Published on: 11-Sep-2024
Updated on: 12-Sep-2024
ब्रोकली एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो गोभी परिवार से संबंधित है। इसका वैज्ञानिक नाम Brassica oleracea var. italica है।
इसकी पौष्टिकता और स्वास्थ्य लाभ के कारण ब्रोकली विश्वभर में लोकप्रिय है। यह विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो कई बीमारियों से बचाने में सहायक होती है।
ब्रोकली की दो प्रमुख किस्में हैं: स्प्राउटिंग और हेडिंग ब्रोकली, जिनमें से स्प्राउटिंग ब्रोकली अधिक पसंद की जाती है। हेडिंग ब्रोकली हरा, पीला या बैंगनी रंग की हो सकती है और यह फूलगोभी की तरह होती है। हरा रंग अधिक लोकप्रिय है और इसे सलाद, सूप, और सब्जी में इस्तेमाल किया जाता है।
इसकी बाजार में मांग निरंतर बढ़ रही है, जिससे इसकी खेती करने वालों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। आइए अब इसके खेती के तरीकों पर विस्तार से चर्चा करें।
ब्रोकली की खेती के लिए जलवायु और तापमान
ब्रोकली ठंडे मौसम की फसल है और इसे 15°C से 25°C तापमान पर उगाना सबसे अच्छा होता है। अत्यधिक गर्मी या ठंड पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकती है। इसे मुख्यतः सर्दियों में उगाया जाता है।
ब्रोकली की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
- ब्रोकली के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें पीएच स्तर 6 से 7 के बीच हो।
- मिट्टी को अच्छे से जुतकर और जैविक खाद मिलाकर तैयार करें। मिट्टी की जल निकासी अच्छी होनी चाहिए ताकि पानी जमा न हो सके।
ब्रोकली की उन्नत किस्में
ब्रोकली की उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं:
- अगेती किस्में : ये 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती हैं। प्रमुख अगेती किस्मों में डी सिक्को, केलेब्रस, ग्रीन बड शामिल हैं, और संकर किस्मों में जिप्सी, अर्काडिया, ग्रीन मैजिक शामिल हैं।
- मध्यम अवधि की किस्में : ये 75 से 90 दिनों में तैयार होती हैं। प्रमुख किस्मों में बालथम 29, ग्रीन स्प्राउटिंग मीडिया, डेस्टिनी, मैराथन और एमेराल्ड शामिल हैं।
ये भी पढ़ें: कुटकी (Panicum Sumatrense) की खेती: बुवाई, कटाई, और इसके पोषक तत्वों के फायदे
ब्रोकली की खेती के लिए भूमि की तैयारी
- बुवाई का समय : ब्रोकली के लिए सबसे अच्छा समय सर्दी का होता है। उत्तर भारत में इसे अक्टूबर से नवंबर तक बोया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में अगस्त-सितंबर में बोया जाता है।
- बीज दर और बुवाई की विधि : प्रति हेक्टेयर 300-400 ग्राम बीज की जरूरत होती है। बीज पहले नर्सरी में बोए जाते हैं और 25-30 दिन बाद पौधों को खेत में रोपित किया जाता है।
ब्रोकली की रोपाई नर्सरी की तैयारी
- नर्सरी की क्यारी को 15 सेमी ऊँचा बनाकर उसमें अच्छी सड़ी गोबर या कम्पोस्ट खाद और प्रति वर्गमीटर 50-60 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट मिलाकर तैयार करें।
- कीट और रोगों से बचाव के लिए सुरक्षा उपाय अपनाएं। क्यारी में प्रति वर्गमीटर 5 ग्राम थायरम डालें और 1.5-2 सेमी गहरी कतारें निकालें।
- बीजों को 10 ग्राम ड्राईकोडर्मा, 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम, या 2.5 ग्राम थायरम के साथ उपचारित करें और हल्की फव्वारे से सिंचाई करें। अधिक वर्षा से बचने के लिए क्यारी को घास-फूस या पॉलीथीन शीट से ढकें।
- बेमौसमी खेती के लिए पौधों को पॉलिहाउस या पॉलिटनल में उगाएं। पॉलिहाउस में जड़ों का तापमान कम होने पर हीटर का उपयोग करें ताकि बीजों का अंकुरण तेजी से हो।
नर्सरी की खेत में रोपाई
- 25-30 दिन पुरानी पौध रोपाई के लिए उपयुक्त होती है। रोपाई से पहले खेत में नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फॉस्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा और प्रति नाली 500 ग्राम थीमेट छिड़ककर खेत तैयार करें।
- पौधों के बीच 45-50 सेमी और कतारों के बीच 45-50 सेमी दूरी रखकर रोपाई करें और हल्की सिंचाई करें। यदि कुछ पौधे मर जाएं, तो एक हफ्ते के भीतर नई पौध लगाकर स्थान को भर दें।
- रोपाई के एक महीने बाद बची हुई नाइट्रोजन छिड़कें और पौधों के चारों ओर मिट्टी चढ़ाएं। उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी के परीक्षण के आधार पर करें।
- प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद, 100 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फॉस्फोरस, और 50 किलो पोटाश का उपयोग करें।
सिंचाई
ब्रोकली की खेती में पर्याप्त नमी बनाए रखना आवश्यक है। रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें और फिर हर 10-12 दिन पर सिंचाई करें। फसल के विकास की अवधि में मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए।
कटाई और उत्पादन
- ब्रोकली की कटाई आमतौर पर रोपाई के 70-90 दिन बाद की जाती है।
- जब ब्रोकली का हेड पूरी तरह विकसित हो जाए और फूल खिलने से पहले, उसे काटा जाता है। प्रति हेक्टेयर औसतन 120-150 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
- ब्रोकली की सही खेती से न केवल बेहतर उत्पादन मिल सकता है, बल्कि यह किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय भी बन सकता है।
- इसके स्वास्थ्य लाभ और बाजार में बढ़ती मांग इसे एक आकर्षक कृषि विकल्प बनाती है।