Published on: 23-Sep-2020
सरसों रबी की प्रमुख तिलहनी फसल है जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विषेश स्थान है। सरसों कृशकों के लिए बहुत लोकप्रिय होती जा रही है क्योंकि इससे कम सिंचाई व लागत में दूसरी फसलों की अपेक्षा अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। इसकी खेती मिश्रित रूप में और दो फसलीय चक्र में आसानी से की जा सकती है। वैज्ञानिक अनुसंधानो से पता चला है कि उन्नतषील सस्य विधियाँ अपनाकर 25 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर
सरसों की पैदावार आसानी से ली जा सकती है।
अच्छी फसल लेने के लिए, उचित किस्म का चुनाव एक अति महत्वपूर्ण कदम है। जहाॅं तक सरसों की सबसे अच्छी किस्म का सवाल है तो कोई भी एक किस्म सभी परिस्थितियों में एक जैसा उत्पादन नहीं देती है। किस्मों कि उत्पादन क्षमता, जलवायु, भूमि, अपनायी गयी वैज्ञानिक तकनीकों आदि कई कारकों पर निर्भर करती हैं। सरसों की किस्मों को प्रमुख रूप से अगेति, सामान्य समय व देर से बुवाई वाले सिंचित, बारानी तथा लवणीय व क्षारीय क्षेत्रों में पैदावार के लिए वर्णित किया गया है। किसान भाईयों को भी अपनी मिट्टी की किस्म, सिंचाई की उपलब्धता तथा बुवाई के समय के आधार पर उपयुक्त किस्मों का चयन करना चाहिए। किस्मों की औसत उपज, तेल अंष, परिपक्वता आदि प्राप्त करने के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाना आवष्यक है।
परिस्थिति उपयुक्त किस्में
1. सिंचित व समय से बुवाई



गिर्राज, आर.एच.-749, एन.आर.सी.डी.आर.-2, पूसा विजय, दिव्या-33 तथा संकर सरसों में एन. आर. सी. एच. बी. 506 उपयुक्त किस्में हैं।
2. बारानी/असिंचित क्षेत्र

आर. बी.-50,आर.एच.-725, आर.एच.-761, आर. एच.-406, आर.जी.एन.-229, आर.जी.एन.-298 उपयुक्त किस्में हैं।
3. लवणीय व क्षारीय भूमि
सी. एस.- 58 एवं सी. एस.-60 उपयुक्त किस्में हैं।
4. अगेती बुवाई
पी.एम.-25, पी.एम.-27, पी.एम.-28, पूसा तारक, पी.आर. 2006-1 उपयुक्त किस्में हैं।
इनके अतिरिक्त एक परिस्थिति यह होती है कि किसी कारणवष देर से बुवाई करनी पडती है इस स्थिति के लिये सी.एस.- 56, एन आर सी एच बी 101, आर.जी.एन.-145, आर. जी.एन.-236, आर.वी.एम.-2, पी.एम.-26 उपयुक्त किस्में हैं।

जो किसान भाई गुणवत्ता वाली
सरसों की बुवाई करना चाहते है उनके लिये पी.एम.-22, पी.एम.-24, आर.एल.सी.-1, आर.एल.सी.-2, आर.एल.सी.-3, पी.एम.-29, पी.एम.-30, पी.एम.-31 उपयुक्त किस्में हैं।
किसान भाईयों, आप अपने क्षेत्र मे इन किस्मो की उपलब्धता के आधार पर किस्म का चयन करें।
डाॅ. अशोक कुमार शर्मा एवं डाॅ. पी. के. राय
सरसों अनुसंधान निदेषालय, भरतपुर, राजस्थान