Published on: 05-Jan-2024
भारत के कृषकों को तुअर दाल का समुचित मूल्य मुहैय्या कराने के लिए भारत सरकार ने नई दिल्ली में Tur Dal Procurement Portal को लॉन्च कर दिया। इस वेब पोर्टल में कृषकों की सुविधाओं के लिए विभिन्न भाषाएं सम्मिलित की गई हैं। सरकार ने कृषकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी दी है। दरअसल, सरकार ने आज मतलब कि गुरुवार के दिन तुअर दाल की खरीद के लिए वेब पोर्टल की शुरुआत की है।
दिल्ली में दलहन की आत्मनिर्भरता पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "आत्मनिर्भर भारत" के दृष्टिकोण की दिशा में एक और शानदार कदम उठाते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने तुअर उत्पादक किसानों के पंजीकरण, खरीद और भुगतान के लिए वेब पोर्टल का लोकार्पण किया गया। अब इससे किसान अपनी दाल की ऑनलाइन बिक्री करके सीधे भुगतान की राशि अपने खाते में प्राप्त कर सकते हैं। इस पोर्टल का नाम Tur Dal Procurement Portal निर्धारित किया गया है। सरकार की इस नवीन कवायद से घरेलू दाल उपज को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, आयात निर्भरता में भी कमी देखने को मिलेगी।
Tur Dal Procurement Portal का प्रमुख लक्ष्य क्या है ?
सरकार की इस कवायद का प्रमुख लक्ष्य तुअर दाल उत्पादकों को NAFED एवं NCCF द्वारा खरीद, सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं एवं सीधे बैंक हस्तांतरण के जरिए शानदार कीमतों के साथ मजबूत बनाना है, जिससे घरेलू दाल उपज को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, आयात निर्भरता काफी कम होगी। इसके अंतर्गत उपभोक्ता मामले विभाग, भारत सरकार के दिशा निर्देशों के मुताबिक नेफेड एवं एनसीसीएफ के पोर्टल पर पंजीकृत कृषकों से दालों के बफर स्टॉक के लिए खरीद की जाऐगी।
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साथ ही, एमएसपी अथवा बाजार मूल्य, जो भी ज्यादा हो उसका भुगतान कृषकों को किया जाऐगा। इस पोर्टल का प्रमुख उद्देश्य कृषकों से सीधे 80% फीसद बफर स्टॉक खरीदकर आयात पर निर्भरता को कम करना है। यह न केवल खाद्य उत्पादन को सुरक्षित करेगा बल्कि राष्ट्र की भविष्य की खाद्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा।
Tur Dal Procurement Portal में कोई भी एजेंसी शामिल नहीं होगी
सूत्रों से प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार, पोर्टल पर पंजीकरण, खरीद एवं भुगतान तक की समस्त प्रक्रिया एक ही जरिए पर उपलब्ध रहेगी। किसान का पोर्टल पंजीकरण सीधा या PACS व FPO के जरिए कर सकते हैं। साथ ही, किसान को भुगतान नाफेड द्वारा सीधे उनके लिंक्ड बैंक खाते में किया जाएगा। साथ ही, इस मध्य में किसी भी एजेंसी को शामिल नहीं किया जाऐगा। यह संपूर्ण प्रक्रिया किसान केन्द्रित है, जिसमें पंजीकरण से लेकर भुगतान तक की गतिविधियों को किसान स्वयं ट्रैक कर सकते हैं।