करौंदे की खेती से होगा बम्पर मुनाफा, जल्द ही मालामाल हो सकते हैं किसान

Published on: 26-May-2023

करौंदा एक ऐसी फसल है जो किसानों को अतिरिक्त सुरक्षा देने का काम करती है। यह एक बागवानी फसल है जिससे किसान भाई हर रोज कमाई कर सकते हैं। अगर किसान भाई अपने खेत में 100 करौंदा के पेड़ लगाते हैं तो वह 20 हजार रुपये की कमाई बेहद आसानी से कर सकते हैं। आइए हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि करौंदा की खेती कैसे करें, ताकि कम समय में ही आप जल्द से जल्द पैसे कमा सकें। करौंदा एक झाड़ीदार कांटे वाला पेड़ होता है। इसलिए इसे देखभाल की कोई खास जरूरत नहीं होती है। काटों के कारण इसके पौधे के पास कोई जानवर भी नहीं आता। यह एक ऐसी फसल होती है जिसे लगाने के लिए अतिरिक्त जमीन की जरूरत भी नहीं होती। इसे आप खेत के चारों ओर लगा सकते हैं। यह ऐसा पौधा होता है जो बिना पानी के भी कई दिनों तक जीवित रह सकता है। इसमें सूखे को सहन करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। इसलिए करौंदा बंजर और रेतीली भूमि में भी बेहद आसानी से उग जाता है। इसका पेड़ लगभग 6 से 7 फीट तक ऊंचा होता है। करौंदे की खेती ठंडी जलवायु में कर पाना संभव नहीं है।

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करौंदा के लिए उपयुक्त मिट्टी का चुनाव

इसकी खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का चुनाव करते समय ध्यान रखें कि खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था हो। साथ ही मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए।

करौंदा की उन्नत किस्में

वैसे तो बाजार में करौंदा की बहुत सारी किस्में उपलब्ध हैं। लेकिन कैरिसा इब्लिसा, मनोहर, पंत स्वर्ण और सीआईएसएच करौंदा-2 जैसी किस्में किसानों के द्वारा सबसे ज्यादा पसंद की जाती हैं। इन किस्मों के पेड़ों के फल बड़े होते हैं और उत्पादन भी ज्यादा होता है।

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करौंदा की पौध तैयारी एवं रोपाई

करौंदा की पौध की तैयारी बीजों के माध्यम से करते हैं। इसके लिए करौंदा के पके हुए फलों से बीज निकाल लेते हैं और पौधशाला में बुवाई कर देते है। 40 से 60 दिन पुराने पौधों को पन्नी में भरकर रोपाई के लिए तैयार कर लेते हैं। करौंदा के पौधों की रोपाई जुलाई और अगस्त माह में की जाती है। अगर किसान के पास सिंचाई की उचित व्यवस्था है तो इसकी रोपाई फरवरी से मार्च माह के बीच भी की जा सकती है। करौंदा के पेड़ों की रोपाई गड्ढों में करें। इसके लिए खेत में 2 फ़ीट व्यास का गड्ढे बना लें, साथ ही रोपाई के 30 दिन पहले गड्ढों को गोबर की सड़ी हुई खाद से भर दें। रोपाई के समय एक पेड़ से दूसरे पेड़ के बीच कम से कम एक मीटर का फासला जरूर रखें।

करौंदा के लिए खाद एवं उर्वरक की मात्रा

करौंदा की अच्छी ग्रोथ के लिए खाद एवं उर्वरक देना बेहद जरूरी है। जब करौंदा की पौध की रोपाई करें तब प्रति पौधा के हिसाब से 5 किलो गोबर, 150 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 100 ग्राम यूरिया व 75 ग्राम पोटाश दें। खाद एवं उर्वरक की इतनी मात्रा पहले तीन सालों तक देनी है। जब पौधा बड़ा हो जाए तो 450 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 300 ग्राम यूरिया, 15-20 किलो गोबर की खाद व 225 ग्राम पोटाश प्रति वर्ष के हिसाब से दे सकते हैं।

करौंदा के पौधों की सिंचाई

करौंदा के पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती। ये पौधे कम पानी में भी काम चला सकते हैं। लेकिन गर्मियों के मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी देते रहना चाहिए। इसके अलावा सर्दियों के मौसम में इन पौधों में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। बरसात के मौसम में पौधों के पास से उचित जल निकासी की व्यवस्था जरूर करें।

करौंदा के फलों की तुड़ाई एवं कमाई

करौंदा के पौधे लगाने के 4 से 5 साल बाद इनमें फल आने लगते हैं। पेड़ों पर फल आने के 2 से 3 माह बाद इनकी तुड़ाई की जा सकती है। करौंदा के फलों का उपयोग अचार, सब्जी व चटनी बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसके फलों से जेली भी बनाई जाती है। करौंदा का एक पेड़ 15 से 25 किलो के बीच फल दे सकता है। जिनके फलों की तुड़ाई करके 2 से 3 दिन के बीच विक्रय के लिए मंडी भेज दिया जाता है। अगर किसान एक एकड़ में करौंदा के पेड़ों को लगाएं तो आसानी से 1 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।

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