Published on: 03-Oct-2023
बैंगनी क्रांति मतलब कि अरोमा मिशन ने किसानों की तकदीर बदल दी है। दरअसल, इस योजना के अंतर्गत किसानों की आमदनी में लगभग 2.5 गुना बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही, रोजगार में भी बढ़वार हो रही है। सरकार की इस योजना के माध्यम से तेलों एवं अन्य सुगंधित उत्पादों को तैयार करने में सहायता मिल रही है।
किसानों की आमदनी को कई गुणा बढ़ाने के लिए भारत सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार की शानदार योजनाऐं चलाई जा रही हैं। इन्हीं में से अरोमा मिशन भी है, जो किसानों की आमदनी को दोगुना से भी कहीं ज्यादा करने में सहायता कर रही है। इस योजना की सहायता से किसान अपने खेत में सुगंधित फसलों की खेती बड़ी ही सुगमता से कर रहे हैं। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए-नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। जिससे किसानों के साथ-साथ आम नागरिक भी आत्मनिर्भर हो सकें। मीडिया खबरों के अनुसार, अरोमा मिशन के अंतर्गत भारत के किसानों की आमदनी में तकरीबन 2.5 गुना इजाफा देखने को मिला है।
अरोमा मिशन आखिर होता क्या है
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि
अरोमा मिशन सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए जारी की गई सरकार की एक अनोखी कवायद है। इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य सुगंधित तेलों एवं अन्य सुगंधित उत्पादों के विनिर्माण में भारत की उद्यमिता को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नवीन अवसर पैदा करना भी है। इसके अतिरिक्त इस मिशन के अंतर्गत किसानों को बीज व पौधे भी मुहैय्या करवाए जाते हैं। साथ ही, खेती किसानी की नई-नई तकनीकों के विषय में भी सिखाया जाता है। खबरों की मानें तो इस मिशन में केवल किसान ही नहीं बल्कि उसका संपूर्ण परिवार भी खेती-किसानी की तकनीक को सीख सकते हैं।
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अरोमा मिशन से किसानों को क्या लाभ हुआ है
अरोमा मिशन जम्मू कश्मीर में चलाए जाने वाला एक मिशन है।
अरोमा मिशन में वैज्ञानिकों द्वारा भी पूरा सहयोग किया जा रहा है। अरोमा मिशन के अंतर्गत वैज्ञानिक सीधे तौर पर किसानों के खेतों पर पहुंच रहे हैं। साथ ही, उनकी विभिन्न प्रकार की दिक्कतों को भी हल कर रहे हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि किसान फसल की उगाई से लगाकर उनकी कटाई तक वैज्ञानिकों की सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इस संदर्भ में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की महानिदेशक एन कलाईसेल्वी ने बताया है, कि कृषि वैज्ञानिक फिलहाल प्रयोगशाला में ही बैठकर फसलों की निगरानी और किसानों की सहायता नहीं कर रहे हैं। वह फिलहाल स्वयं चलकर किसान का हाथ पकड़ रहे हैं। इसके साथ ही उनकी प्रत्येक दिक्कत-परेशानी को दूर करने की कोशिशों में जुटे हैं।