Published on: 03-Oct-2022
महाराष्ट्र में भारी बरसात की वजह से सभी फसलों की भाँति मौसम्बी (मौसंबी; mosambi fruit; Citrus limetta) भी चपेट में आयी है। मोसंबी के बागों से काफी हद तक फल गिर चुके हैं, जिसकी वजह से महाराष्ट्र के किसान बहुत प्रभावित हुए हैं। प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है, साथ ही किसान बहुत ही असहाय महसूस कर रहे हैं, हालाँकि किसानों ने सरकार से भी उचित मुआवजा प्राप्त करने की गुहार लगायी है।
पेड़ों से मौसंबी के गिरने की वजह से फलों में सड़न व कीटाणु भी हो गये हैं। भारी बरसात के कारण बागों में भी जलभराव हो गया है, जो फलों की बर्बादी की वजह बन गया है। महाराष्ट्र के कुछ जिलों में तो इसका अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिला है, जिसमें जलना, नाशिक समेत कई जिले शामिल हैं।
किसानों द्वारा जल्द मुआवजा प्रदान करने की मांग ?
किसान अपनी फसल को लेकर बेहद उत्साहित एवं अच्छे मुनाफा मिलने की आस लगाए बैठे थे, क्योंकि दशहरा और दिवाली पर अन्य फलों की भाँति मौसम्बी की भी मांग में वृद्धि आती है, जिससे उनको काफी अच्छे दाम मिलने की संभावना थी। अत्यधिक बारिश के कारण बागों में जलभराव से फलों का गिरना और संक्रमित होना चालू हो गया है।
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अब ऐसे में उनको फलों का वाजिब दाम मिलना असम्भव है, साथ ही किसानों की लागत और मेहनत भी निकलना मुश्किल हो गयी है। किसान को बाजार और प्राकृतिक आपदा की दोहरी मार पड़ रही है, अब कैसे अपना जीवन यापन करें, ये किसान के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
भारी बारिश के कारण फलों की उपलब्धता में कितनी गिरावट आयी है ?
उपरोक्त में जैसा कि बताया गया है कि फल फ्रूट की फसल में जलभराव की वजह से हुई तबाही के चलते निश्चित रूप से फलों के उत्पादन में गिरावट आयी है, जो कि काफी हद तक बाजार में मौसम्बी सहित अन्य कई फलों की उपलब्धता को भी गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। हालाँकि किसानों द्वारा ८० % नुकसान की मुआवजा राशि लेने की माँग की गयी है।
मौसम्बी फल में फफूँद रोग,
कीट का प्रकोप बढ़ना आदि कई रोगों की चपेट में है। इससे यह पता चलता है कि इस बार मोसंबी के पेड़ पर उसके पर्याप्त उत्पादन से भी कम फलन हुआ है। साथ ही, किसानों ने सरकार से १ लाख रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा की मांग की है।