दोस्तों गर्मी शुरू होते ही फलों का राजा बाजारों और दुकानों में अपनी दस्तक देना शुरू कर देता है। आम की डेढ़ सौ किस्मों में से हर तरह की किस्मों में सबसे मशहूर मालदा आम की किस्म हैं। जो अपनी अद्भुत मिठास के लिए जानी जाती है। आम की मालदा किस्म की टक्कर कोई और आम की किस्म बिल्कुल भी नहीं दे सकती है। जो स्वाद आपको मालदा में मिलता है वह आपको और कहीं भी नहीं मिल सकता।
मालदा आम दिखने में पीले रंग के होते हैं। शुरुआत में इनका रंग पूरी तरह से हरा होता है धीरे-धीरे यह अपने हरे रंग को छोड़ते हुए पूरे पीले रंग को धारण कर लेते हैं। मालदा आम रेशेदार और स्वाद में बेहद ही मीठे होते हैं।
मालदा आम के गुच्छे काफी अच्छे होते हैं जिससे आप जूस की बहुत सारी मात्रा को प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप मालदा आम को ऐसे ही खाते हैं तो आपके मुंह में इनके ढेर सारे रेशे आते हैं जिससे इनका स्वाद और भी बेहतर लगता है। मालदा आम कि यह खूबी है कि यह दुबारा बीज के रूप में सिकुड़ कर फिर बीज रूप धारण कर लेते हैं। मालदा आम के छिलके हल्के होते हैं और इनमें बहुत गठीला पन होता है। मालदा आम खाने वाले यह दावा करते हैं यदि आपने मालदा आम नहीं खाया तो आपने आम का स्वाद ही नहीं जाना है। जो एक बार मालदा आम खा लेता है उसको दोबारा कोई आम की किस्म नहीं पसंद आती हैं।
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मालदा आम मुख्य रूप से भारत में स्थित पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के राजशाही में उगता है। मालदा आम को देश और विदेशों में काफी पसंद किया जाता हैं। पटना के दीघा घाट में इस आम की खुशबू और मिठास पूरे देश और विदेशों में फैली हुई है।
मालदा आम के स्वाद के चलते कई विदेशी राज्य है जहां इसकी मांग काफी बढ़ जाती है।
हर साल मालदा आम को विदेशी राज्यों में भेजकर निर्यात का साधन बना रहता है।
कुछ ऐसे राज्य है जो मालदा आम की मिठास और खुशबू के दीवाने हैं और हर साल मालदा आम की मांग करते हैं। जैसे: दुबई, यूरोप, अमेरिका, इंग्लैंड, स्वीडन और नाइज़ीरिया आदि देशों में रहने वाले लोग मालदा की मांग करते हैं।
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किसानों के अनुसार हर साल मालदा में लगभग 33,450 हेक्टेयर दर पर मालदा आम की खेती की जाती है। बढ़ती मांग के चलते मालदा आम कि यह खेती पिछले साल से करीब 300 हेक्टेयर अधिक है। मालदा आम की खेती से आप आम कि इस मालदा किस्म की उपयोगिता का अंदाजा लगा सकते हैं। आम की इस खेती से किसानों को निर्यात में काफी फायदा पहुंचता है।
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यह मालदा आम से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां थी।
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मालदा आम के विषय में या महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। कि मालदा आम के पेड़ को नवाब फिदा हुसैन ने लगाया था। नवाब फिदा हुसैन लखनऊ के बहुत मशहूर नवाब थे। मालदा आम का या पौधा नवाब फिदा हुसैन पाकिस्तान के करीब इस्लामाबाद के शाह फैसल मस्जिद के इलाके से लाए थे।आम की यह खास किस्म नवाब फिदा हुसैन द्वारा लगाई गई थी। जब नवाब फिदा हुसैन पटना में रहते थे उसी दौरान उन्होंने दीघा के करीब रेलवे क्रॉसिंग पर और कुछ आसपास के इलाकों में मालदा आम के लगभग 50 से भी ज्यादा पेड़ लगाए थे।
मालदा आम के विषय में लोग यह कहते हैं कि नवाब साहब बहुत सी गाय पाले हुए थे। जब कभी दूध बच जाता तो वह बचा हुआ दूध मालदा आम की जड़ों में डाल दिया करते थे। कुछ टाइम के बाद जब या पेड़ फल देने लगे तो इन फलों में से दूध जैसा पदार्थ निकलना शुरू हो गया था। यही कारण है कि लोग इस आम को दूधिया मालदा के नाम से भी पुकारते हैं। आम की इस किस्म का नाम दूधिया मालदा आम पड़ा। इसके बाद मालदा आम के पेड़ों की सेवा मोहम्मद इरफान ने काफी अच्छे ढंग से की थी। मोहम्मद इरफान की सेवा को देखते हुए लोगों ने इस बगीचे को इरफान बगीचे के नाम से पुकारने लगे। कहां जाता है कि अखिल भारतीय आम प्रदर्शनी मे मालदा आम प्रथम स्थान पर आता है। अपने स्वाद के चलते मालदा आम सभी किस्मों से उत्तम माना जाता है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा या आर्टिकल मालदा आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। हमारी इस पोस्ट में मालदा आम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी हुई है। हमारे इस आर्टिकल में आप मालदा आम के विषय में बेहतर तरीके से जान पाएंगे। यदि आप हमारी जानकारियों से संतुष्ट है तो हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर करें। धन्यवाद।