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जिमीकंद की खेती से जीवन में आनंद ही आनंद

Published on: 29-Nov-2022

जिमीकंद को सूरन या बिहार जैसे राज्य में ओल भी कहा जाता है, यह असला में गर्म जलवायु में उगाया जाने वाला पौधा है। जिसकी सब्जी से ले कर अचार तक बनाई जाती है और उत्तर भारत से ले कर दक्षिण भारत तक में इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है। यानी, अगर किसान इसकी खेती करे तो निश्चित ही उनके जीवन में आनंद आ जाएगा।

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कैसी हो मिट्टी

ओल के लिए सबसे अच्छी मिट्टी भूरभुरी दोमट मिट्टी मानी जाती है, ओल को अधिक जल जमाव वाले क्षेत्र में नहीं उगाया जाना चाहिए, इससे किसानों को नुकसान हो सकता है। 

ओल की खेती के लिए 5.5 से 7.2 तक की पीएचमान वाली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। ओल की कई किस्में बाजार में आजकल उपलब्ध हैं, किसान अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें से कोई एक किस्म का चुनाव कर सकते हैं। 

जैसे, गजेन्द्र, एम -15, संतरागाछी, कोववयूर आदि। किसान भाइयों को अपने क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु को ध्यान में रखते हुए ओल की किस्म का चुनाव करना चाहिए ताकि वे ओल की खेती से बेहतर कमाई कर सके।

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सूरन यानी जिमीकंद की खेती बारिश के मौसम से पहले और बाद में की जानी चाहिए, फिर भी इसकी खेती के लिए अप्रैल से जून के बीच का समाया सबसे बेहतर माना जाता है। 

किसान भाई ध्यान रखे कि, इसकी बुवाई से पहले इसके बीजों का उपचार अच्छी तरह से कर लिया गया है। खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दें, ताकि खेत की मिट्टी में अच्छे से धूप लग सके। 

आप चाहे तो जुटे हुए खेत में पुरानी गोबर की खाद को डाल सकते हैं। आप ओल बोने से पहले अपने खेत में पोटाश 50 KG, 40 KG यूरिया और 150 KG डी.ए.पी. का इस्तेमाल अवश्य करें ताकि आपको बेहतर उपज मिल सके। 

बीजों को क्यारी बना कर लगाए क्योंकि ओल के पौधे होते हैं, जो अगर क्यारी में लगे हो और एक निश्चित दूरी बना कर रोप गए हो तो आपको ओल का फल अच्छे आकार का मिल सके।

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इसकी खेती में यह ध्यान रखना है, कि बरसात के समय सिंचाई नहीं करनी है। हां, सर्दी के मौसम में इसके पौधों को 15-20 दिन सिंचाई की आवश्यकता होती है। 

एक अच्छी बात यह है, कि इसके पौधे के बीच बहुत अधिक मात्रा में खर-पतवार नहीं उगते। लेकिन, फिर भी आपको इसका ध्यान रखना चाहिए, ऐसा करने से पौधों में रोग लगाने की संभावना कम हो जाती है। 

ओल के खेत के लिए आपको दस से पंद्रह क्विंटल गोबर की सड़ी खाद, यूरिया, फास्फोरस और पोटाश 80:60:80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए।

बेहतर कमाई

ओल का बाजार भाव तकरीबन 30 से 50 रुपए प्रति किलो तक होता है। एक हेक्टयर में आप 70 से 80 टन ओल उगा सकते है, इस हिसाब से देखे तो किसान भाइयों को एक बेहतर कमाई का जरिया ओल के रूप में मिल सकता है। 

तो देर किस बात की, सर्दी का मौसम है, तब भी आप सिंचाई के बेहतर प्रबंधन के साथ ओल की खेती शुरू कर सकते हैं।

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