे कई हानि हैं। देशभर में अधिकतर पशु लंपी रोग से प्रभावित हैं। शीघ्र ही सर्दियां भी आने वाली हैं, ऐसे में पशुओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उनकी बेहतर देखभाल भी आवश्यक है। सर्दियों के दिनों में ठंड के कारण ज्यादातर पशुओं को बुखार, झंझनाहट एवं कुछ केसों में मवेशियों की मृत्यु तक हो जाती है। इस प्रकार की समस्त समस्याओं से पशुओं के संरक्षण के लिए किसानों एवं पशुपालकों को तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

पशुओं को ठंड से बचाने हेतु इन तरीकों को अपनायें

आमतौर पर शीत लहर के चलते पशुओं की हड्डियों में कंपकंपाहट एवं टांगों में गलन होने लगती है, इससे पशुओं को बचाने के लिए जूट का बोरा पहना सकते हैं। इससे पशुओं में गर्मी बनी रहेगी। पशुओं की बेहतर रोग प्रतिरोधी क्षमता के लिए हरा चारा एवं सूखा चारा १:३ के अनुपात में मिलाकर खिलाना बेहद आवश्यक है। वक्त-वक्त पर पशुओं को गर्म पानी पिलायें व दलिया अथवा चरी उपयुक्त मात्रा में खिलायें। शीत लहर व ठंडी हवाओं से संरक्षण हेतु पशुओं को खुले में रखने की अपेक्षा छप्पर अथवा शेड का प्रयोग करें। सर्दियों में पशुओं को हानिकारक विषाणु से बचाने के लिए धूप में टहलाना आवश्यक है। लंपी का कहर पूर्ण रूप से रुका नहीं है, इसी वजह से समस्त दुधारु मवेशियों का टीकाकरण अति आवश्यक है।

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पशुओं के आस पास साफ सफाई रखें, सर्दियों के समय विभिन्न कीटाणु पैदा हो जाते हैं जो मवेशियों को बीमार कर देते हैं। तबेले, बिछावन और कपड़े को बेहतर ढंग से सूखाने के उपरांत ही प्रयोग करें। थोड़ी सी नमी होने पर पशुओं के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। पशुओं को चिकने फर्श की बजाय बोरा या बिछावन पर बैठाने की व्यवस्था करें। पशुओं को सरसों के तेल के साथ अच्छा आहार दें एवं खल, गुड़ के साथ अन्य पौष्टिक व बेहतर आहार खिलायें। लंपी का कहर पूर्ण रूप से रुका नहीं है, इसी वजह से समस्त दुधारु मवेशियों का टीकाकरण अति आवश्यक है। सर्दियों में पशुओं को पाचन क्रिया खराब होने से दस्त हो जाते हैं, ऐसे में शीघ्रता बरतते हुए पशु चिकित्सतक से सलाह लें। सर्दी के मौसम में पशुओं को विभिन्न रोगों से ग्रसित होने का खतरा है। खुरपका मुंहपका रोग, निमोनिया, ज़ुकाम एवं अन्य रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में पशु विशेषज्ञ की सलाह अनुसार रोग प्रतिरोधक टीकाकरण करना अति आवश्यक है।