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पशु पालन और किसान

Published on: 24-Jun-2020
पशु पालन और किसान
फसल नकदी फसल कपास

दूध और किसान एक दूसरे के पर्यायवाची होते हैं बिना दूध या पशु पालन के किसान का काम नहीं चल सकता. पशु पालन  से किसान को दूध तो मिलता ही है उसके साथ-साथ उसे गोबर के रूप में खेत के लिए खाद भी मिलता है जिससे उसकी निर्भरता रासायनिक खाद पर कम होती है. 

गोबर की खाद से किसान को जो फसल मिलती है वो ज्यादा पोस्टिक होती है. इसके साथ ही वो गाय या भैंस के नर प्रजाति को हल चलाने और सामान ढोने के लिए प्रयोग में लाते है. 

अमूमन गांव के लोग काफी फिट होते है न कोई जिम न कोई और कसरत उनकी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी ही उनकी कसरत होती है. गांव में अमूमन लोग सुबह भोर में ही उठ जाते है तथा अपनी दैनिक कार्यों में लग जाते हैं. 

जैसे पशुओं को दाना चारा देना फिर दूध निकालना उसके बाद खेत पर जाना और सबसे बड़ी बात जंक फ़ूड न खाना वही घर की बानी हुई चपाती खाना और बिमारियों से दूर रहना.

देसी गाय:

देसी गाय

भारत में गाय को माता का दर्जा दिया गया है इसके पीछे भी कई कारण है एक तो देसी गाय का दूध पौष्टिक होता है और दूसरे कई तरह की बिमारियों से हमें बचाता है. 

देसी गाय दूध कम देती है लेकिन उसका दूध पौष्टिक बहुत होता है इसके घी से कैंसर, हार्ट के रोग, शुगर , टीवी , हैजा  जैसे घातक  रोगों से बचा जा सकता है या काफी हद तक दूर रहा जा सकता है.

गाय के दूध को अमृत कहा जाता है इसके पीछे भी यही कारण है की गाय का दूध और घी कई असाध्य रोगों की दवा के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है.ये बच्चों के दिमागी विकास के लिए बहुत ही जरूरी पोषण है. 

गाय के दूध में सारे पोषक तत्व होते है जो की HIV जैसे घातक वीमारी को भी दूर रखने में सक्षम है. केवल एक गाय का ही दूध है जिसमे विटामिन A होती है बाकी किसी पशु के दूध में मिटमिन A नहीं पाई जाती है. 

गाय का दूध अत्यंत स्वादिष्ट, स्निग्ध, मुलायम,  शीतल, पाचक, रूचिकर, बुद्धिवर्धक, बलवर्धक,चिकनाई से युक्त, मधुर, स्मृतिवर्धक, जीवनदायक, रक्तवर्धक, वाजीकारक, आयुष्यकारक एवं सर्वरोग को हरनेवाला है। 

इसकी एक खासियत यह है की इसके दूध में स्वर्ण पाया जाता है इसके पीछे एक कारण है की गाय के गर्दन और पीठ के बीच में एक उभार होता है जिसमे सूर्य की रोशनी के संपर्क में आकर दूध में स्वर्ण का प्रभाव आता है और ये भी कई रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है. 

गाय के दूध को जितना आप चाहो पि सकते हो ये बहुत ही पाचक होता है. इससे चहरे पर चमक आती है और इंसान के शरीर में फुर्ती भी आती है आलस्य नहीं रहता है.

खुशहाल किसान , उन्नत भारत:

आजकल हम इतने एडवांस हो गए हैं की अपने लिए ब्रांडेड कपडे, महंगा मोबाइल, महँगी कार लेने में नहीं हिचकते लेकिन हाँ हम शुद्ध दूध के लिए जरूर मोल भाव करेंगे.

आप मेदा की बनी रोटी 20 रुपये की ले लोगे ,पिज्जा 250 का ले लोगे कहने को बहुत कुछ है लेकिन आप अपने बच्चों के लिए शुद्ध दूध लेने के लिए दूध वाले से रेट कम कराओगे. 

यही सब आप मॉल में टिप भी छोड़ के आओगे और रेहड़ी वाले से सब्जी के रेट कम कराओगे. मेरे कहने का तात्पर्य है की हमें आगे आकर किसानों को सपोर्ट करने की जरूरत है. 

कोशिश करो की आपकी कार कहीं से निकल रही है तो सड़क के किनारे वाले से सब्जी या फल लेते हुए निकलें, जिससे उसे भी पैसा मिलेगा आपको भी ताजे फल और सब्जियां मिलेंगीं.

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